अखिलेश का प्रभाव : आक्रामक से शालीन होता सैफई

Update: 2020-07-20 09:59 GMT

कोरेना - पर्यावरण जागरूकता अभियान शहीद सम्मान सायकिल यात्रा शुक्रवार की देर शाम इटावा पहुची। शनिवार और रविवार को साप्ताहिक लॉक डाउन का पालन करते हुए एकांतवास और विश्राम कर रहा हूँ । परिचित लोगों से बातचीत करने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए कुछ अभिन्न मित्रों से चर्चा भी हो रही है । 2001 से 2009 तक यहां अध्यापन कार्य और पत्रकारिता करने के कारण यहां के अधिकांश लोगों से आज भी मधुर संबंध बने हुए हैं । लोग मुझसे परिचित हैं, इसलिए बड़ी बेबाकी से और खुल कर हर सवाल का जवाब देते हैं । इससे बहुत कुछ राजनीतिक आर्थिक और सामाजिक स्थितियां साफ हो जाती हैं ।

यह सपा के संस्थापक अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव, प्रोफेसर राम गोपाल, शिवपाल सिंह,आदि सहित सपा के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की जन्मभूमि है ।अपने गांव सैफई से ही मुलायम सिंह ने अपनी समस्त गतिविधियां चलाई । जिसकी वजह से इटावा से अधिक सैफई प्रसिद्ध हो गया । उनके भतीजे स्व रणवीर सिंह ने समाजसेवा और सामाजिकता का जो मापदंड निर्धारित किया, उसकी चर्चा आज भी होती है । मुलायम सिंह सहित पूरे परिवार का नाता आज भी अपनी जन्मभूमि सैफई से बना हुआ है । जिसे जब भी गांव की याद आती है, वह सैफई आ जाता है । वैसे हर बड़े त्योहार विशेषकर होली को पूरा परिवार सैफई में होता है और क्षेत्रीय लोगो से समारोह के रूप में होली मिलन कार्यक्रम का आयोजन होता है । जिसकी चर्चा बहुत ही बढ़ा चढ़ा कर सोशल मीडिया से प्रदर्शित की जाती है ।

अब मैं अपने मूल विषय पर आता हूँ । जिस समय मुलायम सिंह ने राजनीति प्रारम्भ की थी, यहां कांग्रेस का वर्चस्व था। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेहद करीबी माने जाने वाले स्व बलराम सिंह यहां के बड़े नेता रहे । वे मुलायम सिंह की बढ़ती लोकप्रियता और अपने घटते कद की वजह से काफी चिंतित थे ।इस कारण वे आये दिन नए अवरोध पैदा करते । आये दिन इन दोनों के समर्थकों के बीच गोलियां तक चलती । जिसे आज भी यहां के बुजुर्ग बड़े चाव से सुनाते है । पूर्व कैबिनेट मंत्री बलराम और अपने विरोधियों को मात देने के लिए मुलायम सिंह यादव ने सैफई के लोगों को आक्रमक बनाया था । जिससे वे लोग विरोधियों का प्रतिकार कर सकें । उनकी इसी आक्रामकता के कारण बीसवीं सदी के अंत तक बड़े से बड़े बदमाश और डकैत तक खौफ खाते थे । इस जिले का चाहे जितना सबल और सशक्त गांव हो, सैफई से नही टकराता था। मुलायम सिंह ने आक्रामकता के साथ साथ पूरे गांव को समाजवाद की प्रयोगशाला भी बना दिया था। इस कारण आपस मे चाहे जितनी प्रतिस्पर्धा हो, अगर दूसरे गांव का कोई एक छोटे लड़के को भी अपमानित कर दे, मारपीट दे, तो पूरा गांव टूट पड़ता था। नेताजी से लेकर परिवार के हर सदस्य से पूरे गांव के मधुर संबंध जो बने, उसका भी श्रेय भी नेताजी को जाता है ।

