कम से कम तीन संतानें होनी चाहिए… RSS के शताब्दी वर्ष समारोह में बोले मोहन भागवत

Update: 2025-08-28 13:03 GMT

आरएसएस शताब्दी वर्ष समारोह का तीसरा दिन सवाल और जवाब का था. इस दौरान कई सवाल पूछे गए. संघ प्रमुख मोहन भागवत ने सभी सवालों के जवाब दिए. इनमें से एक सवाल ये था कि तकनीक और आधुनिकरण के जमाने में संस्कार और परंपराओं के संरक्षण की चुनौती को संघ किस प्रकार देखता है? इसके जवाब में सरसंघचालक ने कहा कि तकनीकी और आधुनिकता का शिक्षा से विरोध नहीं है.

उन्होंने कहा कि जैसे जैसे मनुष्य का ज्ञान बढ़ता है. नई तकनीक आती है. तकनीक का इस्तेमाल करना मनुष्य के हाथ में है. उससे होने वाले दुष्परिणाम से बचना चाहिए. तकनीकी मनुष्य की गुलाम रहे मनुष्य तकनीकी का गुलाम ना बने. इसलिए शिक्षा आवश्यक है. भागवत ने कहा कि शिक्षा केवल जानकारी रटना नहीं है. इसका उद्देश्य मनुष्य को संस्कारवान बनाना है.

नई शिक्षा नीति लाना जरूरी था

उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में पंचकोशीय शिक्षा यानी पांच-स्तरीय समग्र शिक्षा का प्रावधान है. सरसंघचालक ने कहा कि अपने देश की शिक्षा कई साल पहले विलुप्त हो गई या कर दी गई थी. नई शिक्षा इस देश पर राज करने के लिए बनाया गया. लेकिन आज स्वतंत्र है तो सिर्फ राज्य चलने नहीं प्रजा पालन के हिसाब से गौरव पैदा करने योग्य शिक्षा की आवश्यकता है.

भागवत ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में नई शिक्षा नीति में ऐसा प्रयास हुआ है. कुछ काम हुआ है और कुछ होने वाला है ऐसा मैंने सुना है. उन्होंने आगे कहा कि सुना है आज कल नौकरियों में ड्रिंकिंग एटिकेट्स सिखाए जाते हैं, जो विदेश सेवा के कार्यक्षेत्र में काम करते हैं. हो सकता है उनको इसकी जरूरत पड़ती हो क्योंकि विदेशों में ऐसा चलन है लेकिन इसको जनरलाइज करने की क्या आवश्यकता है.

कोई भी भाषा सीखने में कोई दिक्कत नहीं

भागवत ने कहा कि हम अंग्रेज नहीं हैं. हमें अंग्रेज नहीं बनना लेकिन ये एक भाषा है और भाषा सीखने में कोई दिक्कत नहीं. नई शिक्षा नीति में पंचकोशीय शिक्षा की व्यवस्था जो कि गई है वो धीरे-धीरे आगे बढ़ेगा. संघ प्रमुख ने कहा कि संगीत, नाट्य जैसे विषय में रुचि जगानी चाहिए मगर कोई चीज अनिवार्य नहीं करना चाहिए क्योंकि जिसको अनिवार्य विषय बनाते हैं उसमें सबको दिक्कत होती है.

शिक्षा को गुरुकुल पद्धति से जोड़ने का प्रयास हो

संघ प्रमुख ने कहा कि वैदिक काल की शिक्षा के 64 कलाओं में से लेने योग्य विषयों को लेना चाहिए. गुरुकुल और आधुनिक शिक्षा को एक दूसरे के साथ लाना चाहिए. गुरुकुल पद्धति के तरफ आधुनिक शिक्षा को जोड़ने की कोशिश करना है. फिनलैंड में विश्व की सर्वश्रेष शिक्षा पद्धति है, जो ट्रेडिशनल और आधुनिकता का समावेशी व्यवस्था है. संस्कृत को इस विधा से लाना चाहिए, जिसको सीखने वाले एंजॉय करते हुए आसानी से ग्रहण कर लें. काम चालू जान कम से कम से कम हरेक भारतीय को होना चाहिए.

बच्चे तीन होने चाहिए, उससे अधिक नहीं

मोहन भागवत ने अपने संबोधन के दौरान जन्म दर का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि कम से कम तीन संतानें होनी चाहिए. जिनकी तीन संतानें नहीं हुई, वो लुप्त हो गए. उन्होंने कहा कि डॉक्टर बताते हैं कि तीन संतान पैदा करने से तीनों का स्वास्थ्य ठीक रहता है. साथ ही एडजस्ट करना भी सिख लेते हैं. इसलिए बच्चे तीन होने चाहिए और उससे अधिक होना नहीं चाहिए.

अखंड भारत की भावना से सबको उन्नति

मोहन भागवत ने कहा कि विभाजन का संघ ने विरोध किया था लेकिन संघ की तब ताकत ही क्या थी? संघ के कहने से समाज समर्थन नहीं कर रहा था क्योंकि तब गांधी जी के विचार से ही समाज आगे चल रहा था. उन्होंने भी देश विभाजन का विरोध किया लेकिन बाद में किसी दिक्कत से उनको मानना पड़ा. अखंड भारत की भावना अगर फिर आ जाए तो सबकी उन्नति होगी, सभी शांति से रहेंगे. उन्होंने कहा कि एक न एक दिन सोया हुआ आदमी जागेगा. अखंड भारत पॉलिटिकल नहीं है.

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