आगरा : पीओके में आतंकियों के शिविर पर फतेह हासिल करने के मामले में अहम भूमिका अदा की है अपने प्रदेश में आगरा ने । स्पेशल कमांडो ने आगरा में ही जांबाजी का पाठ पढ़ा था।
पहले म्यांमार और अब पाक अधिकृत कश्मीर। मिशन एक ही-बस आतंकियों की तबाही। आगरा में ट्रेंड स्पेशल कमांडोज की खूबी ही कुछ ऐसी है।
देश के किसी भी दुर्गम स्थल पर उतर सकते हैं। पीओके में आतंकियों को मार गिराने वाले कमांडोज को जांबाजी का पाठ आगरा स्थित पैरा ट्रेनिंग स्कूल (पीटीएस) में पढ़ाया गया था।यहां पर ट्रेंड कमांडो किसी भी विमान से बीस हजार फीट की ऊंचाई से भी छलांग लगा सकते हैं। जून 2015 में म्यांमार में स्पेशल कमांडोज ने आतंकियों के ठिकानों को तबाह किया था। इनकी ट्रेनिंग पीटीएस में हुई थी।
इस तरह दी जाती है ट्रेनिंग
पैरा ब्रिगेड का हिस्सा बनने के बाद पीटीएस में स्पेशल कमांडोज की ट्रेनिंग बेसिक कोर्स से शुरू होती है, जो 12 दिनों तक चलती है। विमान से किस तरीके से छलांग लगानी है, हवा में किस तरहपैराशूट खोलना है, इसका पाठ पढ़ाया जाता है। कमांडोज को तीन से पांच हजार फीट की ऊंचाई से छलांग लगवाई जाती है। पांच जंप में तीन सामान्य, एक बीस किग्रा सामान के साथ और एक रात की जंप शामिल है।
इन जंप को सही तरीके से करने पर पीटीएस द्वारा मेहरून कैप दी जाती है। कोर्स पूरा करने के बाद स्पेशल कमांडोज को खास तरीके की ट्रेनिंग दी जाती है। यह एएन 32, एमआइ हेलीकॉप्टर या फिर आइएल 76 और हरक्युलिस विमान से भी छलांग लगा सकते हैं। यहां हर साल श्रीलंका सहित अन्य देशों के जवान आते हैं। यह जवान एएन-32, आइएल-76, एमआइ-17 हेलीकॉप्टर से छलांग लगाते हैं। एक साल में देसी-विदेशी जवानों को मिलाकर 47 हजार छलांग लगाई जाती हैं।
इकलौता है मलपुरा ड्रॉपिंग जोन
देश में मलपुरा ड्रॉपिंग जोन इकलौता जोन है। जहां हर दिन सुबह से जंप शुरू हो जाती हैं। शाम व रात में भी जंप होती हैं।