"बारी के बारी कोईलासी"
BY Anonymous13 Oct 2017 10:09 AM GMT

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Anonymous13 Oct 2017 10:09 AM GMT
"ऐ बेरी परमुख के औकात बता देबे के बा।" उप ब्लाक परमुख अजोधा पूरा जोश से कहले।
"एकदम। उनकर मनमानी ना चले दिहल जाई।" नथुनीयो जोशिया के कहले।
बाकी के b.d.c. सदस्य लोग दुनु जाना के हां में हां मिलावल लोग। कुल मिलाके अब इ साफ़ रहे कि सब सदस्य लोग एक ओरी अउरी प्रमुख एक ओरी।
दरअसल भईल इ रहे कि ब्लाक में खर्च करे खातिर फण्ड आईल रहे पर परमुख जहा पईसा खर्च करे चाहत रहले बाकी लोग ओकरा खिलाफ रहे।
"जब सब केहू एकमत बा त काहे ना परमुख के खिलाफ अविश्वास लिया के उनके हटाइये दिहल जाऊ।" सदस्य लोग में सबसे छोट सुग्रीव राय देहले।
अजोधा के मुख पर खुशी के लाली छा गईल। परमुख के हटावला के मतलब कि नया परमुख उ बनिहे। एकरा ले नीमन का होई।
"बाड़े त नटूल्ला सुग्रीव पर तोरा खोपड़ी में दिमाग खूब भरल बा। आज तोरा के दू पैकेट ज्यादा पाउच पियायेब" अजोधा सुग्रीवा के मूडी पर हाथ फेरत कहलें।
"हां राय त नीमन दिहलस।" बाकी लोग भी बड़ाई कईल अउरी थोडा देर के बतकही के बाद तय हो गईल कि परमुख के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लियावल जाऊ। पर आवेदन कईसे लिखाऊ अउरी के लिखे, मामला अयिपर अटक गईल। फेनु सुग्रिव्वा ही राय दिहलस की काहे ना चलके b.d.o. मैडम से ही लिखवा लिहल जाऊ। मैडम अभी नया नया आईल रहली और उनकर परमुख से पहिलका मीटिंग में ही झगडा हो गईल रहे. ऐ वजह से पूरा विश्वास रहे की उ काम क दिहे। ओ मीटिंग में परमुख मैडम के, बड़ा अपमानित कईले रहले।
सभी सदस्य लोग ख़ुशी ख़ुशी उनका लगे गईल अउरी आपन प्रस्ताव बतावल। मैडम त पहिले से ही खैर खाईल रहली। एकरा ले बड ख़ुशी के बात का हो सकत रहे। उ तुरंते मान गईली।
सुग्रिव्वा उनकर गोड छान लेहलस अउरी निहोरा कईलस की मैडम अविश्वास प्रस्ताव वाला दरखास रउवा ही लिख दी। मैडम तनी अचकचयिली। आज उनके पता चलल कि जन प्रतिनिधि लोग के दरखास लिखे ना आवेला। उ अपना सहायक के बोला के दरखास लिखवा देहली अउरी एगो सादा पेपर दस्खत खातिर आगे बढ़ा दिहली। सबसे पहिलका नंबर आईल अजोधा के अउरी उ कलम किनारे रखके अंगूठा छाप देहले। मैडम के अचरज भईल। फेरु दिनुवा, बेचुवा, गजेंदर, वीरेंदर, सुखलाल, छांगुर, तिरलोकी भी बारी बारी से अंगूठा के निशान दे दिहल लोग। अंत में सुग्रिव्वा के नंबर आईल अउरी मैडम के उम्मीद रहे की उ कलम उठाई पर उहो अंगूठा ही छाप देहलस। मैडम के आँख अचरज से खुलल रही गईल रहे।
सब केहू अंगूठा छाप निशान देके अउरी मैडम के आभार प्रकट क के बहरी चल गईल।
करीब एक घंटा बाद परमुख उनका केबिन में अयिले अउरी उ दरखास आगे क देहली। उनकर हफरी उपट गईल अउरी पसेनियाये लगले।
आगे बढ़ के उहो मैडम के गोड छान लेहले अउरी कहले " दुहाई सरकार के। अब रउवा ही हमके बचा सकेनी। कुछ उपाय बताई। हम ओइदीन रउवा साथे बहुत बुरा व्यवहार कईनी। भले दस जूता मारली पर कवनो उपाय दी।"
"उपाय फ़ोकट में नानू दियाला?" मैडम भाव बनावत कहली।
"एकदम नाजी। हमके मुफ्त में चाह्बो ना करी।" परमुख उनकर गोड छोड़ के खड़ा हो गईले " परसमुख बने खातिर तीन बीघा बेचले बानी त अब कुर्सी बचावे खातिर भी एक बीघा बेच देब। काल्ह रउवा घरे 5 लाख पहुच जाई। बस रउवा उपाय बताई।"
पांच लाख के नाम सुनके मैडम के आँख में चमक आ गईल। पईसा ले बड़ मान अउरी दुश्मनी थोड़े होला। वईसे भी जब साथे ही काम करे के रहे त दुश्मनी क दिन के रहे।
"ठीक बा फिर हम राउर साथे साथे काम भी करवा देतानी।"
"हम ना बुझनी।"
"रउवा चाहतानी की विकास के फण्ड कहि अउरी खर्च होखे अउरी उ लोग कहि और। हम लोग के सहमति वाला पत्र दे देतानी। फिर रउवा अपना मनपसंद काम करवा ली।"
"एकरा ले बड किरपा का होई।" परमुख फिर मैडम के गोड ध लेहले।
"ली अयिपर हस्ताक्षर क दी।' मैडम बाकी सदस्य लोग के अंगूठा लगवल वाला पेपर अउरी कलम आगे क देहली। परमुख कुछ देर सकुचा के देखले और फेरु आगे बढ़ के अंगूठा लगा देहले अउरी मैडम के मुह से अनायास ही निकल गईल " बारी के बारी कोईलासी ही बाड़ लोग का !"
धनञ्जय तिवारी
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