45 करोड़ लोग हर साल गंवा रहे 20 हजार करोड़... घर बर्बाद करने वाले ऑनलाइन गेम का खेल होगा खत्म

Update: 2025-08-20 08:59 GMT

नई दिल्ली:

सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग को रेग्युलेट करने के लिए लोकसभा में महत्वपूर्ण बिल पेश किया है. इसका मकसद ऑनलाइन मनी गेम्स और सट्टेबाजी पर पूरी तरह से बैन लगाना और ई-स्पोर्ट्स व सोशल गेम्स को बढ़ावा देना है. एक अनुमान के मुताबिक, हर साल करीब 45 करोड़ लोग इन ऑनलाइन मनी गेम्स के चक्कर में फंसकर 20 हजार करोड़ रुपये से अधिक गंवा देते हैं.

सरकार क्यों लाई ये विधेयक?

केंद्र सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग से लोगों को हो रहे वित्तीय और सामाजिक नुकसान को रोकने के लिए यह बिल पेश किया है. इसका नाम प्रमोशन एंड रेग्युलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल, 2025 है. सरकारी अनुमानों के मुताबिक, हर साल करीब 45 करोड़ लोग ऑनलाइन मनी गेम्स के जाल में फंसकर नुकसान उठाते हैं. इन गेम्स की लत सिर्फ पैसों का नुकसान ही नहीं बल्कि एक सामाजिक संकट बन चुकी है.

सरकारी सूत्रों ने बताया कि एक अनुमान के अनुसार, इन गेम्स की वजह से आम लोगों को हर साल करीब 20,000 करोड़ रुपये का नुकसान होता है. इसकी लत की वजह से सैकड़ों परिवार आर्थिक रूप से बर्बाद हो चुके हैं. कई तो आत्महत्या और हिंसा जैसा गंभीर कदम भी उठा लेते हैं.

ऑनलाइन गेमिंग बिल के 3 प्रमुख हिस्से

ई-स्पोर्ट्स: इस बिल के जरिए ई-स्पोर्ट्स को पहली बार कानूनी मान्यता दी जा रही है. अब तक देश में ऑनलाइन स्पोर्ट्स गेम्स का कोई कानूनी आधार नहीं है.

ऑनलाइन सोशल गेम्स: सरकार ने ऑनलाइन सोशल गेम्स को कानूनी मान्यता देने का प्रस्ताव रखा है. ये गेम्स आम लोगों के एजुकेशन के काम आते हैं

ऑनलाइन मनी गेम्स: ऐसे ऑनलाइन गेम, जिनमें पैसों का लेन-देन होता है, उन पर बैन लगाने का प्रस्ताव है. इन गेम्स को प्रमोट करने वाले और ऐसी गेमिंग सर्विस देने वाली कंपनियों पर भी सख्त कार्रवाई के प्रावधान हैं. ऑनलाइन मनी गेम्स का प्रचार करने वालों और फंड ट्रांसफर करने वालों पर भी गाज गिरेगी.

नियम तोड़ने पर कितनी होगी सजा?

ऑनलाइन मनी गेमिंग सर्विस देने वालों को तीन साल तक की जेल या 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना हो सकता है.ऑनलाइन मनी गेम्स का विज्ञापन करने वालों को दो साल तक की जेल या 50 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकेगा.अगर कोई बार-बार नियमों का उल्लंघन करता है तो उसकी सजा बढ़कर पांच साल तक हो सकेगी, जुर्माना भी ज्यादा लगेगा.

ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन (AIGF) के चीफ एग्जिक्यूटिव रोलैंड लैंडर्स के मुताबिक, यह सेक्टर अब 2 खरब रुपये तक बढ़ चुका है. वित्त वर्ष 2025 में इस सेक्टर को 31 हजार करोड़ रुपये का रेवेन्यू हासिल हुआ था और 20 हजार करोड़ रुपये के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों का भुगतान किया गया था.

लैंडर्स के मुताबिक, पिछले वित्त वर्ष तक भारत में 50 करोड़ से अधिक लोगों ने ऑनलाइन गेमिंग सर्विस का इस्तेमाल किया था. उनका कहना है कि इस बिल के कानून बनने से 400 से ज्यादा कंपनियां बंद हो सकती हैं और दो लाख से ज्यादा नौकरियां खत्म हो जाएंगी. 

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