जिस कायस्थ जाति के नितिन नवीन बने BJP अध्यक्ष, उसका यूपी, बिहार से लेकर बंगाल तक कितना दबदबा

Update: 2025-12-15 08:29 GMT

नई दिल्ली:

बीजेपी ने तमाम कयासों को विराम देते हुए बिहार के विधायक नितिन नवीन को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया है. माना जा रहा था कि जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए भाजपा पिछड़ा वर्ग या दलित समुदाय से किसी को राष्ट्रीय अध्यक्ष बना सकती है, लेकिन सबको चौंकाते हुए कायस्थ जाति से आने वाले नितिन नवीन को पार्टी की कमान सौंपी गई है. देश भर में कायस्थों की आबादी 2.5 से 3 करोड़ तक बताई जाती है, जो कुल आबादी का 2 से ढाई फीसदी तक है. उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल में इनकी बड़ी आबादी है और बड़ा राजनीतिक असर भी है.

मुगल काल और फिर ब्रिटिश काल में कायस्थों को लेखक, मुंशी-मुनीम, राजस्व संग्रह करने वाले और लिपिकों के पेशेवर समूह के तौर पर पहचान मिली. हालांकि उनका उल्लेख 10वीं-11वीं सदी से मिलता है. उच्च शिक्षा प्राप्त कायस्थ जाति के लोग शीर्ष पदों पर पहुंचे. उसके बाद स्वतंत्रता आंदोलन और आजाद भारत की राजनीति में उनका रसूख रहा है.

देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद और लाल बहादुर शास्त्री भी इसी समुदाय से थे. हरिवंशराय बच्चन, मुंशी प्रेमचंद्र ने साहित्य जगत में नाम रोशन किया. विज्ञान के क्षेत्र में शांति स्वरूप भटनागर, जगदीश चंद्र बोस और सत्येंद्र नाथ बोस अविस्मरणीय हैं. स्वतंत्रता आंदोलनकारियों की बात करें तो सुभाष चंद्र बोस, चितरंजन दास, रासबिहारी बोस, गणेश शंकर विद्यार्थी को भी भुलाया नहीं जा सकता.

बंगाल विधानसभा चुनाव में कायस्थ वोटों का असर

पश्चिम बंगाल में कायस्थों की आबादी 27 लाख से अधिक बताई जाती है. बंगाल के ज्यादातर हिस्सों में कायस्थ फैले हुए हैं. घोष, बोस, दत्ता, गुहा और अन्य उपनामों से इन्हें जाना जाता है. कायस्थ समुदाय बंगाल में भी संपन्न और प्रभावशाली समुदायों में से एक हैं.बंगाल विधानसभा चुनाव में भी उनकी बड़ी भूमिका रहेगी. कोलकाता के आसपास भी इनकी उल्लेखनीय संख्या है.

यूपी में कायस्थों का राजनीतिक प्रभाव

अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के अनुसार, यूपी में कायस्थों की आबादी 1.5 से 2 करोड़ के बीच है, जो प्रदेश की जनसंख्या का 3 से 4 फीसदी तक है. प्रदेश के 37 जिलों की 67 विधानसभा सीटों पर उनकी अच्छी खासी तादाद है और राज्य की 25 सीटों पर वो निर्णायक भूमिका निभाते हैं. कायस्थों को लाला भी कहते हैं. यूपी, बिहार में श्रीवास्तव, सिन्हा, माथुर, सक्सेना उपनाम से ये पहचाने जाते हैं.कायस्थ खुद को भगवान चित्रगुप्त का वंशज मानते हैं. आढ़ती, बनिया भी काफी संख्या में इसी समुदाय से होते हैं. कानपुर, उन्नाव, लखनऊ, आगरा, बरेली से लेकर अलीगढ़ तक उनकी संख्या अच्छी खासी संख्या में है.

बिहार में कायस्थों की आबादी

बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी और जेडीयू ने सिर्फ 1-1 सीट पर ही कायस्थ उम्मीदवार को उतारा था. बीजेपी से सिर्फ नितिन नवीन उम्मीदवार थे, जो 5वीं बार चुनाव जीतकर मंत्री भी बने. बिहार में कायस्थ जाति की आबादी महज 0.5 फीसदी ही है. नितिन नवीन के पिता नवीन किशोर सिन्हा भी बीजेपी के बड़े नेता रहे हैं. हालांकि अब कायस्थ समुदाय से राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाकर पार्टी ने बड़ा संदेश दिया है.


माना जा रहा है कि 14 जनवरी को मकर संक्रांति के बाद नितिन नवीन को पूर्णकालिक अध्यक्ष बनाया जा सकता है. अमित शाह के गृह मंत्री बनने के बाद जेपी नड्डा भी पहले कार्यकारी अध्यक्ष थे.बिहार में रविशंकर प्रसाद, ऋतुराज सिन्हा और संजय मयूख भी इसी समुदाय से आते हैं. प्रधानमंत्रीनरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, जेपी नड्डा जैसे बड़े बीजेपी नेताओं ने नितिन नबीन को बधाई दी है. 

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