उरी हमला: ये उदाहरण यही बता रहे हैं कि कुछ दिन में थम जाएगी जुबानी जंग, भुला दी जाएगी 17 जवानों की शहादत…

Update: 2016-09-19 05:03 GMT

जम्‍मू-कश्‍मीर के उरी में सेना के ब्रिगेड कैंप पर हमले ने देश को झकझोर कर रख दिया है। 17 जवान शहीद हो गए, ऐसी खबर आते ही चारों तरफ से बयान आने लगे। राजनेता से लेकर अभिनेता, सांसद से लेकर आम आदमी तक, सबने एक सुर में सैनिकों की शहादत को सलाम किया और आतंक के खिलाफ ठोस कार्रवाई की जरूरत बताई। इन बयानों में से ज्‍यादातर बयान पुरानी लीक पर थे, कोई नई बात नहीं। आजादी के बाद से ही आतंकवाद का नासूर लेकर पल रहे हमारे देश में हर आतंकी हमले के बाद कमोबेश एक जैसे बयान आते हैं। 'हम हमलों की कड़ी निंदा करते हैं, आतंकियों को बख्‍शा नहीं जाएगा।' 'हम अपने जवानों की शहादत का बदला लेंगे, आतंक फैलाने वाले देश को बेनकाब किया जाएगा।' जैसे बयानों से अखबार और टीवी पट जाते हैं। देश पर आतंकी हमलों के बाद एक तरह की जुबानी जंग शुरू होती है, मगर कभी मुकम्‍मल नहीं होती। हर बार देश की रक्षा के लिए सर्वस्‍व न्योछावर करने वाले जवानों की शहादत भुला दी जाती है। रविवार को फिर एक हमला हुआ है, फिर वैसे ही बयान आए हैं, मगर ये बातें कुछ दिन में थम जाएंगी… और जवानों की शहादत भुला दी जाएगी।

रविवार को उरी में हुआ आतंकी हमला सेना पर बीते 26 सालों का सबसे घातक हमला साबित हुआ। 17 जवानों की शहादत पर भारत गमगीन है। हम यूं ही नहीं कह रहे कि उनकी शहादत भुला दी जाएगी, पिछले उदाहरण देखें तो यह बात स्‍पष्‍ट हो जाती है कि इस बार क्‍या होगा। एक नजर डालिए, भारत पर हुए बड़े आतंकी हमलों और उसके बाद हुई कार्रवाई पर:

26 नवंबर, 2008, मुंबई आतंकी हमला

होटल ताज को अातंकियों ने बनाया था निशाना। (Source: PTI)

समुद्र के रास्‍ते 10 आतंकी मुंबई में दाखिल हुए और लोगों को मारना शुरू कर दिया। बम धमाकों और गोलीबारी की श्रृंखला चार दिन तक चली। आतंकियों ने नरीमन हाउस, होटल ताज और होटल ओबराय ट्राइडेंट पर कब्‍जा कर लिया। कई जगहों को निशाना बना गया। एक जिंदा आतंकी अजमल कसाब पकड़ा गया, बाकी सभी मारे गए। भारत के मुताबिक, लश्‍कर-ए-तैयबा ने इस हमले को अंजाम दिया जिसका मास्‍टरमाइंड हाफिज सईद है। हमले में कुल 166 लोग मारे गए और 293 घायल हुए। भारत पर हुआ यह सबसे बड़ा आतंकी हमला है। जिसके बाद बड़े-बड़े बयान आए, डॉजियर भी पाकिस्‍तान को सौंपे गए मगर आज भी भारत सरकार पाकिस्‍तान से तेज ट्रायल कराने को कहती है। कोई ठोस कार्रवाई अभी तक नहीं हुई।

2 जनवरी, 2016, पठानकोट एयरबेस हमला

पठानकोट हमले में शहीद हुए जवान का शव ले जाते साथी जवान। (Source: PTI)

