मनरेगा पर बुलडोजर का आरोप, ग्रामीण गरीबों के अधिकारों की लड़ाई तेज — सोनिया गांधी का मोदी सरकार पर तीखा हमला

Update: 2025-12-20 12:49 GMT

रिपोर्ट : विजय तिवारी

नई दिल्ली।

कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने संसद से ‘विकसित भारत–जी राम जी विधेयक’ के पारित होने के बाद केंद्र सरकार पर मनरेगा को कमजोर करने का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि मौजूदा नीतिगत फैसले और प्राथमिकताओं में बदलाव से ग्रामीण भारत के गरीब, किसान, मजदूर और भूमिहीन वर्ग के हितों पर सीधा हमला हुआ है।

एक वीडियो संदेश के माध्यम से सोनिया गांधी ने मनरेगा की पृष्ठभूमि और उसके व्यापक सामाजिक महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि लगभग दो दशक पहले मनरेगा कानून संसद में सर्वसम्मति से पारित हुआ था, जिसने ग्रामीण भारत को रोजगार का कानूनी अधिकार दिया। यह कानून करोड़ों वंचित और गरीब परिवारों के लिए सम्मानजनक आजीविका का भरोसा बना।

उन्होंने कहा कि मनरेगा के चलते ग्रामीण क्षेत्रों से मजबूरी में होने वाले पलायन पर प्रभावी रोक लगी। लोगों को अपने गांव, परिवार और जमीन से जुड़े रहते हुए काम मिला। इसके साथ ही ग्राम पंचायतों को सशक्त बनाकर स्थानीय स्वशासन को मजबूती दी गई, जिससे विकास की प्रक्रिया गांव स्तर पर तेज हुई।

सोनिया गांधी ने मनरेगा को महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज की अवधारणा से जोड़ते हुए कहा कि यह योजना आत्मनिर्भर और सशक्त ग्रामीण भारत की दिशा में एक ठोस कदम थी। हालांकि, उनका आरोप है कि वर्तमान समय में बजटीय प्रावधानों, काम के अवसरों और भुगतान व्यवस्था से जुड़े मुद्दों के कारण इस योजना की मूल भावना कमजोर की जा रही है।

कांग्रेस नेता के अनुसार, इन बदलावों का सबसे अधिक असर छोटे किसानों, दिहाड़ी मजदूरों और भूमिहीन परिवारों पर पड़ रहा है, जिनके लिए मनरेगा संकट के समय सुरक्षा कवच की तरह काम करता रहा है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण रोजगार और सामाजिक सुरक्षा से जुड़े कानूनों को कमजोर करना देश के समावेशी विकास के लिए घातक है।

अपने संदेश के अंत में सोनिया गांधी ने स्पष्ट किया कि कांग्रेस मनरेगा सहित ग्रामीण गरीबों के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। पार्टी संसद के भीतर और बाहर, लोकतांत्रिक तरीकों से सरकार की नीतियों का विरोध करती रहेगी और जनहित के मुद्दों को मजबूती से उठाएगी।

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