सपा के झगड़े और बसपा के असंतोष का लाभ उठाते हुए भाजपा 2017 के विधानसभा चुनाव में फतह के लिए किलेबंदी में जुट गई है। युवाओं, पिछड़ों व महिलाओं पर खास ध्यान दिया जा रहा है। इनके सम्मेलनों की बड़े स्तर पर तैयारियां की जा रही हैं। भाजपा ने कार्यक्रमों की बड़ी शृंखला तैयार की है। कार्यकर्ताओं को काम सौंप दिए गए हैं।
भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनाव में सहयोगी दल समेत कुल 73 सीटें जीती थीं। इस कामयाबी को विधानसभा चुनाव में दोहराना भाजपा के लिए चुनौती है। सत्ता की दावेदारी में उसे सपा और बसपा से जूझना है, लेकिन इन दोनों ही दलों में आंतरिक विवाद बढ़े हुए हैं। सपा में तो परिवार में ही घमासान छिड़ा हुआ है।
बसपा में नेता प्रतिपक्ष रहे स्वामी प्रसाद मौर्य, पूर्व मंत्री आरके चौधरी समेत कई विधायक, पूर्व विधायक, पूर्व सांसद और कुछ को-आर्डिनेटर मायावती के खिलाफ बगावत का बिगुल बजा चुके हैं। इनमें से ज्यादातर भाजपा में शामिल हुए हैं।
बसपा से आने वाले पिछड़े और दलित वर्ग के नेताओं को उन्हीं के बीच काम करने की जिम्मेदारी दी गई है। स्वामी प्रसाद मौर्य परिवर्तन रैली कर चुके हैं तो पूर्व सांसद जुगुल किशोर दलितों का सम्मेलन करा चुके हैं। इसी तरह अनुप्रिया पटेल ने वाराणसी में पिछड़ों, खासतौर से कुर्मियों का जमावड़ा किया तो ओमप्रकाश राजभर ने मऊ में अति पिछड़ों की रैली की। इन सभी कार्यक्रमों में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह शामिल हुए।
बसपा में नेता प्रतिपक्ष रहे स्वामी प्रसाद मौर्य, पूर्व मंत्री आरके चौधरी समेत कई विधायक, पूर्व विधायक, पूर्व सांसद और कुछ को-आर्डिनेटर मायावती के खिलाफ बगावत का बिगुल बजा चुके हैं। इनमें से ज्यादातर भाजपा में शामिल हुए हैं।
बसपा से आने वाले पिछड़े और दलित वर्ग के नेताओं को उन्हीं के बीच काम करने की जिम्मेदारी दी गई है। स्वामी प्रसाद मौर्य परिवर्तन रैली कर चुके हैं तो पूर्व सांसद जुगुल किशोर दलितों का सम्मेलन करा चुके हैं। इसी तरह अनुप्रिया पटेल ने वाराणसी में पिछड़ों, खासतौर से कुर्मियों का जमावड़ा किया तो ओमप्रकाश राजभर ने मऊ में अति पिछड़ों की रैली की। इन सभी कार्यक्रमों में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह शामिल हुए।