विजय दिवस 2025 : 1971 की ऐतिहासिक जीत को नमन, भारतीय सेना के शौर्य और बलिदान को कृतज्ञ राष्ट्र का सलाम
रिपोर्ट : विजय तिवारी
नई दिल्ली।
देश आज विजय दिवस पूरे सम्मान, गर्व और भावनात्मक श्रद्धा के साथ मना रहा है। यह दिन भारतीय इतिहास का वह स्वर्णिम अध्याय है, जब 1971 के भारत–पाकिस्तान युद्ध में भारतीय सशस्त्र बलों ने अद्वितीय साहस, अनुशासन और रणनीतिक कुशलता का परिचय देते हुए निर्णायक विजय प्राप्त की थी। इस युद्ध के परिणामस्वरूप पूर्वी पाकिस्तान स्वतंत्र हुआ और बांग्लादेश का गठन हुआ, जिसने न केवल उपमहाद्वीप बल्कि वैश्विक राजनीति की दिशा भी बदल दी।
शीर्ष संवैधानिक और राजनीतिक नेतृत्व ने दी श्रद्धांजलि
विजय दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत देश के कई वरिष्ठ नेताओं ने 1971 के युद्ध में शहीद हुए वीर जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की। सभी नेताओं ने भारतीय सेना के अदम्य साहस, सर्वोच्च बलिदान और राष्ट्र के प्रति निष्ठा को नमन करते हुए कहा कि यह विजय भारत की सैन्य क्षमता और नैतिक शक्ति का प्रतीक है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संदेश में कहा कि 1971 की जीत केवल युद्धक्षेत्र की सफलता नहीं थी, बल्कि यह भारत के मानवीय मूल्यों, लोकतांत्रिक सोच और निर्णायक नेतृत्व की विजय थी। उन्होंने कहा कि देश आज जिस आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहा है, उसकी नींव ऐसे ही ऐतिहासिक क्षणों में रखी गई थी।
रक्षा मंत्री और गृह मंत्री के संदेश
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विजय दिवस को भारतीय सेना की पेशेवर दक्षता, संयुक्त सैन्य रणनीति और अनुशासन की मिसाल बताया। उन्होंने कहा कि 1971 का युद्ध इस बात का प्रमाण है कि भारतीय सशस्त्र बल किसी भी चुनौती का सामना करने में पूर्ण सक्षम हैं और राष्ट्र की सुरक्षा सर्वोपरि है।
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह जीत न केवल सैन्य पराक्रम की कहानी है, बल्कि भारत द्वारा मानवीय संकट के समय जिम्मेदारी निभाने का उदाहरण भी है। उन्होंने कहा कि शहीदों का बलिदान आने वाली पीढ़ियों को देशभक्ति और कर्तव्य का मार्ग दिखाता रहेगा।
योगी आदित्यनाथ का श्रद्धा संदेश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विजय दिवस पर वीर सैनिकों को नमन करते हुए कहा कि 1971 में भारतीय सेना ने अपने साहस और संकल्प से यह सिद्ध किया कि भारत की सीमाओं की रक्षा अडिग हाथों में सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि शहीदों का त्याग राष्ट्र की चेतना में सदैव जीवित रहेगा।
सोशल मीडिया पर गूंजा विजय दिवस का संदेश
विजय दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, गृह मंत्री सहित कई नेताओं ने सोशल मीडिया पर पोस्ट साझा कर 1971 के युद्ध के वीरों को नमन किया। इन संदेशों में भारतीय सेना के पराक्रम, बलिदान और अनुशासन को याद करते हुए देशवासियों से राष्ट्रीय एकता और देशप्रेम को और मजबूत करने का आह्वान किया गया।
1971 का युद्ध : 13 दिनों में बदला इतिहास
1971 का भारत–पाक युद्ध केवल 13 दिनों में निर्णायक रूप से समाप्त हुआ। थलसेना, नौसेना और वायुसेना के सटीक समन्वय ने युद्ध को भारत के पक्ष में मोड़ दिया। इस संघर्ष में 90,000 से अधिक पाकिस्तानी सैनिकों का आत्मसमर्पण हुआ, जिसे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ा सैन्य आत्मसमर्पण माना जाता है। यह जीत भारत की रणनीतिक सोच और सैन्य नेतृत्व की ऐतिहासिक सफलता के रूप में दर्ज है।
देशभर में श्रद्धांजलि और स्मृति कार्यक्रम
विजय दिवस के अवसर पर देश के विभिन्न राज्यों में स्मृति सभाएं, पुष्पांजलि कार्यक्रम, सैन्य समारोह और देशभक्ति से जुड़े आयोजन किए गए। युद्ध स्मारकों और सैन्य प्रतिष्ठानों में विशेष कार्यक्रमों के माध्यम से शहीदों को याद किया गया और जवानों के शौर्य को नमन किया गया।
राष्ट्र के लिए प्रेरणा
विजय दिवस केवल अतीत की जीत की याद नहीं, बल्कि यह राष्ट्रीय एकता, आत्मबल और संकल्प का प्रतीक है। यह दिन देशवासियों को यह संदेश देता है कि जब राष्ट्र एकजुट होता है, तब कोई भी चुनौती अजेय नहीं रहती।
कृतज्ञ राष्ट्र आज एक स्वर में अपने वीर सैनिकों को सलाम करता है—
जय हिंद।