20 अप्रैल 2023 दिन बृहस्पतिवार समय 9:42 28 सेकंड दिल्ली खग्रास सूर्य ग्रहण

Update: 2023-04-20 04:40 GMT

सूर्य ग्रहण 2023

(ज्योतिषाचार्य जया सिंह)

 

ग्रहण का आरंभ 7:05 से प्रारंभ होकर के 12:29 को समाप्त होगा। इस प्रकार से ग्रहण की अवधि 5 घंटे 24 मिनट की होगी I यह सूर्य ग्रहण अंटार्कटिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, हिंद महासागर, इंडोनेशिया, फिलीपींस एवं दक्षिण प्रशांत महासागर में दिखाई देगा ।

यह सूर्य ग्रहण हाइब्रिड सूर्य ग्रहण है, एक असामान्य प्रकार का सूर्य ग्रहण है जो एक वलयाकार से सभी ग्रहणों से अलग होता है और जब चंद्रमा की छाया पृथ्वी की सतह से गुजरती है तो फिर वापस आती है अतः यह पूर्ण सूर्य ग्रहण ,आंशिक सूर्यग्रहण एवं वलयाकार सूर्यग्रहण के बीच की अवस्था होती है इस कारण इसे हाइब्रिड सूर्य ग्रहण कहते हैं I हमेशा ही सूर्योदय और सूर्यास्त के समय ही सूर्य ग्रहण होगा तब ही ऐसी आकाशीय घटना घटती है, ये घटना 100 साल में एक बार ही होती है । इस सूर्यग्रहण का नाम निंगालू रखा गया है, क्योंकि यह ग्रहण सबसे पहले ऑस्ट्रेलिया के पश्चिमी क्षेत्र में निंगालू नामक स्थान में सबसे पहले दिखाई देगा ।

यह ग्रहण एक अंगूठी का आकार लेगा जिसे रिंग ऑफ फायर भी कहते हैं ।

गणितीय बिंदु– मेष -राशि, विष्कुंभ- योग, करण- किन्स्तुघन ,वर्ण - क्षत्रिय, वश्य -चतुष्पाद , नक्षत्र- अश्विनी द्वितीय चरण, योनि- अश्व, गण- देव ,वर्ग- सिंह, तत्व- अग्नि, नाडी- आद्या ,राशि और नक्षत्र पाया स्वर्ण

शास्त्र गत विवेचन–

वराहमिहिर रचित बृहद संहिता– के अनुसार -प्रकाश पुंज सूर्य और चंद्रमा के उदय अथवा अस्त के समय यदि ग्रहण पड़े तो खरीफ की फसल को खतरा होता है , तथा देश के राजा पर खतरा मंडराता है। इसके अतिरिक्त ग्रहण से प्रभावित वृत पर पाप प्रभाव हो तो भी देश में भुखमरी एवं महामारी का आगमन होता है I जिन देशों में ग्रहण दृष्टिगोचर होता है उन पर इनका अधिक प्रभाव होता है ।

भद्रबाहु संहिता– मेष राशि में ग्रहण हो तो मनुष्य को पीड़ा होती है ,

पहाड़ी प्रदेश ,पंजाब ,दिल्ली, दक्षिण भारत ,महाराष्ट्र आंध्र प्रदेश, वर्मा आदि प्रदेशों के निवासियों को अनेक प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ता है I

कुंडली का आकलन वैज्ञानिक शैली में—

मिथुन लग्न का उदय हो रहा है ,लग्नेश एकादश भाव में और एकादश भाव का स्वामी मंगल लग्न में मिथुन राशि अर्थात परिवर्तन योग में लग्नेश एवं एकादशेश हैं, यहां से मंगल चतुर्थ भाव कन्या राशि सप्तम भाव धनु राशि अष्टम भाव मकर राशि से दृष्टि संबंध बना रहा है I जो कि बिल्कुल भी अच्छा संकेत नहीं है ,क्योंकि यहां पर मंगल छठे भाव का स्वामी भी है I प्राकृतिक दुर्घटनाओं के साथ -साथ बीमारियों के संकेत दे रहा है ।

तृतीय भाव का स्वामी सूर्य और द्वितीय भाव का स्वामी चंद्रमा एकादश भाव में राहु/ केतु अक्ष पर बुध के साथ स्थित है ,जिस पर अष्टमेश एवं नवम भाव के स्वामी शनि की दृष्टि है, इस प्रकार से जहां एक ओर यह संभावना आर्थिक रूप से इस वर्ष समृद्धि के संकेत दे रहे हैं ,जो कि चैत्र प्रतिपदा के वार्षिक चार्ट में भी दिखाई दिया था , वहीं इस कुंडली में ग्रहों का यह समीकरण कुछ बड़ी आर्थिक दुर्घटनाओं के भी संकेत दे रहा है अर्थात कोई बड़ा घोटाला सामने आ सकता है या फिर बहुत सारी संपत्ति किसी की जब्त की जा सकती है I

द्वादश भाव में शुक्र स्थित है जो कि पंचम भाव एवं द्वादश भाव का स्वामी भी है विदेशों में अच्छी एवं उच्च शिक्षा के संकेत दे रहा है I

पंचम भाव में केतु की स्थिति शिक्षा के क्षेत्र में नए अनुसंधान नए शोध और उन्हें ख्याति प्राप्त हो सकती है, ऐसी ही संभावना चैत्र प्रतिपदा के वार्षिक चार्ट में भी दिखाई थी । और साथ ही साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इन शोधों को मान्यता प्रदान की जा सकती है । ऐसी संभावना भी हो सकती है कि इस वर्ष भारतवर्ष में शिक्षा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार जैसे गौरवान्वित करने वाले पुरस्कार भी मिल सकते हैं I

