Janta Ki Awaz

व्यंग ही व्यंग - Page 18

चार गंजेड़ी (व्यंग्य) तस्वीर का लेख से कोई सम्बन्ध नहीं।

5 Nov 2018 12:51 PM GMT
किसी गाँव में चार गजेड़ी(गाँजा के पियक्कड़) रहते थे। गंजेड़ी सामान्यतः बुद्धिजीवी होते हैं। ये चारों भी घोर बुद्धिजीवी थे। एक बार चारों ने सोचा कि क्यों...

बढ़ गयी -बढ़ गयी भूख : कृष्णेन्द्र राय

27 Oct 2018 1:37 PM GMT
बढ़ गयी भूख । भईया जी अखिलेश ।।दो रोटी ज़्यादा ।खबर ये विशेष ।।सीबीआई झगड़ा ।प्रसन्नचित मुद्रा ।।कलह सीबीआई ।तोड़ डालो...

सियासी हुतुतू ... में पस्त खिलाड़ी ..टूट रहा भ्रम ? : कृष्णेन्द्र राय

15 Oct 2018 7:52 AM GMT
उठापटक तेज़ । दोस्ती है चरम ?बंगले की सौग़ात ।रूख दिखाये नरम ।।बिछ गयी गोटी ।खिचड़ी रही पक ।।लड़ो गर दिल से ।मिल जाये हक ?सियासी ये खेल ...

सुनो तिवराइन ! लाल सलाम !! आशा ही नहीं 'कुमार विश्वास' है कि 'आप' की हालात #MeToo नहीं होगी !

12 Oct 2018 6:13 AM GMT
सुनो तिवराइन !लाल सलाम !!आशा ही नहीं 'कुमार विश्वास' है कि 'आप' की हालात #MeToo नहीं होगी !हम बता नहीं सकते कितने भय के भयंकर साये में जी रहे हैं...

चुनौतियों पर कुछ लिखा जाना चाहिए.... श्वान कथा - 2

5 Oct 2018 11:12 AM GMT
अब यह लिखना कि कुत्ता एक पालतू जानवर है, उसकी चार टांगे, दो कान और एक लम्बी या जलेबी की तरह गोल पूंछ होती है। कुत्ता एक समझदार और स्वामिभक्त जानवर...

गहमागहमी चालू - लग गया ताँता:कृष्णेन्द्र राय

3 Oct 2018 5:52 AM GMT
गहमागहमी चालू ।लग गया ताँता ।।सियासी जमात ।जोड़ रहे नाता ।।घटनाएँ तो अनगिनत ।कौन लेता सुध ?वाक़ई हमदर्दी ।या स्थापन युद्ध ?धार्मिकता रंग ...

"भटक रहे युवा हो उस पर ध्यान" व्यंग्यात्मक-कविता : कृष्णेन्द्र राय

15 Sep 2018 11:29 AM GMT
भटक रहे युवा ।हो उसपर ध्यान ।।सही राह दिखाओ ।ना बनो अनजान ।।केवल झंडा-बैनर ।ना है उपलब्धि ।।इनका क्रीम पीरियड ।बस कुछ अवधि ।।दिशा सकारात्मक ।आपका है...

"रघुराम राजन आ गया बयान" व्यंग्यात्मक कविता : कृष्णेन्द्र राय

14 Sep 2018 7:49 AM GMT
रघुराम राजन ।आ गया बयान ।।यूपीए को कोसा ।सही दिया ज्ञान..? ।।एनपीए का ठीकरा ।दे डाला फोड़ ।।वर्तमान सियासत ।ली नयी मोड़ ? ।।बैड लोन घातक ।कसा था शिकंजा...

"योगी जी बतायें पूछ रही आवाम" व्यंग्यात्मक कविता:कृष्णेन्द्र राय

10 Sep 2018 7:50 AM GMT
"योगी जी बतायें पूछ रही आवाम"ना लेते संज्ञान ।आपके अधिकारी ।।आपकी है सत्ता ।फिर क्यों लाचारी ?कथनी-करनी अलग ।ना दिखे परिणाम ।।योगी जी बतायें ...

"बढ़े बांग्लादेशी निकाल करो बाहर" व्यंग्यात्मक कविता: कृष्णेन्द्र राय

9 Sep 2018 9:47 AM GMT
बढ़े बांग्लादेशी ।निकाल करो बाहर ।।ढूँढ कर निकालो ।छुपे गाँव शहर ।।हो सकते घातक ।दिमाग़ ख़ुराफ़ाती ।।भेजो इनके मुल्क ।चढ़े हमारे छाती ।।निदान है...

व्यंग्यात्मक कविता : कृष्णेन्द्र राय

6 Sep 2018 10:54 AM GMT
बदल गयी सत्ता ।आ गये इमरान ।।बंद दाना-पानी ।हाफ़िज़ ही है जान ।।रूक गयी ख़ैरात ।अमरीका ने ठोका ।।चप्पलचोर पाकिस्तान ।दिया सबको धोखा ।।सादगी का नाटक...
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