पहले तो ये समझिए कि "वायरल लोड" और "इम्यून सिस्टम" क्या है..?
मान लें कि आप एक कमरे में एक अनजान कोविड पॉजिटिव के साथ 5 मिनट बिताते हैं तो उसके द्वारा उत्सर्जित किया गया कोविड वायरस है 1W.. और इस 1W के लिए शरीर को एंटीबॉडी बनानी होगी 1B, यानि शरीर में एंटीबॉडी बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है जो शरीर का प्रतिरोध तन्त्र एडॉप्ट कर ले जाता है।
अब सोचिए कि अगर उस अनजान व्यक्ति के साथ आप 30मिनट उसी कमरे में बिता रहे हैं तो वायरल लोड हुआ 6W,
अब इस 6W वायरस के लिए शरीर को ज्यादा मात्रा में एंटीबॉडी बनानी होगी, यानि 6B
अर्थात अचानक से शरीर पर एंटीबॉडी बनाने का भार बहुत ज्यादा पड़ेगा यानि ऑटो इम्यून डिसॉर्डर के चांसेज बढ़ जाते हैं,
जब इम्यून सिस्टम के साथ कुछ गलत होता है और ये खुद ही अपनी स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला करना शुरु कर देता है तो इसे ऑटोइम्यून रिस्पॉन्स कहा जाता है,
सरल शब्दों में बोलूं तो यूं समझिए कि एक अच्छी इम्युनिटी का व्यक्ति जब कोविड से प्रभावित होता है तो उसे लक्षण नहीं दिखाई देते हैं लेकिन अचानक से ऑटो इम्यून डिसॉर्डर होते ही व्यक्ति तीसरे या चौथे दिन में दम तोड़ देता है उदाहरण आप अपने समाज में किसी स्वस्थ व्यक्ति को जो कोविड से मृत हुआ है देख सकते हैं।
अब सोचिए कि यही अनजान कोविड पॉजिटिव आपको किसी खुले स्थान में मिलता है तो आपको वायरल लोड 1W से भी कम मिलेगा यानि आप इन्फेक्टेड तो होंगे लेकिन आपका शरीर 1B से भी कम मात्रा में एंटीबॉडी बनाएगा जो शायद आपको पता भी नहीं चले।
जब इटली, स्पेन ने खुले आसमान में इलाज करना शुरू किया तो हम भारतीय सबसे ज्यादा हल्ला मचाए कि वहां के हॉस्पिटल में जगह नहीं बची है, ऐसा नहीं था इटली की स्वास्थ्य व्यवस्था सम्पूर्ण विश्व में नम्बर एक पर है और आज के भारत से ज्यादा वेंटिलेटर वहां मौजूद हैं लेकिन उन्हें वायरल लोड समझ में आ गया और एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि जिसका एक्सपोज़र कोविड के सामने सबसे ज्यादा है यानि डॉक्टर/नर्स/वार्डवॉय वो वायरल लोड कम होने की वजह से बच गए या कम मरे अन्यथा भारत में कोरोना वारियर्स की मृत्यु दर विश्व में सर्वाधिक है जो कि बंद कमरे के अस्पताल की वजह से ही है।
तो भैया लोगों- कोविड पॉजिटिव तो हम सभी को होना ही है लेकिन ज्यादा देर वायरस के सम्पर्क में आने से बचिए, इम्युनिटी पर विचार करना बन्द कीजिए, किसी भी तरह के इंफेक्शन से बचिए, गैदरिंग से बचिए, स्वस्थ रहिए मस्त रहिए। जागरूकता फैलाइये क्रेडिट मुझे नहीं चाहिए।
डॉ अभिनव पाण्डेय 'अतुल'
अयोध्या धाम