Janta Ki Awaz

भोजपुरी कहानिया - Page 43

"ट्रैन" : धनंजय तिवारी

9 Jun 2017 5:24 AM GMT
ठीक रात के नौ बजत रहे जब रजत स्टेशन पहुँचले। उनका जवन ट्रैन पकडे रहे उ सामन्यतः समय से ही आवे। माइक पर ट्रैन के बारे में उद्घोषणा होत रहे। ट्रैन दू...

देश का मिजाज गना-गन है......

8 Jun 2017 2:35 PM GMT
खूब दनादन कांड हो रहे हैं, और फनाफन लाभ लिया जा रहा है। मध्य प्रदेश में चार लोग ठोक दिए गए। बहुत पहले बॉलीवुड की मसहूर अदाकारा महजबीं कह गयीं थी- "मौत...

"मेरा हीरो " : धनंजय तिवारी

8 Jun 2017 7:58 AM GMT
"अरे रे संभाल के, पानी के छीटे इधर ना आ जाए ? क्या कर रहा है है बॉस ? देखता नहीं इधर हम लोग खड़े है और तू सफाई कर रहा है।" एक आदमी की कर्कश आवाज...

बलिया से मोतीझील आश्रम यात्रावृतांत....!!

7 Jun 2017 4:12 PM GMT
सुबह के सात बजे हैं ।मैं जैसा ही अपना मोटरसाईकिल धोने और पेट्रोल भराने के लिए निकाला वैसे ही मेरा मोबाइल का सिंगटोन बजा -"गवना करइल ए हरि जी...

"ई राशि ह, एके गोड़े ना बिटोरल जाला"

7 Jun 2017 6:00 AM GMT
"काहो राजू, गेंहू बटवावे जातार?" राम सागर काका के आवाज से हमार गोड़ ठिठक जाता अउरी फेरु हम अपना चौरी वाला खेत में ना जाके बगल के ही उनका खेत में चल...

बलिया के नामी प्रेमि पतितेश...

6 Jun 2017 1:41 PM GMT
अभी घड़ी में पाँच बजे हैं । शाम का समय हम फकीरो केध्यान स्नान का होता है। आज ध्यान में मन नहीं लग रहा । रह रहकर दिव्य दृष्टि संजय हो जाती है और...

जइसे ठेहुना के घाव -अतुल शुक्ल

6 Jun 2017 6:23 AM GMT
इधर कुकर की सीटी ने 'सी..ई..ई' की आवाज दी उधर फोन की घण्टी बज उठी । उसने जल्दी से गैस धीमी की और फुर्ती से फोन की तरफ लपकी । 'दीदी मैं स्टेशन पर हूँ ,...

पीपल की कहानी उसकी जुबानी

5 Jun 2017 11:15 AM GMT
मैं समझ नहीं पाता कि तुम्हारी किताबें झूठी हैं या संवेदनाएँ? कोई एक तो झूठा अवश्य है! क्योंकि तुम पढ़ते हो कि पेड़ सजीव हैं ...पर तुम, न तो मुझे...

ये किसका अफसाना : आलोक पाण्डेय

5 Jun 2017 11:14 AM GMT
उस दिन देर शाम घर पहुँचा तो देखा कि पत्नी पहाड़ी नागिन जैसे पेटारी में से निकल के कोरियोडोर में रेंग रही है, उसका ऐसा हमलातुर रूप पहली बार देखा था, ये...

फिर एक कहानी और श्रीमुख "हीरो"

5 Jun 2017 11:09 AM GMT
सड़क के किसी गड्ढे में बस का चक्का पड़ने से उसका सर पाइप से टकराया तो उसकी आँख खुली, उसने देखा- बस सीवान शहर को छोड़ चुकी थी। जेनरल से भी बदतर हो चुके...

"ढिशुम " : धनंजय तिवारी

4 Jun 2017 1:07 PM GMT
"भौह ,भौह …................... " के आवाज से काच नींद टूट गईल। घडी पर नजर गईल त रात के दू बजत रहे। मुश्किल से २०मिनट पहिले ही हम सुतल रहनी। आजु...
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