सुप्रीम फैसले से मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी संतुष्ट, नहीं डालेंगे पुनर्विचार याचिका
लखनऊ,। राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की पीठ ने शनिवार को सर्वसम्मति से ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने विवादित भूमि पर मंदिर बनाने के लिए सरकार को आदेश दिया है। वहीं, मुस्लिम पक्ष के लिए अयोध्या में पांच एकड़ वैकल्पिक जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को दी जाएगी।
अयोध्या : सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी संतुष्ट हैं। उनका कहना है कि सभी मुस्लिम भाई फैसले का सम्मान करें। कोर्ट के निर्णय को लेकर कोई पुनर्विचार याचिका नहीं डाली जाएगी। सरकार जहां जमीन देगी वहां मस्जिद बना ली जायेगी।
आल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि हम अदालत के फैसले का स्वागत करते हैं, हम अपने देश की अदालत और अदलिया के साथ हैं। हम देखेंगे कि ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड की क्या राय है, जो ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड की राय होगी वहीं ऑल इंडिया पर्सनल शिया बोर्ड की राय होगी।
शिया मरकज़ी चांद कमेटी के अध्यक्ष मौलाना सैफ अब्बास ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं। हमने पहले ही कहा था कि फैसला जो भी होगा, उसे हम स्वीकार करेंगे और वैसा ही हमने किया भी है। सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, वह जमीन मंदिर को दे दी है और पांच एकड़ जमीन मस्जिद को दी जाए, यह बहुत अच्छी बात है। देश की जनता से हम अपील करते हैं कि आपसी भाईचारा व सद्भवना बनाए रखें। 130 करोड़ भारतीय व हिंदूस्तानियों की जीत हुई है।
बाबरी मस्जिद पक्षकार हाजी महबूब ने कहा कि मैंने अभी पूरा फैसला नहीं सुना है। अभी मेरे वकील से कोई बात नहीं हुई। मैं कुछ कहना नहीं चाहूंगा। जो कुछ निर्णय आया वो सिर आंखों पर। आगे की रणनीति बाद में। कोई निराशा का भाव नहीं है। कोर्ट ने जो फैसला दिया वो ठीक है। इस पर एतराज नहीं।
निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज होने पर महंत स्वामी दिनेन्द्रदास ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि पंच बैठेंगे और उस पर विमर्श करके मंथन करेंगे। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि राम जन्मभूमि अयोध्या में है इस पर कोई विवाद नहीं है। इससे बढ़कर और कोई बात हमारे लिए नहीं हो सकती
लखनऊ में मनकामेश्वर मंदिर की महंत देव्या गिरि ने कहा कि देश के सबसे बड़े कानून के मंदिर से फैसला आया है, सभी को इस फैसले का स्वागत करना चाहिये। आस्था के बजाय सुबूत के आधार पर जजोंं ने फैसला किया है। फैसले का स्वागत है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य और ऐशबाग ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि अभी तक फैसले की जितनी बातें आईं हैं सब महत्वपूर्ण है, कोर्ट ने सारी बातें मद्देनजर रखकर फैसला लिया है। किसी भी मंदिर को तोड़कर मंदिर नहीं बनाई गई है। हम लोगों ने शुरू से ही कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला होगा वो हमें मंजूर होगा, सभी से यही अपील है कि वो सांप्रदायिक सौहार्द्र बनाए रखें। हमारी जो भी लीगल कमेटी है वो पूरे जजमेंट पर स्टडी करेंगी उसके बाद कोई फाइनल स्टेटमेंट मुस्लिम आर्गनाइजेशन की तरफ से दिया जाएगा। यह सबका अंतिम फैसला है कि सब लोग अमन बनाए रखें।