शहीद के घरवाले बोले- पत्थर मारने वालों को देते हैं घर और नौकरी, हमारे लिए टाइम नहीं

Update: 2018-02-19 07:58 GMT

जम्मू एवं कश्मीर में पाकिस्तान द्वारा संघर्ष विराम उल्लंघन में शहीद भारतीय सैनिक हवलदार रोशन लाल के परिवार वाले जम्मू कश्मीर सरकार से खफा हैं। इनका आरोप है कि राज्य सरकार इनकी जरा सा भी सुध नहीं ले रही है। हवलदार रोशन लाल की बेटी अर्तिका ने कहा कि उनके पिता की शहादत के बाद जम्मू-कश्मीर सरकार ने उनके परिवार को कोई फोन भी नहीं किया। मासूम अर्तिका ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, "मुफ्ती जी को तो सिर्फ कश्मीर नजर आता है, उन्हें जम्मू नहीं दिखता, उनसे हम क्या उम्मीद करें, हमें कोई फोन नहीं आया।" बच्चे ही नहीं हवलदार रोशन लाल के घर के बुजुर्ग भी सरकार के रवैये से नाराज हैं। रोशन लाल के रिश्तेदार मुरारी लाल ने कहा कि यहां पर सिर्फ सियासत हो रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के पास सेना पर पत्थर बरसाने वाले लोगों को बसाने के लिए टाइम है लेकिन शहीद होने वाले लोगों से मिलने के लिए राज्य सरकार के पास कोई वक्त नहीं है। मुरारी लाल ने कहा, "सिर्फ सियासत हो रही है यहां, ये पत्थर मारने वाले को नौकरी देते हैं, घर बना के देते हैं, लेकिन जो बच्चे शहीद होते हैं, उनके लिए टाइम नहीं है।"

हवलदार रोशनलाल 4 फरवरी को राजौरी में भीमबेर गली सेक्टर में पाकिस्तान की ओर से की गई उकसावे वाली फायरिंग में शहीद हो गये थे। इस दौरान कैप्टन कपिल कुंदू, राइफलमैन रामअवतार, राइफलमैन शुभम सिंह ने भी अपने प्राणों की कुर्बानी दी थी। कैप्टन कुंदू हरियाणा के रहने वाले थे, जबकि 27 वर्षीय राइफलमैन रामअवतार ग्वालियर के बाराका गांव के, 23 वर्षीय शुभम सिंह जम्मू एवं कश्मीर के कठुआ के और 43 वर्षीय हवलदार रोशन लाल जम्मू एवं कश्मीर के सांबा के रहने वाले थे।

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