डॉ. टी.आर. यादव बोले पहचान और स्वीकार्यता से ही उभरते हैं असाधारण बच्चे
लखनऊ। जब तक स्कूल, अभिभावक और पूरी शिक्षा व्यवस्था न्यूरोडाइवर्स बच्चों को पहचानकर स्वीकार नहीं करती, तब तक महान वैज्ञानिक, दार्शनिक और कलाकार तैयार होना मुश्किल है। हर बच्चा अपनी अलग क्षमता लेकर आता है बस उसे समझने की जरूरत है। यह बात जीनियस लेन चाइल्ड डेवलपमेंट सेंटर, जानकीपुरम के वरिष्ठ परामर्श चिकित्सक प्रोफेसर (डॉ.) टी.आर. यादव ने न्यूरोडाइवर्सिटी की अवधारणा पर विस्तृत चर्चा कही, उन्होंने कहा कि हर बच्चा अनोखा है और उसकी पहचान जरूरी है. उन्होंने यह बात विश्व परिवर्तन मिशन और इंदिरानगर स्थित ऋषि इंटरनेशनल स्कूल के संयुक्त तत्वावधान में न्यूरोडाइवर्सिटी विषय पर आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में कही. डॉ. यादव ने कहा कि बच्चों के भावनात्मक विकास, सीखने के पैटर्न और विशेष शिक्षण तकनीकों पर ध्यान देना जरूरी है. उन्होंने कहा कि न्यूरोडाइवर्सिटी कोई कमी नहीं, बल्कि मानव मस्तिष्क की प्राकृतिक विविधता है, जिसे उचित सहयोग मिले तो यही बच्चे समाज के लिए नई दिशा तय करते हैं।
इस अवसर पर विद्यालय की प्रधानाचार्या आभा त्रिपाठी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि हर बच्चे की सीखने और समझने की क्षमता अलग होती है, इसलिए उसे उसी अनुसार मार्गदर्शन और सहयोग की आवश्यकता होती है।
कार्यक्रम के संयोजक विश्व परिवर्तन मिशन के मीडिया सलाहकार रोहित रमवापुरी ने कहा कि समाज और शिक्षा जगत में न्यूरोडाइवर्सिटी को लेकर जागरूकता बढ़ाना समय की जरूरत है। अभिभावकों और शिक्षकों ने इस सत्र को बेहद ज्ञानवर्धक बताते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम बच्चों को समझने और उनके साथ बेहतर ढंग से जुड़ने में मददगार साबित होते हैं।
विद्यालय प्रशासन ने आगे भी इस तरह के उपयोगी कार्यक्रम जारी रखने की घोषणा की।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में अभिभावक, शिक्षक और स्कूल स्टाफ शामिल हुए।