नई दिल्ली: पूर्वोत्तर के चुनाव नतीजों में बीजेपी को बंपर जीत मिलने के बाद देश का राजनीति में हलचल मची हुई है. इसी का नतीजा है कि उत्तर प्रदेश में धुर विरोधी रहीं सपा और बसपा लोकसभा उपचुनाव के लिए साथ आने को तैयार हैं. आज शाम तक इस गठबंधन का स्थानीय नेताओं के जरिए ऐलान भी हो सकता है.
सपा और बसपा के इस अप्रत्याशित गठबंधन पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़ा बयान दिया है. आज गठबंधन पर पूछे गए सवाल पर योगी ने कहा, 'कह कबीर कैसे निभे केर बेर का संग, और मुझे लगता है कि जो मैं कह रहा हूं वही सही साबित होगा.' उपचुनाव पर योगी ने कहा कि कोई दबाव नहीं है इससे पहले सिकंदरा जीते हैं, गोरखपुर और फूलपर भी जीतेगें.
क्या है इस दोहे का अर्थ?
योगी ने जिस दोहे का प्रयोग किया उसमें केर यानी केले के पेड़ और बेर यानी बेर के पेड़ का जिक्र है. बेर के पेड़ में बहुत सारे कांटे होते हैं और केले के पत्ते बहुत नाजुक होते हैं. इन दोनों की दोस्ती कभी नहीं हो सकती. क्योंकि बेर के कांटे से केले के नाजुक पत्ते को हमेशा नुकसान ही होता है.
योगी आदित्यनाथ से जब यह पूछा गया कि केर कौन है और बेर कौन है? तो उन्होंने कहा कि स्टेट गेस्ट हाउस कांड और स्मारकों को ध्वस्त करने की धमकी कौन लोग देते रहे हैं. इससे आप अनुमान लगा सकते हैं केर कौन है और बेर कौन है.
राहुल गांधी पर भी कसा तंज
पूर्वोत्तर के नतीजों को लेकर योगी आदित्यनाथ नवे राहुल गांधी पर भी तंज कसा. उन्होंने कहा, "राहुल गांधी का अध्यक्ष बनना हमारे अनुकूल है. राहुल गांधी के उपाध्यक्ष रहते दस राज्यों में सरकार बनी. अध्यक्ष रहते हुए वे पांच प्रदेश हारे हैं, उनका ये रिकॉर्ड बनता रहेगा.''
आज शाम हो सकता है बीएसपी-एसपी गठबंधन का एलान
उत्तर प्रदेश में दो सीटों फूलपुर और गोरखपुर पर 11 मार्च को लोकसभा उपचुनाव है. इस उपचुनाव में मायावती की पार्टी बीएसपी अखिलेश की समाजवादी पार्टी को समर्थन कर सकती है. इसके लिए आज इलाहाबाद और गोरखपुर में पार्टी के लोकल नेताओं की बैठक बुलाई गई है.
एसपी-बीएसपी के साथ आने से क्या बीजेपी को नुकसान होगा?
2014 के गोरखपुर लोकसभा चुनाव के नतीजे के देखें तो और सपा-बीएसपी को मिला भी दें तो भी बीजेपी करीब 1.40 लाख वोटों से आगे थी. यानी गोरखपुर में बीजेपी को ज्यादा नुकसान की उम्मीद नहीं है.
फूलपुर की बात करें तो यहां भी बीजेपी की स्थिति मजबूत है. यहां भी स्थिति गोरखपुर की तरह ही है. यानी 2014 के नतीजों के हिसाब से बीएसपी और एसपी के वोट को मिला दें तब भी बीजेपी को नुकसान होता नहीं दिख रहा. लेकिन माना जा रहा है कि एगर एसपी और बीएसपी साथ आते हैं तो बीजेपी के लिए थोड़ी मुश्किल हो सकती है.