Janta Ki Awaz

भोजपुरी कहानिया - Page 23

सुप्रसिद्ध गायिका मेघा श्रीराम डेल्टन जी के भोजपुरी लोकगीत के साथ अनुभव...

21 Oct 2017 3:33 AM GMT
2002-2004 में मुझे उतरप्रदेश के लोक गीत में रीसर्च करने का मौका मिला था HRD के तरफ से .... जबके उसी दौरान मैं BHU से BMUSE कर रही थी। ... मेरा...

सिपुली (भोजपुरी लघु कथा)

21 Oct 2017 2:22 AM GMT
दियरी -बाती के चारो ओर उजियार रहे । सभ लइका -लइकी पड़ाका फुलझरी छोड़े में लागल रहलन स । बिकास के इया सबेरहीं उनका के बीस गो रुपिया दे के धिरा देले...

ताजमहल... बस यूं ही...

17 Oct 2017 12:26 PM GMT
३१ अगस्त १६५९ ई. आगरा के शाहबुर्ज में कैद शाहजहाँ रोज की तरह झरोखे से ताजमहल को निहार रहा था। ताजमहल उसके लिए एक महल से ज्यादा था। उसे...

गांव की दिवाली :

17 Oct 2017 9:16 AM GMT
दिवाली की बहार है घुरहुवा लोधियाना से कमा के आया है अब घुरूहुवा के पास पईसा है बीड़ी नही पीता फिल्टर वाली सिगरेट पीता है मेहरारू के लिये लाल साड़ी...

लघुकथा धनतेरस

17 Oct 2017 8:15 AM GMT
"पापा ! आपको याद है न! -"क्या ?"बेटी,स्नेहा के प्रश्न के उत्तर को जानते हुए भी अनजान बनने का असफल प्रयास करते हुए भूषण ने अपने चेहरे...

रामसांवर लबड़हत्थी हैं

15 Oct 2017 2:44 AM GMT
सुबह गेट पर किसी के पुकारने की आवाज आयी तो जल्दी से टीशर्ट डालकर बाहर आया । आगंतुक कृशकाय वृद्ध था और शक्ल परिचित जान पड़ती थी । मैंने प्रश्नवाचक...

साहित्यिक मर्यादा कैसे याद रखूं?

14 Oct 2017 1:00 PM GMT
मुझ पर सदैव एक प्रश्न खड़ा किया जाता है, कि आक्रोश में मैं साहित्यिक मर्यादा भूल जाता हूँ। मैं न्यायपालिका का सम्मान नहीं करता। बात गलत नहीं है, पर मैं...

"बारी के बारी कोईलासी"

13 Oct 2017 10:09 AM GMT
"ऐ बेरी परमुख के औकात बता देबे के बा।" उप ब्लाक परमुख अजोधा पूरा जोश से कहले। "एकदम। उनकर मनमानी ना चले दिहल जाई।" नथुनीयो जोशिया के...

"पुरुआ अउरी भोजपुरी"

13 Oct 2017 5:20 AM GMT
करीब चार साल पहले जब हम फेसबुक पर भोजपुरी लिखल चालु कईनी त बाउर अउरी फुहर गावे वाला के सबसे मुखर आलोचक रहनी. जेकर भी कुछ बाउर लअके, जेतना कलम में ताकत...

चक्रव्यूह के उस पहले द्वार में प्रवेश और फिर दिव्य पेय ....

12 Oct 2017 6:43 AM GMT
मैं प्रधानमंत्री जी के सम्पूर्ण स्वच्छता मिशन का तहेदिल से सम्मान करता हूँ । मुझे ऑफिस के लिये दस बजे निकलना होता है लेकिन अगर कूड़े वाली नही आई हो तो...

शहर पीछे शहर : अतुल शुक्ल

11 Oct 2017 1:01 PM GMT
लखनऊ बदल रहा है , शालीन हो गया है । मुझे याद है दस साल पहले जब मैं यहां बहुतायत रहा करता था , तब शहर इतना शालीन न था । लोग सड़कों पर ठहाके लगाते ,...

"दीपावली और स्मोग"

10 Oct 2017 4:00 AM GMT
मिस्टर जॉन, लन्दन में एक दुकान (स्टोर, शॉप) चलाते थे। 5 दिसंबर 1952 को जब वे सुबह उठे, तो अपने चारों ओर एक घने कोहरे को पाए। ऐसा नहीं था कि कुछ दिखाई...
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