J&K: जान पर खेल कर एयरफोर्स के जवानों ने बचाई दर्द से कराह रहे मासूम की जान

Update: 2018-02-02 15:10 GMT
घाटी में भारतीय वायुसेना के जवानों ने जवानों ने अपनी जान के परवाह किए बगैर इंसानियत की मिसाल पेश की है। दरअसल उत्तरी कश्मरी के बांदीपोरा जिले के गुरेज इलाके के नौ साल के मासूम तौफीक की अचानक से तबियत खराब हो गई। एपेंडिक्स के दर्द के मारे मासूम कराह रहा था।
गुरेज में उचित चिकित्सा व्यवस्था न होने के कारण मासूम की तबितयत और बिगड़ती जा रही थी। बांदीपोरा के डॉक्टरों ने तौफीक के पिता को उसे श्रीनगर ले जाने की सलाह दी लेकिन खराब मौसम में यातायात बंद था और बर्फबारी के बीच 120 किमी दूर श्रीनगर का सफर करना खतरे से खाली नहीं था।
इस वजह से मासूम के परिवार ने पुलिस और एयरफोर्स से मदद की गुहार लगाई। मासूम की स्थिति को देखने के बाद एयरफोर्स के अधिकारियों ने बिना किसी देरी के श्रीनगर स्टेशन को मैसेज भेज तुरंत एक हेलिकॉप्टर को बांदीपोरा भेजने के लिए कहां लेकिन खराब मौसम के चलते हेलिकॉप्टर सुबह तक उड़ान न भर सका।
फिर भी एक हेलिकॉप्टर को किसी भी हालात में तैयार रहने के लिए कहा गया। इसी बीच सूचना मिली की मौसम में कुछ हद तक सुधार हुआ है फिर क्या वायुसेना के जांबाज दो पायलटों ने बिना अपनी जान की परवाह किे मासूम को बचाने के लिए अपने मिशन पर निकल पड़े।
कुछ मिनटों की उड़ान के बाद भारतीय वायुसेना का हेलिकॉप्टर सफलतापूर्वक गुरेज में लैंड किया और मासूम तौफीक और उसके पिता को लेकर वापस श्रीनगर आ गया।
फिलहाल श्रीनगर में भर्ती है तौफीक
वायुसेना द्वारा सफलतापूर्वक श्रीनगर पहुंचाने के बाद तौफीक को श्रीनगर के एक अस्पताल में भर्ती है जहां उसका इलाज जारी है। वायुसेना ने उसके जल्द स्वास्थ होने की कामना की है।
इन दो जांबाजों ने अंजाम दिया ये मिशन
श्रीनगर एयरफोर्स के स्क्वाड्रन लीडर विनीत सिंह सिकरवार और उनके सह-पायलट लक्ष्य मित्तल बादल और बर्फबारी के बीच बिना अपनी जान की परवाह किए बगैर मासूम तौफीक को बचाने निकल पड़े।
बांदीपोरा पहुंच कर तौफीक और उनके पिता को लेकर वापसी की उड़ान भरी और आसमान में छाए काले बादल और हल्की बर्फबारी के बीच हेलिकॉप्टर की सफलतापूर्वक श्रीनगर में लैंडिंग कराई।

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