Janta Ki Awaz

भोजपुरी कहानिया - Page 12

पुरुआ की भोजपुरी फ़िल्म लघु फ़िल्म "दहेज" रिलीज....

1 May 2018 5:33 AM GMT
पिछले कुछ वर्षों में फिल्म उद्योग में व्यवसायिकता ने अपनी कालिमा कुछ इस प्रकार बिखरी है कि एक समय जो भोजपुरी फिल्म जगत अपनी सांस्कृतिक, पारिवारिक व...

रामचरितमानस का कलियुग

29 April 2018 11:20 AM GMT
कागभुशुण्डि जी से गरुण जी ने पूछा- कारन कवन देह यह पाई। तात सकल मोहि कहहु बुझाई।।कि किस कारण से आप यह कौए का शरीर पाए हैं, वह मुझे समझा कर...

"तलवार"

24 April 2018 2:16 PM GMT
लगभग 1300 बर्ष पुरानी बात है, बर्तमान पाकिस्तान का सप्तसैंधव प्रदेश अभी अरबी आक्रांताओं से पददलित नही हुआ था। सिंधु,विपाशा, शतद्रु आदि नदी तट के वनो...

फिर एक कहानी और श्रीमुख "मन न भए दस बीस"

15 April 2018 1:35 PM GMT
झाँसी और ग्वालियर के बीच में राजपूतों का एक छोटा सा गाँव था, रामपुर। कहने की आवश्यकता नहीं कि यहाँ की मिट्टी फसल से अधिक योद्धा उपजाती थी। उन्नीसवीं...

फिर एक कहानी और श्रीमुख "फिरोजा' .

8 April 2018 2:23 PM GMT
थार रेगिस्तान की गोद में बसा भारत का एक छोटा सा सीमांत राज्य जालोर; यहां के पशुओं की नाड़ी में भी रक्त के स्थान पर स्वाभिमान बहता था। यहां के चौहान...

कौवे और गिद्ध (कथा)

3 April 2018 1:13 PM GMT
युगों पुरानी बात है, मूर्खिस्तान के जंगल में असंख्य प्रजाति के पशु पक्षी बड़े प्रेम से रहा करते थे। प्रेम इसलिए था, कि सब अपना अपना आहार इकट्ठा करते...

तेरी मोहब्बत : यूरेका ! यूरेका !

1 April 2018 10:22 AM GMT
"तरुणाई के दहकते पन्ने पर जब जज्बात की ख़्यालाती कलम चलती है फिर कहानियाँ नहीं जिंदगिया मचलती हैं।" मचलने से याद आया !मचले तो हम भी थे तेरी...

आपकी चिट्ठी मिली तो युगों बाद कोई चिट्ठी मिली....

30 March 2018 2:52 PM GMT
आदरणीय कल्पना दीदी सादर चरण स्पर्श...हम यहाँ कुशल पूर्वक रह कर संझा माई और सुरुज बाबा से रोज गोहराते हैं कि आपलोग भी कुशल होंगे।आपकी चिट्ठी...

अब बहिना नाराज क्यो है भाई से यह सब पूछेंगे

30 March 2018 2:48 PM GMT
आदरणीय कल्पना बहिना सादर प्रणाम ! दस साल बाद आप इस आभासी पटल पर दिखीं तो मन हुआ की क्षमा मांग कर आपको चिठ्ठी लिखूँ । बियाह होने...

मैं महुआ सी मादकता लिए गुड़ सा गमक रहा हूँ

23 March 2018 1:22 PM GMT
बैशाख जानता है कि टपकने को तैयार महुआ के खेप से भरे पेड़ों को देख कर कैसा लगता है। कल्हुआड़ से निकलती गुड़ की सोंधी महक कैसे मदमत्त कर देती है, यह ऊँख की...

कवि मरते नहीं, बस गुजर जाते हैं...

20 March 2018 11:49 AM GMT
प्रकृत कवि को मार ही नहीं सकती।जब लम्बे और बोझिल विमर्शों के बाद सभागार में केवल जूते दिखाई देने लगें,तो किसी न किसी को केदारनाथ होना पड़ता है।अपने हक...

पापा कथा सुनवले रहनी...

16 March 2018 11:10 AM GMT
अंग्रेजी जबाना रहे, आ गरीबन पर होखे वाला अत्याचार चरम पर रहे। ओहि दिन में अपने बिहार के एगो भोजपुरिया जवान जवन बड़ी निमन कवि आ गायक रहे उ जाली नोट छापे...
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