केरल में OBC आरक्षण के साथ छेड़छाड़, मुस्लिम और ईसाइयों को ऐसे पहुंचाया गया फायदा
केरल राज्य में ओबीसी आरक्षण के अधिकारों पर 9 सितंबर, 2025 को एक समीक्षा बैठक आयोजित की गई. बैठक में पाया गया कि ओबीसी पिछड़े वर्ग की कुछ जातियों को धर्म के नाम पर आरक्षण दिया गया है. इसमें से 10 प्रतिशत सभी मुसलमानों के लिए और 6 प्रतिशत ईसाइयों के लिए है. इस प्रकार राजनीतिक लाभ के लिए मुसलमानों और ईसाइयों को आरक्षण का लाभ देने के लिए मूल ओबीसी समुदायों के अधिकारों को छीना जा रहा है.
आयोग ने धर्म के नाम पर आरक्षण के लिए साक्ष्य और आधार प्रस्तुत करने को कहा, लेकिन राज्य सरकार के सचिव और उनके अधिकारी आयोग में साक्ष्य प्रस्तुत करने में असमर्थ रहे. ओबीसी आरक्षण की इस तरह की लूट को अनुचित मानते हुए आयोग ने निर्देश दिया कि मूल ओबीसी के अधिकारों के अनुसार, जाति को नियमानुसार जोड़ा जाए.
आयोग ने जाहिर की नाराजगी
राज्य सरकार की नीति के मुताबिक, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को सामान्य और उच्च शिक्षा, भर्ती और मेडिकल एजुकेशन में अलग-अलग प्रतिशत दिया गया है. केरल सरकार की भर्ती में आरक्षण प्रतिशत भी 27 प्रतिशत से कम प्रतीत होता है. आयोग ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए केरल राज्य सरकार की आरक्षण नीति, आरक्षण के आधार, नौकरियों, उच्च शिक्षा और जिस धार्मिक समुदाय के नाम पर आरक्षण दिया गया है. उसकी पूरी सूची की भी मांग की थी.
क्यों की समीक्षा बैठक?
केरल राज्य सरकार के अधिकारियों ने 26.09.2025 को राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) के दिल्ली स्थित कार्यालय में आयोग को आरक्षण संबंधी दस्तावेज़ प्रस्तुत किए हैं, जिनमें स्पष्टता का पूर्ण अभाव है. आयोग का यह मानना है कि जिन मानदंडों या दिशानिर्देशों के तहत ओबीसी आरक्षण बनाया गया है, उन सभी का उल्लंघन किया गया है.
इससे ये साफ होता है कि मूल ओबीसी वर्ग के आरक्षण का हिस्सा मुसलमानों और ईसाइयों को दे दिया गया है. इस गंभीर मुद्दे पर ओबीसी वर्ग की जातियों को मिलने वाला संवैधानिक आरक्षण और अन्य लाभ खतरे में न पड़ें, इसलिए आयोग ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 338बी के अंतर्गत एक समीक्षा बैठक की.