कारसेवकों पर फायरिंग के लिए मुलायम पर हो केस

Update: 2017-11-08 01:03 GMT

नई दिल्ली- अयोध्या में 1990 में कारसेवकों पर हुई पुलिस फायरिंग के लिए उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। याचिका में मुलायम सिंह के छह फरवरी 2014 के भाषणों को आधार बनाया गया है।

मंदिर आंदोलन के दौरान 30 अक्टूबर 1990 को अयोध्या में हजारों कारसेवक जमा हुए थे। पुलिस फायरिंग में बड़ी संख्या में कारसेवक मारे गए थे और कई घायल भी हुए थे। लखनऊ निवासी राणा संग्राम सिंह ने वकील विष्णु शंकर जैन के माध्यम से याचिका दायर की है। निचली अदालत और इलाहाबाद हाईकोर्ट से मामला खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका की गई है।

याची के वकील ने कानूनी प्रश्न उठाया है कि क्या मुख्यमंत्री गोली चलाने का आदेश दे सकते हैं। और यदि दे सकतें हैं तो किस कानून के तहत दे सकते हैं?

गैरकानूनी रूप से जमा भीड़ को तितर-बितर करने के लिए सीआरपीसी में किसे कार्रवाई और बल प्रयोग करने का आदेश देने अधिकार है?

हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते समय इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि मुलायम सिंह ने जनसभा में स्वीकार किया है कि उन्होंने कारसेवकों पर गोली चलाने का आदेश दिया था। इतना ही नहीं उन्होंने दूसरी जनसभा में कहा कि अगर वह गोली चलाने का आदेश नहीं देते तो मुसलमानों का भरोसा टूट जाता। जनसभा में मुलायम सिंह ने अपराध स्वीकृति वाला बयान दिया है।

याचिका में हाईकोर्ट के तीन मई 2016 के आदेश को चुनौती दी गई है।

क्या है मामला : राणा संग्राम सिंह ने मुलायम सिंह के मैनपुरी और गोंडा की जनसभा में छह फरवरी 2014 को दिए गए भाषण के आधार पर दो अप्रैल 2014 को लखनऊ के जानकीपुरम थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। बयान के आधार पर उनके खिलाफ धारा 302 और 120बी (हत्या और आपराधिक साजिश) का प्रयोग करने की मांग की। 

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