जेपी इंफ्राटेक के एमडी मनोज गौर को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने किया गिरफ्तार, मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कार्रवाई तेज

Update: 2025-11-13 06:13 GMT


रिपोर्ट : विजय तिवारी

नई दिल्ली।

रियल एस्टेट सेक्टर से जुड़ी एक बड़ी कार्रवाई में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड (Jaypee Infratech Ltd) के प्रबंध निदेशक मनोज गौर को मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) के मामले में गिरफ्तार कर लिया है। यह कार्रवाई कंपनी से जुड़े हजारों घर खरीदारों के फंड के दुरुपयोग और वित्तीय अनियमितताओं की जांच के तहत की गई है।

क्या है पूरा मामला

जेपी इंफ्राटेक पर आरोप है कि उसने घर खरीदारों से वसूल किए गए हजारों करोड़ रुपये को निर्धारित प्रोजेक्ट्स में लगाने के बजाय अन्य कंपनियों और प्रोजेक्ट्स में स्थानांतरित कर दिया। इससे बड़ी संख्या में खरीदारों को अपने घरों का कब्जा नहीं मिल सका।

जांच एजेंसियों के अनुसार, कंपनी ने लगभग ₹12,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि विभिन्न माध्यमों से अन्य इकाइयों में स्थानांतरित की। ईडी ने इसे धनशोधन (Money Laundering) की श्रेणी में माना है।

ईडी की जांच और छापेमारी

ईडी ने पिछले कुछ महीनों में नोएडा, ग्रेटर नोएडा, दिल्ली और गाजियाबाद समेत कई ठिकानों पर छापेमारी की थी। इस दौरान महत्वपूर्ण दस्तावेज़, डिजिटल रिकॉर्ड, बैंक ट्रांजैक्शन विवरण और संपत्ति से जुड़ी फाइलें जब्त की गईं।

जांच में यह पाया गया कि कंपनी ने कई आवासीय परियोजनाओं से मिले फंड को गौर समूह और अन्य सहयोगी कंपनियों में ट्रांसफर किया। इन पैसों का उपयोग रियल एस्टेट के अलावा अन्य कारोबारों में किया गया।

दिवालिया प्रक्रिया और घर खरीदारों की परेशानी

जेपी इंफ्राटेक पहले से ही दिवालिया (Insolvency) प्रक्रिया से गुजर रही है।

कंपनी के करीब 32 हजार से अधिक घर खरीदार वर्षों से अपने फ्लैट का इंतजार कर रहे हैं।

2017 में राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) ने कंपनी को दिवालिया घोषित किया था और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने घर खरीदारों के हित में कई निर्देश जारी किए थे। इसके बावजूद, अब तक अधिकांश प्रोजेक्ट अधूरे हैं।

गिरफ्तारी के बाद अगला कदम

मनोज गौर को PMLA (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) के तहत गिरफ्तार किया गया है।

उन्हें शुक्रवार को दिल्ली की विशेष अदालत में पेश किया जाएगा, जहां ईडी उनकी रिमांड की मांग करेगी ताकि पूछताछ कर फंड फ्लो और संबंधित कंपनियों की भूमिका की गहराई से जांच की जा सके।

जेपी ग्रुप पर पहले भी लग चुके हैं आरोप

जेपी समूह (Jaypee Group) पर इससे पहले भी कई आरोप लग चुके हैं —

बैंक ऋण के दुरुपयोग

खरीदारों से लिए गए पैसे की गलत दिशा में निवेश

निर्धारित समय पर प्रोजेक्ट पूरे न करना

इन मामलों को लेकर समूह लंबे समय से आर्थिक संकट और कानूनी कार्रवाईयों का सामना कर रहा है।

ईडी का बयान

ईडी अधिकारियों के अनुसार,

> “जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड द्वारा जुटाई गई राशि को अन्य कंपनियों के खातों में ट्रांसफर कर गलत तरीके से उपयोग किया गया। यह फंड ट्रांसफर मनी लॉन्ड्रिंग के स्पष्ट संकेत देता है। मामले में आगे की जांच जारी है।”

असर और महत्व

इस गिरफ्तारी के बाद रियल एस्टेट सेक्टर में हलचल तेज हो गई है।

कई निवेशक और घर खरीदार इस कार्रवाई को न्याय की दिशा में एक कदम मान रहे हैं।

कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि इस मामले से उन कंपनियों को सख्त संदेश मिलेगा जो खरीदारों के धन का गलत इस्तेमाल करती हैं।

जेपी इंफ्राटेक के एमडी मनोज गौर की गिरफ्तारी से देश के रियल एस्टेट क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर नई बहस छिड़ गई है। प्रवर्तन निदेशालय की जांच अब यह तय करेगी कि घर खरीदारों के पैसों की वास्तविक गंतव्य क्या थी और किन लोगों की इसमें संलिप्तता रही।

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