अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर पाकिस्तान को भारत का करारा जवाब- विदेश मंत्रालय ने कहा—जिसका खुद का रिकॉर्ड खराब, उसकी टिप्पणी निराधार
रिपोर्ट : विजय तिवारी
पाकिस्तान द्वारा भारत में रह रहे अल्पसंख्यकों को लेकर की गई टिप्पणी पर भारत ने तीखी और दो-टूक प्रतिक्रिया दी है। भारत सरकार ने पाकिस्तान के बयान को तथ्यहीन, भ्रामक और राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित बताते हुए सिरे से खारिज कर दिया है।
भारत के विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि ऐसे देश से आई टिप्पणी को स्वीकार नहीं किया जा सकता, जिसका स्वयं का अल्पसंख्यकों के प्रति रिकॉर्ड अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सवालों के घेरे में रहा है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को दूसरों पर सवाल उठाने से पहले अपने यहां अल्पसंख्यकों की स्थिति पर गंभीर आत्ममंथन करने की आवश्यकता है।
भारत का स्पष्ट रुख: संविधान और लोकतंत्र सर्वोपरि
भारत ने दोहराया कि वह एक लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष और कानून के शासन पर आधारित राष्ट्र है, जहां सभी नागरिकों को—चाहे वे किसी भी धर्म, समुदाय या पृष्ठभूमि से हों—समान अधिकार, अवसर और संवैधानिक सुरक्षा प्राप्त है।
विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि भारत का संविधान अल्पसंख्यकों के धार्मिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करता है और सरकार इन प्रावधानों के पालन के लिए प्रतिबद्ध है।
पाकिस्तान पर पलटवार: दोगलेपन का आरोप
भारत ने इशारों-इशारों में पाकिस्तान को याद दिलाया कि वहां धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा, उनकी आबादी में गिरावट, जबरन धर्मांतरण और भेदभाव जैसे मुद्दे लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठते रहे हैं। ऐसे में पाकिस्तान द्वारा भारत पर टिप्पणी करना विडंबनापूर्ण और नैतिक आधार से परे है।
भारत ने यह भी कहा कि इस तरह के बयान अक्सर आंतरिक समस्याओं और नाकामियों से ध्यान भटकाने के लिए दिए जाते हैं।
राजनयिक संदर्भ: बयानबाज़ी बनाम संवाद
कूटनीतिक जानकारों का मानना है कि इस तरह की बयानबाज़ी से भारत-पाकिस्तान संबंधों में पहले से मौजूद तनाव और गहरा हो सकता है। हालांकि भारत ने यह संकेत दिया है कि वह तथ्यों, पारदर्शिता और अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के आधार पर ही अपनी बात रखेगा और बेबुनियाद आरोपों के जवाब में संयमित लेकिन सख़्त रुख अपनाता रहेगा।
अंतरराष्ट्रीय संदेश
भारत की प्रतिक्रिया का उद्देश्य केवल पाकिस्तान को जवाब देना नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने यह स्पष्ट करना भी है कि भारत अपने लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक व्यवस्था पर अडिग है। भारत ने दोहराया कि वह मानवाधिकारों और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर चयनात्मक नैरेटिव को स्वीकार नहीं करेगा।
अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर पाकिस्तान की टिप्पणी और भारत की सख़्त प्रतिक्रिया से यह स्पष्ट है कि दोनों देशों के बीच राजनयिक तल्ख़ी बरकरार है। भारत ने स्पष्ट शब्दों में संदेश दिया है कि वह आधारहीन आरोपों को खारिज करता है और अपने संवैधानिक दायित्वों, लोकतांत्रिक मूल्यों तथा नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है।