भारत के छोटे उद्यमी : आत्मनिर्भर भारत की असली ताकत

Update: 2025-10-28 08:02 GMT

भारत आज विश्व मंच पर एक उभरती आर्थिक शक्ति के रूप में स्थापित हो रहा है। इस परिवर्तन के केंद्र में हैं — हमारे देश के छोटे और मझोले उद्यमी। ये वे सशक्त हस्तियाँ हैं जो सीमित संसाधनों में भी असीम संभावनाएँ खोज लेते हैं। अपने परिश्रम, नवाचार और साहस के बल पर ये उद्यमी आज भारत की आर्थिक प्रगति के सबसे मज़बूत स्तंभ बन चुके हैं।

गांवों और कस्बों से लेकर महानगरों तक, हर कोने में ऐसे अनेक उद्यमी हैं जो स्थानीय संसाधनों और परंपरागत ज्ञान का उपयोग करते हुए आधुनिक तकनीक से जुड़ रहे हैं। आज डिजिटल युग ने उन्हें विश्व बाजार तक पहुँचने का अवसर प्रदान किया है। भारतीय हस्तशिल्प, वस्त्र, ऑर्गेनिक उत्पाद, घरेलू उद्योग और स्टार्टअप्स अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी विशिष्ट पहचान बना रहे हैं।

आत्मनिर्भर भारत का मूल भाव केवल “देश में निर्माण” तक सीमित नहीं है। यह एक ऐसी सोच है जो स्वावलंबन, आत्मविश्वास और नवाचार की भावना को केंद्र में रखती है। छोटे उद्यमी इस सोच के जीवंत उदाहरण हैं। वे यह सिद्ध कर रहे हैं कि यदि संकल्प दृढ़ हो तो सीमाएँ मायने नहीं रखतीं।

सरकार की विभिन्न योजनाएँ — मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, मुद्रा योजना और डिजिटल इंडिया — इन उद्यमियों को नई दिशा और गति प्रदान कर रही हैं। इन पहलों ने न केवल उत्पादन क्षमता में वृद्धि की है, बल्कि लाखों लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित किए हैं। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नया बल मिला है और स्थानीय उत्पादों को वैश्विक मान्यता प्राप्त हो रही है।

आज भारत का हर छोटा उद्यमी केवल “मेड इन इंडिया” नहीं, बल्कि “मेड फॉर द वर्ल्ड” की भावना से कार्य कर रहा है। यही है आत्मनिर्भर भारत की वास्तविक शक्ति — एक ऐसा भारत जो अपनी परंपरा में निहित मूल्यों के साथ आधुनिकता की ओर अग्रसर है।

 

भारत के छोटे उद्यमी देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। वे उस श्रम, प्रतिभा और आत्मविश्वास का प्रतीक हैं जिसने भारत को वैश्विक मानचित्र पर सम्मानित स्थान दिलाया है। आवश्यकता है कि ऐसे उद्यमियों को केवल नीतिगत सहयोग ही नहीं, बल्कि समाजिक सम्मान और प्रोत्साहन भी मिले। जब हर नागरिक “स्थानीय को वैश्विक” बनाने में भागीदारी करेगा, तभी आत्मनिर्भर भारत का सपना पूर्ण रूप से साकार होगा।

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