जानकीपुरम वार्ड की पार्षद शीबा चांद की छिनेगी सीट, फर्जी जाति प्रमाणपत्र लगाकर लड़ी थीं चुनाव
निकाय चुनाव में जानकीपुरम प्रथम वार्ड संख्या 16 से पार्षद चुनी गईं सपा की प्रत्याशी शीबा चांद सिद्दीकी के निर्वाचन पर तलवार लटक गई है। ओबीसी आरक्षित सीट पर जिस जाति प्रमाणपत्र को लगाकर उन्होंने चुनाव जीता था, डीएम की अध्यक्षता में गठित चार सदस्यीय कमेटी की जांच में वह फर्जी पाया गया है।
जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने बताया कि जांच रिपोर्ट आगे की कार्रवाई को राज्य निर्वाचन आयोग को भेज दी गई है। वहीं, पार्षद, शीबा चांद सिद्दीकी का कहना है कि प्रशासन ने जांच में मनमानी की है। तहसील स्तर से जारी जाति प्रमाणपत्र को फर्जी बताकर एकतरफा कार्रवाई की गई है। न्याय के लिए कोर्ट जाऊंगी।
भाजपा प्रत्याशी ने की थी जांच की मांग
शीबा से चुनाव में हारी भाजपा प्रत्याशी चेतना सिंह ने 29 नवंबर को जिला निर्वाचन अधिकारी व डीएम को लिखित शिकायत कर शीबा चांद की ओर से फर्जी ओबीसी प्रमाणपत्र पर चुनाव लड़ने की बात कहते हुए जांच की मांग की थी।
मामले की जांच को डीएम की अध्यक्षता में एडीएम प्रशासन, एसडीएम बीकेटी व जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी की सदस्या में कमेटी बनाई गई। इसने जांच के बाद शुक्रवार को सौंपी रिपोर्ट में शीबा के जाति प्रमाणपत्र को फर्जी मानते हुए निरस्त कर दिया। इससे उनकी पार्षदी पर तलवार लटक गई है।
1359 फसली में दर्ज मुगल से बनवाया प्रमाणपत्र
जांच में पता चला कि शीबा के पिता स्व. मुशीरबेग के 1359 फसली के अभिलेखों में मुगल शब्द दर्ज है। शीबा ने जांच कमेटी के समक्ष वकील के माध्यम से प्रमाणपत्र को फर्जी बताने पर आपत्ति दर्ज कराई थी। साथ ही बताया कि 14 अक्तूबर 2017 को बीकेटी तहसील से प्रमाणपत्र जारी कराया था।
इसके आवेदन पत्र के साथ स्वप्रमाणित घोषणा पत्र, ग्राम प्रधान की ओर से जारी प्रमाणपत्र तथा सेक्टर वार्ड का प्रमाणपत्र लगा शीबा के पिता मुशीरबेग को मुस्लिम कायस्थ बताया गया।
यह उप्र. लोकसेवा अनुसूचित जातियों अनुसूचित जनजातियों तथा अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण 1994 की अनुसूची-1 के अंतर्गत क्रमांक 77 पर ओबीसी दर्ज है। मुगल शब्द को जाति नहीं वरन उपाधि से जोड़कर बताया गया।