राजद्रोह का आरोपी दरोगा बर्खास्त, पीएम-सीएम पर की थी अभद्र टिप्पणी

Update: 2021-10-14 10:12 GMT

इटावा में तैनात राजद्रोह के आरोपी दरोगा विजय प्रताप को आईजी ने बुधवार को बर्खास्त कर दिया। उसके खिलाफ पांच केस दर्ज हैं। अनुशासनहीनता में कई बार निलंबित हुआ है और उसको दंडित किया जा चुका है। इटावा एसएसपी ने कार्रवाई के लिए आईजी को रिपोर्ट भेजी थी।

आईजी ने सभी आरोपों की सुनवाई की और साक्ष्यों के आधार पर उस पर कार्रवाई की। आईजी मोहित अग्रवाल के मुताबिक 24 अक्तूबर 2020 को फेसबुक पर दरोगा विजय प्रताप ने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री व प्रदेश सरकार को लेकर आपत्तिजनक पोस्ट डाली थी।

मामले में फ्रेंड्स कालोनी थाने में राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था। इसी दिन विशेष समुदाय को लेकर एक और पोस्ट की। इसका भी केस दर्ज किया गया। इसी दिन दरोगा के खिलाफ तीसरा मुकदमा दर्ज किया गया। यह भी भउ़काऊ व नफरती पोस्ट करने से संबंधित था। इसके अलावा एक अक्तूबर 2020 को फ्रेंड्स कालोनी थाने में ही अधिवक्ता से मारपीट का केस दर्ज हुआ।

पांचवां मुकदमा जनवरी 2021 में इटावा के थाना सहसों में भड़काऊ बयानबाजी व जनता की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का दर्ज किया गया। तब से विजय प्रताप निलंबित था। इटावा के तत्कालीन एसएसपी ने बर्खास्तगी की रिपोर्ट आईजी को भेजी थी।

आईजी मोहित अग्रवाल ने बताया कि मामले बेहद गंभीर हैं। आरोपी के खिलाफ अहम साक्ष्य भी उपलब्ध हैं। इसलिए विभागीय कार्रवाई व जांच पूरी कर उसको बर्खास्त कर दिया गया है। 

अनुशासनहीनता की सारी हदें पार कर चुका है दरोगा

आईजी की जांच के मुताबिक विजय प्रताप 2015 बैच का दरोगा है। ट्रेनिंग के दौरान पीटीसी मुरादाबाद में ही वह अनुशासनहीनता में दंडित किया गया था। मिर्जापुर में तैनाती के दौरान भाजपा नेता सुमित जायसवाल से मारपीट की थी। वहां से वह कन्नौज और फिर इटावा पहुंचा।

लॉकडाउन के दौरान 3 मार्च 2020 को सहसों थाना क्षेत्र के तहत एमपी बार्डर के पास गढ़ी मधुपुरा में उसकी ड्यूटी थी। ड्यूटी न करके लोगों को धार्मिक व जातीय आधार पर भड़काते हुए पकड़ा गया था। अनुशासनहीनता में वह पांच-छह बार निलंबित किया गया था।


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