सपा की तरफ आधे रास्ते जाकर रुके अजित सिंह, अब BSP..............

Update: 2016-09-05 02:42 GMT

यह हो सकती हैं गठबंधन की शर्तें: गठबंधन पश्‍चिमी उप्र की 140 सीट को लेकर है। शर्तों के मुताबिक रालोद पश्‍चिमी उप्र में 38 सीट पर चुनाव लड़ेगी। अभी तक रालोद करीब 40 सीट पर चुनाव लड़ती रही है। गठबंधन के तहत रालोद को आगरा की दयालबाग, एत्‍मादपुर और फतेहपुर सीकरी सीट छोड़नी पड़ सकती है। रालोद तीनों ही सीट को अपने लिए मजबूत बताती आई है। जबकि मौजूदा वक्‍त में तीनों ही सीट बसपा के कब्‍जे में हैं।

दूसरी शर्त यह कि पश्‍चिमी उप्र की जिम्‍मेदारी जयंत चौधरी के हाथों में होगी। इस शर्त पर मुहर इस तरह से भी लग जाती है कि पांच सितम्‍बर से रालोद एक अभियान शुरू करने जा रही है। अभियान के तहत पांच सितम्‍बर को जयंत बागपत में तीन जनसभाओं को संबोधित करेंगे। तीसरी शर्त यह कि प्रदेश विभाजन यानी नया राज्‍य हरित प्रदेश बनाने पर दोनों पार्टियों की एक ही राय होगी।

अभी तक रालोद से दूरी बनाती आई है बसपा: जानकारों की मानें तो गठबंधन के नाम पर अभी तक बसपा रालोद से दूरी बनाती आई है। इसके पीछे कारण जाटव और जाटों के बीच 36 के आंकड़े को बताया जाता है। लेकिन राजनीति किससे, कब और कहां, क्‍या करा दे कुछ कहा नहीं जा सकता है। कहा जाता है कि राजनीति में पावर के लिए कभी भी कुछ भी हो सकता है।

क्‍या ब्राह्मणों का विकल्‍प बन सकते हैं जाट वोटर: चर्चा तो यह भी है कि बसपा खुद भी रालोद के साथ गठबंधन के लिए ज्‍यादा दिलचस्‍पी दिखा रही है। इसके पीछे एक मात्र ठोस वजह यह बताई जा रही है कि मौजूदा वक्‍त में ब्राह्मण बसपा से नाराज चल रहा है। इसी कमी को पूरा करने के लिए बसपा रालोद की ओर उम्‍मीद भरी निगाहों से देख रही है। वहीं पश्‍चिमी उप्र में जाटों के बीच रालोद के वजूद को नकारा भी नहीं जा सकता।



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