गोली का जवाब गोले से दिया जाएगा... भोपाल से PM मोदी की पाकिस्तान को दो टूक
भोपाल:
पीएम मोदी ने भोपाल में लोकमाता अहिल्याबाई महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए देश की बेटियों के लिए किए गए तरक्की के कामों का जिक्र किया. पहलगाम हमले में बेटियों के सिंदूर को मिटाने वाले आतंकियों के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र कते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आतंकियों ने नारी शक्ति को चुनौती दी. ये चुनौती आतंकियों और उनके आकाओं के लिए काल बन गई. ऑपरेशन सिंदूर (PM Modi On Operation Sindoor) आतंकवादियों के खिलाफ भारत के इतिहास का सबसे बड़ा और सफल ऑपरेशन है.जहां पाकिस्तानी सेना से सोचा तक नहीं था वहां आतंकी ठिकानों को हमारी सेना ने मिट्टी में मिला दिया. सैकड़ों किमी. भीतर घुसकर मिट्टी में मला दिया.
ऑपरेशन सिंदूर ने डंके की चोट पर कह दिया है कि आतंकवादियों के जरिए प्रॉक्सी वॉर नहीं चलेगा. घर में घुसकर भी मारेंगे और जो आंतकियों की मदद करेगा उसको भी इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी. पीएम ने कहा कि अब भारत का एक-एक नागरिक कह रहा है कि अगर तुम गोली चलाओगे तो मान कर चलो गोली का जवाब गोले से दिया जाएगा.
सिंदूर अब भारत के शौर्य का प्रतीक बना
पीएम मोदी ने देवी अहिल्याबाई होल्कर की जयंती कार्यक्रम मेंमहिलाओं के लिए किए गए सरकारी कामों का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि चाहें उनके बैंक खाते हों या उसको सशक्त बनाने की योजनाएं. सरकार ने इस दिशा में अहमकदम उठाए. पीएम मोदी ने भोपाल से पूरे देश को ड्रोन दीदी अभियान के बारे में भी बताया. सिंदूर का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा कि रामभक्ति में रंगे हनुमान जी भी सिंदूर को ही सिंदूर को ही धारण किए हुए हैं. यही सिंदूर अब भारत के शौर्य का प्रतीक बना है. पहलगाम में आतंकियों ने सिर्फ भारतीयों का खून ही नहीं बहाया बल्कि हमारी संस्कृति पर भी प्रहार किया और समाज को बांटने की कोशिश की.
दृण प्रतिज्ञा हो तो परिणाम लाया जा सकता है
पीएम मोदी ने कहा कि देवी अहिल्याबाई होल्कर का नाम सुनते ही मन में श्रद्धा का भाव उमड़ पड़ता है. उनके महान व्यक्तित्व के बारे में बोलने के लिए शब्द कम कर जाते हैं. वह इस बात का प्रतीक हैं कि जब इच्छा शक्ति और दृण प्रतिज्ञा होती है तो परिस्थितियां कितनी भी विपरीत क्यों न हों परिणाम लाकर दिखाया जा सकता है. ढाई-तीन सौ साल पहले जब देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा था उस समय ऐसे महान काम कर जाना, जिनकी आने वाली अनेक पीढ़ियां चर्चा करें, ये कहना तो आसान है करना आसान नहीं था. लोकमाता अहिल्याबाई ने प्रभुसेवा और जनसेवा इसे कभी अलग नहीं माना.
गरीबों को समर्थ बनाने के लिए काम किया
पीएम मोदी ने कहा कि कहा जाता है कि अहिल्याबाई हमेशा शिवलिंग अपने साथ लेकर चलती थीं. उस चुनौतीपूर्ण कालखंड़ में एक राज्य का नेतृत्व कांटों से भरा ताज था. कोई कल्पना भी नहीं कर सकता कि कांटों से भरा ताज पहनकर लोकमाता अहिल्याबाई ने अपने राज्य की समृद्धि को नई दिशा दी. उन्होंने गरीब से गरीब को समर्थ बनाने के लिए काम किया. वह भारत की विरासत की बड़ी संरक्षक थीं.
माता अहिल्याबाई ने विकास के बहुत से काम किए
जब देश की संस्कृति, मंदिरों और तीर्थस्थलों पर हमले हो रहे थे तब लोकमाता ने उनको संरक्षित करने का वीणा उठाया. उन्होंने काशी विश्वनाथ समेत पूरे देश में हमारे अनेकों मंदिरों और तीर्थों का पुनर्निर्माण किया. ये मेरा सौभाग्य है जिस काशी में अहिल्याबाई ने विकास के इतने काम किए उस काशी ने मुझे भी सेवा का मौका दिया है. आज अगर आप काशी विश्वनाथ के दर्शन करने जाएंगे तो वहां आपको वहां देवी अहिल्याबाई की मूर्ति भी मिलेगी.
गवर्नेंस का शानदार मॉडल अपनाया
उन्होंने गवर्नेंस का ऐसा मॉडल अपनाया, जिसमें गरीबों और वंचितों को सबसे ज्यादा प्राथमिकता दी गई. उद्यम बढ़ाने के लिए उन्होंने अनेकों योजनाओं को शुरू किया. उन्होंने कृषि और वन उपज आधारित कुटीर उद्योग और हस्तकला को प्रोत्साहित किया. खेती को बढ़ावा देने के लिए छोटी-छोटी नहरों का जाल बिछाकर उसको विकसित किया.
आदिवासियों के लिए बहुत काम किया
देवी अहिल्याबाई ने आदिवासी समाज और घुमंतु टोलियों के लिए खाली पड़ी जमीन पर खेती की योजना बनाई. ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे एक आदिवासी बेटी, जो आज भारत के राष्ट्रपति के पद पर विराजमान हैं, उनके मार्गदर्शन में आदिवासी भाई-बहनों की सेवा करने का मौका मिला है.
माहेश्वरी साड़ी के लिए नए उद्योग लगाए
देवी अहिल्या ने विश्व प्रसिद्ध माहेश्वरी साड़ी के लिए नए उद्योग लगाए. बहुत कम लोगों को पता होगा कि देवी अहिल्या हुनर की पारखी थीं. वह गुजरात के जूनागढ़ से कुछ परिवारों को माहेश्वर लाईं और उनको साथ जोड़कर माहेश्वर साड़ी का काम आगे बढ़ाया, जो आज भी अनेकों परिवारों का गहना बन गया है. बता दें कि पीएम मोदी ने ये सब बातें अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में कहीं.