वारिस पाशा, बिलारी
समाज के कमजोर वर्गों के लिए सरकारें समय-समय पर कई तरह की योजनाएँ बनाती हैं। शिक्षा, छात्रवृत्ति, आरक्षण और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ उन्हें मिल सके, इसके लिए जाति प्रमाण पत्र एक बुनियादी दस्तावेज होता है। लेकिन बिलारी क्षेत्र के भांतू समाज के लोगों के सामने यही दस्तावेज सबसे बड़ी चुनौती बन चुका है।
वर्षों से अटकी समस्या
ग्राम सतारन के भांतू समाज के लोग बताते हैं कि वर्ष 2015 तक उन्हें जाति प्रमाण पत्र आसानी से जारी हो जाते थे। लेकिन 2016 से अब तक उनकी इस बुनियादी जरूरत पर ही रोक लग गई है। नतीजा यह हुआ कि उनके बच्चे शिक्षा संस्थानों में प्रवेश और छात्रवृत्ति जैसी सुविधाओं से वंचित हो रहे हैं।
ज्ञापन सौंप कर उठाई आवाज
रविवार को बड़ी संख्या में भांतू समाज के लोग नगर के डाक बंगला के पास स्थित सपा कैंप कार्यालय एमआई हाउस पहुँचे। उन्होंने सपा विधायक हाजी मोहम्मद फहीम इरफान को ज्ञापन सौंपकर अपनी समस्याएँ विस्तार से बताईं। समाज के लोगों का कहना था कि विभागीय अधिकारियों से भी वे कई बार मिल चुके हैं, लेकिन समाधान नहीं निकल सका।
विधायक का आश्वासन
सपा विधायक ने समाज के लोगों की समस्याएँ सुनीं और आश्वासन दिया कि वे विधानसभा सत्र के दौरान भांतू समाज के जाति प्रमाण पत्र जारी किए जाने की मांग को मजबूती से उठाएँगे। उनका कहना था कि समाज के बच्चों की शिक्षा और उनका भविष्य इस मुद्दे से सीधे-सीधे जुड़ा हुआ है, इसलिए इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
शिक्षा और भविष्य पर असर
जाति प्रमाण पत्र न मिलने से भांतू समाज के बच्चे उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश लेने में कठिनाई का सामना कर रहे हैं। साथ ही छात्रवृत्ति और आरक्षण जैसी योजनाओं से भी वंचित रह जाते हैं। समाज के लोगों का कहना है कि यह उनके बच्चों के भविष्य के साथ अन्याय है।
बड़ी संख्या में ग्रामीणों की मौजूदगी
इस ज्ञापन कार्यक्रम में ग्राम प्रधान डॉ. आसिफ मलिक, पूर्व प्रधान रियाज पाशा समेत लखन, किशन, सुनीता, लक्ष्मण, सोनिया, शिवकुमार, रोमी, कमलेश, मुन्नी, बाबूराम, अशोक, महेंद्र, शीला देवी, रामसेन, संता, शंकर और बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे।
निष्कर्ष
भांतू समाज का यह संघर्ष सिर्फ एक जाति प्रमाण पत्र का नहीं है, बल्कि यह उनके बच्चों की शिक्षा, सामाजिक न्याय और समान अवसर की लड़ाई है। यह देखना दिलचस्प होगा कि विधायक द्वारा किया गया आश्वासन किस तरह से जमीन पर उतरता है और क्या भांतू समाज को उनका हक मिल पाता है।