गीतकार गोपालदास नीरज को मिलना चाहिए भारत रत्न: शिवपाल

Update: 2018-07-21 01:55 GMT

लखनऊ-  गीताकर गोपालदास नीरज के निधन पर समाजसेवियों, कवियों-साहित्यकारों और राजनीतिक दलों के लोगों ने उन्हें श्रृद्धांजलि अर्पित की। इसके लिए जगह जगह शोकसभा, विचार गोष्ठियां, मौन श्रद्धांजलि, संस्मरण वाचन हुए। विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने भी उनके कृतित्व को याद किया। समाजवादी पार्टी नेता व पूर्व कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने कवि गोपाल दास को भारत रत्न देने की मांग की है। उल्लेखनीय है कि दिल्ली एम्स में भर्ती नीरज का गुरुवार को निधन हो गया था। पारिवारिक सूत्र बताते हैं कि शरीर छोड़ने के कुछ समय पहले तक कलम के इस सिपाही के हाथ लिखने से नहीं चूके। अस्पताल में वह बोल नहीं पा रहे थे तो उन्होंने कलम से लिखकर अपने हाल बयां किए।

सपा नेता व पूर्व कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने राष्ट्रीय कवि गोपाल दास नीरज के निधन पर शोक जताया और कहा कि नीरज राष्ट्र की धरोहर थे। उन्हें भारत रत्न मिलना चाहिए और कहा कि नीरज के निधन से इटावा ही नहीं पूरे देश को भारी क्षति हुई है। उनकी कमी काव्य जगत में पूरी नहीं की जा सकती है। उन्होंने इससे पहले भी भारत रत्न दिए जाने की मांग की थी परंतु उन्हें नहीं मिला था। वे केंद्र सरकार से पुन: मांग करेंगे कि नीरज को भारत रत्न दिया जाए।

कानपुर में भी विभिन्न वर्गों के लोगों ने नीरज के कृतित्व को याद किया। एक विद्यार्थी, एक गीतकार, एक शिक्षक, जैसे तमाम रूपों में उन्हें याद करने वालों की फेहरिस्त लंबी दिखी। कानपुर के क्राइस्ट चर्च डिग्री कालेज में महापंडित राहुल सांस्कृत्यायन के साथ महाकवि गोपाल दास नीरज और खड़ी बोली पर शोध करने वाले डा. ललित मोहन अवस्थी के एक साथ होने का एक चित्र भी सामने आया।

रायबरेली में कवि चंद्र प्रकाश पांडेय ने कहा कि 4 जनवरी 1925 को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के पुरावली गांव में जन्मे गोपालदास नीरज ने हिंदी सिनेमा को कालजयी गीत दिए हैं। उनके गीतों ने कई फिल्मों को बुलंदियों पर पहुंचाया तो कई अभिनेताओं को उनके गीतों से संजीवनी मिली थी। बैसवारा विकास समिति अध्यक्ष मुकेश चौहान ने कहा कि पद्म भूषण व पद्म श्री सम्मान से सम्मानित गोपालदास के गीत ऐ भाई जरा देख के चलो, कारवां गुजर गया गुबार देखते रहे जैसे गीतों को इतनी प्रसिद्धि मिली कि उन्हें आज भी लोग उतनी ही तल्लीनता से सुनते हैं, जितना पहले सुना करते थे। मंचीय कविता को जो ऊंचाइयां गोपालदास नीरज ने प्रदान की वह कालांतर में मील का पत्थर बनी हैं। बैसवारा पीजी कालेज के प्राचार्य अरूण सिंह मुन्ना, बैसवारा इंटर कालेज के प्रधानाचार्य जेपी सिंह, इंटर कालेज दुधवन के प्रधानाचार्य रामप्रताप सिंह आदि ने भी कवि के निधन पर गहरा शोक जताया है।


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