मुलायम सिंह द्वारा लाई गई यह आक्रामकता केवल सैफई तक ही नही सीमित रही । धीरे धीरे पूरे इटावा में फैल गई । और यहां के हर गांव के लोग काफी आक्रामक हो गए । जिसकी वजह से कभी कभी इनकी आक्रामकता धृष्टता में भी बदल जाती थी । और यहां के लोग बाहरी लोगों को अपमानित भी कर दिया करते । जिसकी वजह से यहां के लोगो की बदनामी भी होने लगी। शुरुआती दिनों में तो यहां के लोग बाहरी यादवों को भी अपने से कमतर मान अपमानित करते रहते । लेकिन मुलायम सिंह के भतीजे रणवीर सिंह को इस पर विराम लगाने का श्रेय जाता है । वे काफी सामाजिक आदमी थे । सभी को समान आदर देते थे और अगर उन्हें पता चल जाता कि कोई बाहर से आया है, तो उसकी विशेष आवभगत करते। उसे अतिरिक्त सम्मान देते। स्व रणवीर सिंह की वजह से ही यहां के लोगों के व्यवहार में आ रही धृष्टता पर अंकुश लगा । अपनी सामाजिक प्रवृत्ति के कारण ही उन्होंने सैफई महोत्सव की शुरुआत की । जो आज कल काफी भव्य तरीके से मनाया जाता है । रणवीर सिंह ने मेले में दूकान लगाने वालों के लिए जो शुचिता कायम की थी, उसका अनुपालन होता है। मजाल है कि किसी बाहरी व्यक्ति के साथ कोई बदतमीजी कर दे । किसी दूकानदार से किराया ले ले। यहां आज भी दुकाने मुफ्त आवंटित होती है । इस तरह मुलायम सिंह यादव की वजह से कुछ लोग बट्टा लगा रहे थे। स्व रणवीर सिंह की वजह से उस पर अंकुश लगा ।

लेकिन इस दौरान भी सैफई के लोगों की आक्रामकता बनी रही । लेकिन बाहरी लोगों के साथ संबंधों की वजह से उनमें धीरे धीरे व्यवहारिकता का विकास होने लगा । जिसकी वजह से यहां के लोगों की लोकप्रियता फिर बढ़ने लगी । बीसवीं सदी के अंत और 21वीं सदी के प्रारंभिक दिनों में देश और प्रदेश के विभिन्न अंचलों के नेता मुलायम सिंह यादव के गांव घर मे होने वाले हर छोटे बड़े कार्यक्रमों में हफ्तों यहीं पड़े रहते । मुलायम सिंह के सैफई प्रवास के दिनों तो भीड़ हजारों में हो जाती थी ।

मुलायम सिंह यादव जब प्रदेश की सत्ता के शीर्ष पर पहुंचे, इसके बाद गांव और क्षेत्र के लोगों को अपने बच्चों को पढ़ाने लिखाने को कहने लगे । गांव और इटावा में रह कर यहां के बच्चे पढ़ नही सकते थे इस कारण उन्होंने गॉंव और जिले के बच्चों को बाहर भेज कर पढ़ाने के लिए अभिप्रेरित किया । इसके कारण गांव के अधिकांश लड़के बाहर रह कर शिक्षित होने लगे । इसमें अखिलेश का भी प्रभाव पड़ा । नेताजी ने सिर्फ गांव या इटावा वालों के बच्चों को ही बाहर भेज कर पढ़ाने के लिए अभिप्रेरित नही किया। अपने घर के सभी बच्चों को बाहर भेज कर ही पढ़ाया। इस कारण केवल उन्हीं के बच्चे गांव में राह गए, जो पुत्र मोह में फंस गए । वे हेवरा, इटावा में जाकर शिक्षित हुए ।

मुलायम सिंह ने सिर्फ गांव या इटावा के लड़को को ही उच्च शिक्षा के लिये अभिप्रेरित नही किया ।अपितु लड़कियों की शिक्षा के लिये भी लोगों को कहा। हालांकि अगर इक्का दुक्का को छोड़ दें, तो लड़कियों ने गांव घर पर रह कर उच्च शिक्षा प्राप्त की ।समय की मांग के अनुरूप मुलायम सिंह यादव ने जिसे आक्रामक बनाया , स्व रणवीर सिंह ने उन्हें सामाजिकता सिखाई । और अंत मे उन्हें शालीन और अनुशासित बनाने का श्रेय अखिलेश यादव को जाता । सैफई की धरती भी अखिलेश के जन्म से इस समय खुद को धन्य महसूस कर रही है । आज जितने लोग मुलायम सिंह को जानतेहैं, उससे कम लोग अखिलेश को नही जानते । देश के एक बड़े नेता , कई बार मुख्यमंत्री राक्षमंत्री रहे व्यक्ति का पुत्र होंने के बाद उनमें कोई भी चारित्रिक दोष नही आये, जो अमूमन आज कल के राजनेताओं के लड़को में देखे जाते हैं । उसके विपरीत अखिलेश एक मेधावी, अनुशासित, विनम्र , सुशील छात्र के रूप जाने जाते हैं ।

