उन्नाव। कृषि विज्ञान केंद्र धौरा, उन्नाव में राष्ट्रीय मधुमक्खी एवं शहद मिशन (NBHM) के अंतर्गत सात दिवसीय वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। यह प्रशिक्षण 08 से 14 सितम्बर 2025 तक चलेगा, जिसमें 25 प्रगतिशील कृषक एवं एफपीओ से जुड़े सदस्य भाग ले रहे हैं।
कार्यक्रम का शुभारम्भ गौ माता के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन से किया गया।
डा. जय कुमार यादव (नोडल मधुमक्खी पालन प्रोजेक्ट) ने बताया कि किसानों एवं एफपीओ सदस्यों को उद्यमिता स्थापित करने हेतु यह प्रशिक्षण नेशनल बी बोर्ड, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित है।
सौरभ सिंह (उद्यान निरीक्षक, उन्नाव) ने किसानों को बताया कि मधुमक्खी पालन से फसलों की उत्पादकता बढ़ती है और शहद उत्पादन से अतिरिक्त आय भी होती है।
डा. ए.के. सिंह (वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं हेड) ने मधुमक्खी पालन को आयवृद्धि का सशक्त माध्यम बताया।
डा. अर्चना सिंह (वैज्ञानिक, गृह विज्ञान) ने शहद के प्रसंस्करण एवं उत्पाद निर्माण पर जानकारी दी।
डा. धीरज कुमार तिवारी ने मधुमक्खी पालन की शुरुआत कब, कैसे और कहाँ करें, इस पर विस्तार से चर्चा की।
इंजी. रमेश चंद्र मौर्या (वैज्ञानिक, कृषि अभियांत्रिकी) ने मधुमक्खी पालन में उपयोगी उपकरणों की जानकारी दी।
रत्ना सहाय (वैज्ञानिक, मृदा विज्ञान) ने मधुमक्खी पालन से फसल उत्पादकता वृद्धि पर चर्चा की।
सुनील सिंह ने शुद्ध शहद की पहचान की विधि बताई।
अंत में डा. जय कुमार यादव (वैज्ञानिक, पौध संरक्षण एवं नोडल प्रोजेक्ट अधिकारी) ने मधुमक्खी पालन हेतु आवश्यक सामग्री, उपयुक्त प्रजातियों का चयन तथा रोग एवं कीट प्रबंधन पर विस्तृत जानकारी दी।
कार्यक्रम में डा. ए.के. सिंह, डा. अर्चना सिंह, रत्ना सहाय, डा. धीरज कुमार तिवारी, इंजी. रमेश चंद्र मौर्य, सुनील सिंह, डा. विनीता सिंह, शांतनु सिंह एवं केंद्र का समस्त स्टाफ उपस्थित रहा।