लिव इन रिलेशनशिप पर RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा -शादी केवल शारीरिक संतुष्टि का माध्यम नहीं बल्कि सामाजिक और धार्मिक परंपराओं का संरक्षण है

Update: 2025-12-21 14:07 GMT

नई दिल्ली:

RSS प्रमुख मोहन भागवत ने लिव-इन रिलेशनशिप के कॉन्सेप्ट को लेकर अपनी राय दी है. उन्होंने रविवार को एक कार्यक्रम में कहा कि आप जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है. यह सही बात नहीं है. परिवार, शादी सिर्फ शारीरिक संतुष्टि का जरिया मात्र नहीं है. यह समाज की एक इकाई है. उन्होंने कहा कि परिवार वह जगह है जहां एक इंसान समाज में रहना सीखता है. तो ये साफ है कि ये हमारे देश, हमारे समाज और धार्मिक परंपराओं को बचाने की बात है. अगर आप शादी नहीं करना चाहते तो ठीक है. हम संन्यासी बन सकते हैं. लेकिन अगर आप वह भी नहीं करेंगे और जिम्मेदारी नहीं लेंगे तो काम कैसे चलेगा.

किसे कितने बच्चे होने चाहिए प्रश्न निजी है

मोहन भागवत ने इस कार्यक्रम में कहा कि एक कपल के कितने बच्चे होने चाहिए, यह सवाल परिवार, दूल्हा-दुल्हन और समाज का मामला है. इसका कोई फॉर्मूला नहीं दिया जा सकता. मैंने डॉक्टरों से बात करके कुछ जानकारी हासिल की है. और वे कहते हैं कि अगर शादी जल्दी यानी 19-25 साल के बीच होती है और तीन बच्चे होते हैं, तो माता-पिता औऱ बच्चों की सेहत अच्छी रहती है. मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि तीन बच्चे होने से लोग ईगो मैनेजमेंट सीखते हैं. 

जन्म दर अगर कम होती है तो असर पड़ेगा

RSS प्रमुख ने कहा कि जनसांख्यिकी विशेषज्ञों से भी मुझे खास जानकारी मिली है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर जन्म दर तीन से कम हो जाती है, तो जनसंख्या घट रही है, और अगर यह 2.1 से नीचे चली जाती है, तो यह खतरनाक है. फिलहाल, बिहार की वजह से ही हमारी जन्म दर 2.1 है; अन्यथा, हमारी दर 1.9 है. मैं एक उपदेशक हूं, अविवाहित हूं. मुझे इस मामले में कुछ नहीं पता. मैंने आपको यह जानकारी प्राप्त जानकारी के आधार पर दी है.

उन्होंने आगे कहा कि हमने जनसंख्या का प्रभावी प्रबंधन नहीं किया है. जनसंख्या एक बोझ है, लेकिन यह एक संपत्ति भी है.हमें अपने देश के पर्यावरण,बुनियादी ढांचे, सुविधाओं, महिलाओं की स्थिति, उनके स्वास्थ्य और देश की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए 50 वर्षों के पूर्वानुमान पर आधारित नीति बनानी चाहिए.

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