सांस्कृतिक आदान–प्रदान कार्यक्रम में रूसी लेखकों की सहभागिता

Update: 2025-11-21 15:01 GMT

नई दिल्ली, 21 नवंबर — सांस्कृतिक आदान–प्रदान कार्यक्रम के तहत साहित्य अकादमी में आज रूसी एवं भारतीय लेखकों के बीच संवाद का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में रूस के प्रसिद्ध फैंटेसी लेखक दिमित्री एलेक्ज़ेंड्रोविच येमेट्स ने भाग लेते हुए अपने रचनात्मक अनुभव साझा किए और प्रतिभागी लेखकों के प्रश्नों के उत्तर दिए।

कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रतिष्ठित कवि, लेखक एवं अनुवादक उदयनारायण सिंह ने की। इस अवसर पर पंजाबी लेखिका वनीता, सिंधी लेखक मोहन हिमथाणी, तथा दिल्ली विश्वविद्यालय की पूर्व रूसी भाषा प्रोफेसर रंजना भी उपस्थित रहीं। अतिथियों का स्वागत साहित्य अकादमी के हिन्दी संपादक अनुपम तिवारी और उपसचिव देवेंद्र कुमार देवेश ने पारंपरिक अंगवस्त्र एवं पुस्तकों के साथ किया।

अपने संबोधन में दिमित्री येमेट्स ने भारत की प्रकृति, पारिवारिक वातावरण और बच्चों की सक्रिय उपस्थिति से मिली प्रेरणा का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि उनका लेखन रूसी लोककथाओं पर आधारित है, जिसमें जादू और फैंटेसी के तत्वों का रोचक समावेश किया गया है। उन्होंने अपनी उस लोकप्रिय पुस्तक का भी जिक्र किया, जिसे वे ‘हैरी पॉटर’ की पैरोडी मानते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका मुख्य ध्यान किशोर साहित्य पर केंद्रित है।

एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि ई-बुक्स, ऑडियो बुक्स और सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव के चलते बच्चों के लिए लेखन अधिक चुनौतीपूर्ण हो गया है, और पाठकों की रुचि बनाए रखने के लिए नए विषयों तथा नई शैली की आवश्यकता महसूस होती है।

अध्यक्षीय वक्तव्य में उदयनारायण सिंह ने कहा कि भारत की पिछली पीढ़ियों ने रूसी बाल साहित्य का आनंद अनुवाद के माध्यम से लिया है। उन्होंने यह प्रश्न भी उठाया कि क्या बच्चों के साहित्य में भाषाई सीमाएँ भी कोई भूमिका निभाती हैं। भारतीय लेखकों ने रूसी परंपरा में भारतीय महाकाव्यों—जैसे रामायण और महाभारत—समान पौराणिक ग्रंथों के अस्तित्व के बारे में भी जिज्ञासा व्यक्त की।

कार्यक्रम का संचालन अकादमी के उपसचिव एन. सुरेश बाबू ने किया। रूस से आईं ब्रोनेत्सकाया गैलिना एडुआर्डोव्ना एवं एमेलिन एलेक्सी एलेक्जेंड्रोविच, तथा भारतीय लेखकों सुकृता पॉल कुमार, रफीक मसूदी, गौरीशंकर रैणा, कैलाश नारायण तिवारी, सुमन कुमार आदि ने कार्यक्रम में सहभागिता की।

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