भारतीय शिक्षा परिषद यूनिवर्सिटी पर गंभीर सवाल, आतंकियों से लिंक के दावों ने बढ़ाई जांच एजेंसियों की चिंता
लखनऊ, विशेष संवाददाता।
लखनऊ की भारतीय शिक्षा परिषद यूनिवर्सिटी एक बार फिर शक के घेरे में है। यूजीसी द्वारा वर्षों पहले प्रतिबंधित की जा चुकी इस संस्था के आतंकियों से कथित संबंधों के आरोप सामने आने के बाद सुरक्षा एजेंसियाँ सक्रिय हो गई हैं। मीडिया जांच में उठे नए दावों ने उस व्यवस्था पर फिर उंगली उठाई है जिसके तहत यह संस्थान ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों के माध्यम से अब तक संचालन करता रहा है।
यूजीसी का प्रतिबंध, फिर भी जारी रहा ऑनलाइन संचालन
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इस संस्था को मान्यता नहीं देने के साथ-साथ इसके खिलाफ कई चेतावनियाँ भी जारी की थीं। इसके बावजूद मीडिया रिपोर्टों के अनुसार यह यूनिवर्सिटी अपनी वेबसाइट और अन्य ऑनलाइन माध्यमों पर गतिविधियाँ संचालित करती रही।
स्थानीय प्रशासन और शिक्षा विभाग का दावा है कि समय–समय पर इस प्रकार की संस्थाओं के खिलाफ कार्रवाई की जाती है, मगर कई संस्थाएँ ऑनलाइन फर्जीवाड़े के माध्यम से लंबे समय तक पकड़ से बाहर रहती हैं।
आतंकवादी आरोपी के ‘डिग्री उपयोग’ के दावे ने बढ़ाई चिंता
हाल ही में आजतक की एक विशेष जांच (‘पड़ताल’) में यह दावा किया गया कि मुंबई ब्लास्ट से जुड़े आरोपी अताउल राहिल ने अपनी पहचान और विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए इसी यूनिवर्सिटी की कथित फर्जी डिग्री का उपयोग किया था।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि दस्तावेजों की मूल सत्यता की जांच किए बिना ये डिग्रियाँ आसानी से उपलब्ध कराई जाती थीं, जिससे संदिग्ध तत्वों के लिए पहचान बदलना आसान हो जाता था।
एटीएस और इंटेलिजेंस एजेंसियाँ सक्रिय
रिपोर्ट सामने आने के बाद उत्तर प्रदेश एटीएस और केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने यूनिवर्सिटी की गतिविधियों की पुन: जांच शुरू कर दी है।
सूत्रों के अनुसार, एजेंसियाँ निम्न बिंदुओं पर विशेष ध्यान दे रही हैं—
प्रतिबंध के बावजूद संस्था का ऑनलाइन संचालन किस तरह जारी रहा
डिग्री जारी करने की प्रक्रिया कौन संभाल रहा था
पिछले वर्षों में जारी दस्तावेजों का उपयोग किन-किन स्थानों पर किया गया
क्या किसी संगठित नेटवर्क की मदद से पहचान बदलने का कार्य हुआ
जांच अधिकारी यह भी परख रहे हैं कि क्या यह केवल आर्थिक फर्जीवाड़ा था या इसके पीछे कोई व्यापक उद्देश्य छिपा हो सकता है।
प्रबंधन की चुप्पी, छात्रों की चिंता
यूनिवर्सिटी से जुड़े कई छात्रों और अभ्यर्थियों ने ऑनलाइन उपलब्ध डिग्रियों की प्रमाणिकता पर सवाल उठाए हैं। कई का कहना है कि उन्हें इस संस्था के प्रतिबंधित होने की जानकारी ही नहीं थी।
दूसरी ओर, यूनिवर्सिटी प्रबंधन की ओर से मीडिया की पूछताछ पर अभी तक कोई औपचारिक बयान जारी नहीं किया गया है।
विशेषज्ञों की राय
शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में फर्जी या अनियमित संस्थानों का मामला नया नहीं है, लेकिन जब किसी प्रतिबंधित संस्थान का नाम सुरक्षा जोखिम से जुड़ी खबरों में आता है, तो यह शिक्षा व्यवस्था और सुरक्षा तंत्र—दोनों के लिए गंभीर चेतावनी है।
अभी जांच जारी, निष्कर्ष तक पहुंचने में समय लगेगा
अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल यह जांच प्रारंभिक स्तर पर है और किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले सभी डिजिटल रिकॉर्ड, वित्तीय लेन–देन और जारी किए गए प्रमाणपत्रों की विस्तार से जांच की जाएगी।
अंतिम रिपोर्ट आने के बाद ही यह साफ होगा कि आरोप कितने मजबूत हैं और क्या इस संस्था के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।