सुबह करीब पंजाब के पठानकोट वायु सेना स्टेशन पर भारी मात्रा में असलहा बारूद से लैस आतंकवादियों ने हमला किया। भारत के मुताबिक जैश-ए-मोहम्‍मद द्वारा किए गए हमले में 2 जवान शहीद हुए, जबकि 3 घायलों से अस्‍पताल में दम तोड़ा। भारतीय सुरक्षा बलों ने सभी आतंकियों को मार गिराया। देश के सैन्‍य ठिकानों पर इसे सबसे बड़े हमलों में गिना जाता है। एक बार फिर, हमले के बाद बयानों की बाढ़ आई, पाकिस्‍तान की एक टीम भी दौरा करने पठानकोट आई। अभी तक, इस मामले की जांच में भी कोई खास प्रगति नहीं हुई है।

24 सिंतबर 2002, अक्षरधाम मंदिर हमला

गोधरा दंगों के बाद अक्षरधाम मंदिर पर हमला हुआ। (Source: PTI)

ऑटाे‍म‍ेटिक हथियारों और हैंड ग्रेनेड्स से लैस दो आतंकी दोपहर करीब तीन बजे अहमदाबाद के अक्षरधाम मंदिर में घुसे। घुसते ही उन्‍होंने अंधाधुध गोलियां बरसानी शुरू कर दी। एनएसजी कमांडो ने मोर्चा संभाला और रात तक दोनों आतंकियों को ढेर कर दिया गया। हमले में 31 नागरिक मारे गए थे और 80 घायल हुए थे। गुजरात के भीतर इसे सबसे बड़े आतंकी हमले के रूप में देखा जाता है। गोधरा दंगाें के जवाब में देखे गए इस हमले पर भी कुछ दिन हंगामा हुआ, उसके बाद सब शांत हो गया।

13 मई 2008, जयपुर धमाके

जयपुर में आतंकी हमले ने देश को चौंका दिया। इससे पहले कभी भी गुलाबी शहर पर हमला नहीं हुआ था। (Source: YouTube)

15 मिनट के भीतर 9 धमाकों से जयपुर समेत पूरा देश दहल गया था। दसवां बम भी मिला मगर उसे सुरक्षा बलों ने नाकाम कर दिया। इससे पहले जयपुर पर कभी भी आतंकी हमला नहीं हुआ था। एक बम तो भारत की ऐतिहासिक इमारत हवा महल के नजदीक भी फटा। जांच में पता चला कि कई इस्‍लामिक आतंकी संगठनों का हाथ इस हमले में थे। हमले में अल-कायदा के शामिल होने पर भी चर्चा हुई मगर कोई कार्रवाई सुनिश्चित नहीं की गई। इन हमलों में 63 लोग मारे गए और 210 घायल हुए।

जम्‍मू कश्‍मीर विधानसभा हमला

असेंबली में धमाके के बाद कश्‍मीर में आतंकवाद पर कड़ी कार्रवाई करने की बात की गई थी। (Source: PTI)

1 अक्‍टूबर, 2001 में जैश-ए-मोहम्‍मद के आतंकियों ने जम्‍मू-कश्‍मीर विधानसभा कॉम्‍प्‍लेक्‍स पर हमला किया। कार बम और तीन फिदायीन आत्‍मघाती हमलावरों की मदद से किए गए हमले में 38 लोग मारे गए। इसके बाद कश्‍मीर में आतंकवाद की समस्‍या को खत्‍म करने के लिए कई बैठकें की गईं, मगर नतीजा वही ढाक के तीन पात।

देश में आतंकी हमलों के बाद बैठकों का दौर शुरू होता है, कड़े बयान आते हैं, पाकिस्‍तान को कोसा जाता है, मगर धरातल पर कोई कार्रवाई होती नहीं दिखती। हमें उम्‍मीद है कि देश अपने बहादुर जवानों की शहादत को कुछ दिन बाद भुलाएगा नहीं और आतंक के मुंह पर करारा तमाचा जड़ेगा।

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