रमा एकादशी और तुला संक्रांति का शुभ संगम : विष्णु-लक्ष्मी संग करें सूर्य देव की आराधना, तुलसी के पास दीप जलाना शुभ
17 अक्टूबर (शुक्रवार) का दिन धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। आज कार्तिक कृष्ण पक्ष की रमा एकादशी, गोवत्स द्वादशी और तुला संक्रांति का अद्भुत योग बन रहा है।
पंचांग अनुसार एकादशी तिथि सुबह 11:12 बजे तक रहेगी। चूंकि सूर्योदय के समय एकादशी विद्यमान है, इसलिए आज ही रमा एकादशी व्रत रखा जाएगा। इसके साथ सूर्य देव के तुला राशि में प्रवेश करने से तुला संक्रांति का शुभ अवसर भी रहेगा।
महालक्ष्मी के नाम पर रमा एकादशी
दीपावली से पहले आने वाली यह एकादशी महालक्ष्मी को समर्पित होती है। “रमा” नाम स्वयं लक्ष्मी जी का प्रतीक है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की संयुक्त पूजा करने से घर-परिवार में सौभाग्य, धन-धान्य और शांति बनी रहती है।
ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति पापों से मुक्ति पाकर विष्णु लोक की प्राप्ति करता है। कई स्थानों पर इसे रंभा एकादशी भी कहा जाता है।
पूजा-व्रत की विधि
प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और सूर्य देव को अर्घ्य दें। तांबे के पात्र में जल लेकर “ऊँ सूर्याय नमः” मंत्र के साथ अर्पित करें।
घर के मंदिर में दीप जलाकर विष्णु और लक्ष्मी जी का ध्यान करें।
व्रत का संकल्प लेकर दक्षिणावर्ती शंख में केसर मिश्रित दूध भरें और “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र के साथ अभिषेक करें।
मूर्तियों पर जल, फूल, वस्त्र और मिठाई का भोग लगाएं, फिर धूप-दीप जलाकर आरती करें।
दिनभर अन्न का त्याग करें। आवश्यकता हो तो फल, दूध या फलाहार ले सकते हैं।
संध्या के समय पुनः पूजा करें और तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाएं, चुनरी अर्पित करें।
तुला संक्रांति और सूर्य उपासना का महत्व
आज सूर्य देव कन्या राशि से निकलकर तुला राशि में प्रवेश कर रहे हैं। इस परिवर्तन को तुला संक्रांति कहा जाता है। इस दिन सूर्य पूजा और दान करने की परंपरा है।
ज्योतिष मतानुसार सूर्य की उपासना से स्वास्थ्य, यश, आत्मबल और तेज की वृद्धि होती है।
सुबह की किरणों से शरीर को ऊर्जा मिलती है और आलस्य दूर होता है।
इस अवसर पर सूर्य से संबंधित वस्तुएं जैसे — तांबे के बर्तन, लाल या पीले वस्त्र, गेहूं, गुड़, लाल चंदन, माणिक्य रत्न आदि का दान शुभ माना गया है। इससे व्यक्ति को धर्मलाभ, स्वास्थ्य लाभ और सामाजिक सम्मान प्राप्त होता है।
आस्था और पुण्य का संगम
रमा एकादशी और तुला संक्रांति का यह योग भक्ति, श्रद्धा और आत्मशुद्धि का प्रतीक है। इस दिन किए गए व्रत, पूजन और दान से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, समृद्धि और सौभाग्य की वृद्धि होती है।
शास्त्रों में कहा गया है —
“एकादश्यां तु यः स्नात्वा विष्णुं च पूजयेत् सदा।
सर्वपापविनिर्मुक्तो विष्णुलोकं स गच्छति॥”