राजनीति में पदार्पण करने के बाद भी उनके स्वभाव में कोई परिवर्तन नही हुआ। वे पहले की ही तरह सीधे, सरल और सच्चे बने रहे । इसी कारण उनकी लोकप्रियता हर समाज और हर वर्ग में बढ़ती गई। जो लोग मुलायम सिंह की आलोचना करते रहे, वे भी अखिलेश के प्रशंसक बन गए । सांसद से लेकर मुख्यमंत्री तक का सफर उन्होंने तय किया, लेकिन राजनीतिक कलुषता उन्हें छू भी नहीं सकी । मुख्यमंत्री के रूप में तो उन्होंने बिना भेदभाव के जो विकास की धारा बहाई, उसकी किसी ने कल्पना भी नही की थी । मुख्यमंत्री बनने के शुरुआती दिनों में कहीं कुछ गलत न हो जाये, इस कारण सभी वरिष्ठों से जरूर सलाह लेते रहे। जिसकी वजह उन पर तमाम आक्षेप भी लगे। लेकिन तीन वर्ष के बाद जब वे परिपक्व हुए उसके बाद दो ही वर्षों में इतना काम कर दिया कि योगी सरकार आज भी उसे ही पूरा करने में जुटी है।

काजल की कोठरी रूपी राजनीति मे पाक साफ रहने की वजह से साथ मे क्रिकेट, वालीबाल, फुटबॉल और बैडमिन्टन खेलने वाले सैफई और आसपास गावों के युवाओं में भी शालीनता आई । उन्हें देख अन्य युवा भी शालीन हुए । हस्लाँकि अपने दोस्तों के साथ बेहद मजाकिया अंदाज वाले अखिलेश मजाक भी कभी न तो अभद्रता करते, और न किसी को प्रेरित किया। अखिलेश के चरित्र, स्वभाव, शुचितापूर्ण जीवन का बड़ा व्यापक प्रभाव पड़ा। लोग अपने बच्चों के सामने अखिलेश की नजीर देने लगे । अपने ही बीच के एक लड़के को नजीर के रूप में पाकर गांव और स्थानीय लड़कों में अपरिमित परिवर्तन आये । इस गांव के कई उच्च शिक्षित लोगों से मेरी मित्रता है । वे बातचीत से लेकर स्वभाव व आदतों तक मे बेहद शालीन, विनम् और अनुशासित नजर आते हैं । लगता ही नही, हम किसी सैफई के निवासी से बातें कर रहे हैं । इस गांव के कई घरों से मेरे करीबी संबंध हैं । अपने प्रवास के दौरान कई सैकड़ों बार मुझे यहां के लोगों ने एक बार नही, बार बार खाना खिलाया है ।

सपा के संस्थापक अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने अपने मुख्यमंतित्व काल मे सैफई का जो चहुमुखी विकास किया। उसकी वजह से प्रदेश और देश के विभिन्न कोनों से लोग आए । उनके साथ संपर्क की वजह से यहां के लोगों को और लगा कि हम सभी को अखिलेश यादव जैसा व्यवहारिक और चरित्रवान बनना चाहिए । क्योंकि यहां स्थित संस्थानों में नौकरी के लिए आने वाला हर व्यक्ति अखिलेश से मिलना और उनसे मित्रता करना चाहता। इसलिए नही कि वे नेता हैं, बल्कि इसलिए कि वे एक नेक और चरित्रवान इंसान हैं । इसकी वजह से यहां के लोगों ने भी अखिलेश के अनुरूप खुद की ढालना शुरू किया । जिसकी वजह से सैफई के लोग बड़ी तेजी से जहीन बनते चले गए । इसका एहसास मुझे अपनी इस यात्रा के दौरान हुआ। जब कई युवा लड़कों ने फोन करके मुझसे मिलने, कुछ सवालों पर चर्चा करने और भविष्य में क्या करें, इस पर अपनी राय मांगी । लॉक डाउन की वजह से उनसे कल मुलाकात होगी । जिस तरह शालीनता से नई पीढ़ी के लड़को ने बात की । वह अखिलेश के प्रभाव से आये बदलाव का ही नतीजा है । सैफई और के सामाजिक जीवन और उसके बदलाव के संबंध में जब कभी इच्छा होगी, तब उस गांव के भौतिक स्ट्रक्चर से लेकर जीवन शैली में आये परिवर्तन की चर्चा करूँगा ।

आज तो फिलहाल इतना ही कहना चाहता हूं कि जिस तरह से समय के अनुरूप मुलायम सिंह की पीढ़ी ने समय की मांग के अनुरूप खुद में और राजनीतिक शैली में बदलाव किया है । वह काबिलेतारीफ है । आज का समय ही ऐसा है । कोई भी क्षेत्र हो, जो समय के अनुरूप अपने स्वभाव और कार्य शैली में परिवर्तन करता है । वही टिक पाता है। मुलायम युग के बाद जिस अखिलेश युग की शुरुआत हुई है, वह अखिलेश यादव के इन्हीं गुणों और परिवर्तन की वजह से हुई । इसी कारण मुलायम सिंह की तरह उनकी भी राजनीतिक और सामाजिक लोकप्रियता बनी हुई है ।

प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव

पर्यावरणविद, शिक्षाविद, भाषाविद,विश्लेषक, गांधीवादी /समाजवादी चिंतक, पत्रकार, नेचरोपैथ व ऐक्टविस्ट

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