काशी में गूँजा वैदिक गौरव: 19 वर्षीय वेदमूर्ति देवव्रत रेखे ने रचा इतिहास
काशी ने एक बार फिर अपने आध्यात्मिक वैभव का साक्षी बनते हुए 19 वर्षीय वेदमूर्ति देवव्रत महेश रेखे का अभूतपूर्व सम्मान किया। देवव्रत ने शुक्ल यजुर्वेद के 2000 मंत्रों के दंडक्रम पारायण को मात्र 50 दिनों में पूर्ण कर ऐसा चमत्कार रचा है, जो वैदिक परंपरा में लगभग दो सदियों बाद देखने को मिला है।
अद्भुत संयम, गहन साधना और निर्भ्रांत उच्चारण के साथ वेदमूर्ति ने इस दुरूह पाठ को तीसरी बार शुद्धतम शास्त्रीय रूप में संपन्न किया। उनकी इस अद्वितीय सिद्धि पर श्रृंगेरी के जगद्गुरुओं ने आशीर्वाद प्रदान करते हुए उन्हें विशेष रूप से सम्मानित किया।
काशी की पवित्र धरती पर उनके सम्मान में निकाली गई भव्य शोभायात्रा अनूठे उल्लास, वैदिक ध्वनियों और आध्यात्मिक ऊर्जा से भर उठी। श्रद्धालु, विद्वान और युवा विद्यार्थी इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बने, जिसने वैदिक अध्ययन के प्रति नवचेतना जगाई है।
देवव्रत रेखे की यह उपलब्धि न केवल व्यक्तिगत विजय है, बल्कि सनातन वैदिक परंपरा के उज्ज्वल भविष्य की एक प्रेरक घोषणा भी है।