छठे भाव पर शुक्र की दृष्टि जो की पीड़ा में नहीं है, अतः यह कुंडली सेक्स से संबंधित नई मान्यताओं को स्वीकृति प्रदान कर रही है।

सप्तम भाव में मंगल की दृष्टि जो कि छठे भाव का स्वामी है, देश की सीमाओं पर छोटे युद्ध की संभावना को दिखा रहे हैं I

ज्ञात हो कि भारतवर्ष की कुंडली में इस समय चंद्रमा में केतु की दशा चल रही है जो कि युद्ध की संभावना को दिखा रही है और ऐसी संभावना जुलाई तक बनी हुई है, और ग्रहण का फल 4 महीने तक मिलता ही है ऐसी स्थिति में ग्रहण के बाद सीमाओं पर हलचल तेज हो सकती है।

अष्टम भाव पर छठे भाव के स्वामी मंगल की दृष्टि पुनः एक बार बड़ी बीमारी के संकेत दे रहा है अर्थात कोविड-19 अपने नए स्वरूप में सामने आ सकता है ,और इसे बहुत ही जिम्मेदारी के साथ निपटना होगा क्योंकि अष्टम भाव पर मंगल की दृष्टि दुखद एवं आकस्मिक घटनाओं को भी जन्म देती हैं I

अष्टमेश शनि नवम भाव में नवमेश होकर स्थित है ,नवम भाव की स्थिति बहुत मजबूत है -प्रजातंत्र में न्यायपालिका एक मजबूत स्तंभ के रूप में इस वर्ष दिखाई देगी और कुछ स्वागत योग निर्णय लेगी ।

दशम भाव में मीन राशि एवं उसका स्वामी गुरु दशम भाव में स्थित बहुत ही मजबूत स्थिति में है, यद्यपि पंचम भाव में पीड़ा दिख रही है फिर भी गुरु की यहां पर स्थिति सरकार को मजबूती प्रदान कर रही है ,और देश में एवं विदेश में अपनी सत्ता को मजबूत बनाए रखने में सक्षम दिखाई दे रही है, अर्थात कर्नाटक का आने वाला इलेक्शन सरकार के पक्ष में होने की संभावना है I

मेष एवं तुला राशि जब राहु / केतु अक्ष पर होती है -तो देश में सांप्रदायिक परेशानियां बढ़ जाती हैं I यह गुरु जी श्री राव सर का शोध है और इसी अक्ष पर इस वर्ष ग्रहण लगा रहा है और उसमें से सोने पर सुहागा यह है कि तृतीय भाव और द्वितीय भाव का संबंध भी हो रहा है बुध के साथ अतः अफवाहों के बाजार गर्म रहेंगे । नए-नए प्रकार के हथकंडे अपनाए जा सकते है दंगे भड़काने के लिए ।

जिस प्रकार से इस समय अतीक अहमद हत्याकांड को विपक्ष एक हिंदू मुस्लिम विवाद के रूप में प्रस्तुत करना चाह रहा है ।

और माफिया को गौरवान्वित करने का कोई भी मौका नहीं चूक रहे हैं,

अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर न्यूज पेपर में छापा जा रहा है ।

पंजाब में खालिस्तान का बनाने का अगुआ नेता अमृतपाल सिंह के बारे में यूके ,यूएसए और कनाडा में फेक न्यूज़ चलाई जा रही है झूठी खबरें फैलाई जा रही हैं I

इस प्रकार से इस वर्ष धार्मिक - उन्माद, सांप्रदायिक हिंसा को फैलाने के उद्देश्य सोशल मीडिया के द्वारा भारत एवं भारत सरकार के विरोध इस प्रकार की अन्य अफवाहें भी सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए चलाई जा सकती है।

प्रकृति से संबंधित इस कुंडली के आधार पर पूर्व कथन

1– भीषण गर्मी की संभावना को यह कुंडली प्रकट कर रही है I

2– 20 अप्रैल 2023 से लेकर के 30 अप्रैल 2023 तक भूकंपीय दृष्टिकोण से अत्यधिक संवेदनशील समय रहेगा सावधानी अपरिहार्य है I

किसी बड़े भूकंप की की संभावना है I

3– कोविड-19 संक्रमण आने की संभावना अत्यधिक प्रबल है अतः सावधानी जरूरी है ।

4– इस वर्ष की चैत्र प्रतिपदा कुंडली के साथ ही यह ग्रहण की कुंडली भी मानसून के लिए अच्छा समय है।

5–यह पूरा वर्ष विश्व स्तर पर युद्ध और प्राकृतिक आपदाओं के लिए एक नये मापदंड स्थापित करेगा, विभिन्न देशों के आधार पर अलग से भिन्न-भिन्न देशों के लैटीट्यूड एंड लोंगिट्यूड के आधार पर ग्रहण का चार्ट बनाया है और पूर्व कथन दिया है इसमें से सबसे महत्वपूर्ण इजराइल का है यह समय इस कुंडली के आधार पर सबसे संकटग्रस्त समय में से एक होगा।

6-महत्वपूर्ण बात तो यह है कि ग्रहण की कुंडली से प्रकट हो रहा है कि पूरा वर्ष- 2023 युद्ध के लिए अत्यधिक संवेदनशील है और उसमें से भी ज्यादातर युद्ध आकाशीय स्तर पर लङे जायेंगे I

धन्यवाद

ज्योतिषाचार्य जया सिंह

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