"पुरुआ अउरी भोजपुरी"
BY Anonymous13 Oct 2017 5:20 AM GMT

X
Anonymous13 Oct 2017 5:20 AM GMT
करीब चार साल पहले जब हम फेसबुक पर भोजपुरी लिखल चालु कईनी त बाउर अउरी फुहर गावे वाला के सबसे मुखर आलोचक रहनी. जेकर भी कुछ बाउर लअके, जेतना कलम में ताकत रहे सब झोक के लिखी.
चार साल में परिवर्तन त बहुत भईल लेकिन जेतना ही साफ़ सुथरा के पैरोकार बढले ओकरा ले कई गुना इ फुहर पातर गावे कुल के फैन फोल्लोविंग बढल. मने हमनी के मुकाबले एकनी के संख्या में बहुत वृद्धि भईल. फेरु हमरा लागल कि अगर इ फुहरता खत्म करे के बा त खाली इ गरिया के ना होई. बल्कि लोग के साथे साथे साफ़ सुथरा विकल्प भी देबे के पड़ी. काहे कि जब लोग साफ सुथरा गीत संगीत, सिनेमा के ताकत देखी तबे उ समझी कि इहो निमन हो सकेला.
त हम अपना शाब्दिक आलोचना के मोड के ओके एगो अलग दिशा देहनी. कुछ लोग से बात भईल अउरी फिर जब लोग के सहमती मिल गईल त पुरुआ के जन्म भईल. पुरुआ के जन्म के पीछे एक ही उद्देश्य बा-
अगिला चार साल में १० लाख साल सुथरा फिल्म औरी गाना देखे वाला दर्शक पैदा कईल. भोजपुरी भासी लोग के संख्या करोडो में बा अउरी साफ़ सुथरा देखे सुने वाला के संख्या भी करोडो में हो सकेला लेकिन अभी उ दर्शक नईखे औरी एही से आजू केहू भोजपुरी के साफ़ सुथरा फिल्म अउरी गाना पर पईसा लगावे के तैयार नईखे. अईसन नईखे कि भोजपुरिया लोग के लगे पईसा नईखे पर केहू आपन 50 लाख या एक करोड़ काहे लगायी जब ओके वापस ही नईखे आवे के. आजू निमन निमन गायक के स्थति इ बा कि साल में एगो दुगो कार्यक्रम छोड़ के कही गावे के मौका नईखे मिलत.
त एही स्थति के बदले खातिर पुरुआ के निर्माण भईल कि आवे वाला समय में अईसन स्थति बन जाओ कि लोग साफ़ सुथरा फिल्म अउरी गाना बनावे खातिर दौड़े लागे. गायक कुल के आर्थिक तंगी ना झेले के पड़े औरी जे पईसा लगावे ओकर पईसा वापस आ जाऊ.
हमके नईखे पता कि हम सफल होखेब कि ना, हमार सोच सही बा या गलत इ समय तय करी पर हम कोशिश इमानदार जरूर करेब औरी उहे कोशिश बा. हमार एक ही सपना बा कि आवे वाला कुछ साल में भोजपुरी फिल्म औरी संगीत उद्योग अईसन रूप ले लेबे कि साफ़ सुथरा फिल्म अउरी गाना बनावे के होड़ लाग जाऊ.
पुरुआ के अयिला से बहुत लोग प्रतिद्वंदी जईसन व्यवहार करता त बहुत लोग अछूत जईसन. हालाँकि इ स्वाभाविक बा औरी क्षणिक बा. इ स्थायी नईखे. जईसे जईसे समय बीती इ साफ़ हो जाई कि पुरुआ का बा या ओकर उद्देश्य का बा.
हां औरी एगो बात, पुरुआ खातिर ना कवनो आदमी ना कवनो मंच अछूत बा. जहाँ भी केहू निमन काम करी ओकर तारीफ करे में, ओकर प्रसार करे में पुरुआ कबो पीछे ना हटी. केहू भोजपुरी भाषा के मान्यता के आन्दोलन करता त पुरुआ के ओहू के साथै खड़ा रही औरी केहू कवनो औरी काम भोजपुरी में करता त ओकरा साथै खड़ा रही.
बेवजह जे प्रतिद्वंदता करता ओहू के इहे सलाह बा कि भोजपुरी में स्कोप बहुत बा. बहुत एरिया बा काम के औरी 50/100 गो मंच भी काम कर सन त भोजपुरी समाज औरी भोजपुरिया लोग के समस्या अतना जल्दी ना खत्म होई. त बजाय नफरत, घृणा अउरी प्रतिद्वंदता के सब केहू काम करो त मंच के भी प्रतिष्ठा बढ़ी औरी भोजपुरी के भी.
बस अंत में इहे कहेब-
वक्त आने पर बता देंगे तुझे ऐ आसमां, हम अभी से क्या बताये क्या हमारे दिल में है-
जय भोजपुरी.
धनंजय तिवारी
Next Story