प्रो. धर्मेंद्र दुबे ने प्रचार विभाग की समाज में उपयोगिता पर प्रशिक्षण दिया
अखिल भारतीय पूर्णकालिक प्रशिक्षण वर्ग में अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख श्रीमान प्रो. धर्मेंद्र दुबे जी ने प्रचार विभाग की समाज में उपयोगिता पर प्रशिक्षण दिया। उनके प्रशिक्षण में प्रचार विभाग की भूमिका, सामाजिक जागरूकता, और संगठनात्मक संदेशों को प्रभावी ढंग से प्रसारित करने की रणनीतियों पर जोर दिया गया ।
अखिल भारतीय पूर्णकालिक प्रशिक्षण वर्ग , वह स्वावलंबी भारत अभियान (Swavalambi Bharat Abhiyan) से संबंधित है, जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और इसके संबद्ध संगठनों द्वारा समर्थित एक पहल है। इस अभियान का उद्देश्य भारत को आत्मनिर्भर और बेरोज़गारी-मुक्त बनाने के लिए उद्यमिता, स्वदेशी अर्थव्यवस्था, और रोज़गार सृजन को बढ़ावा देना है।
स्वावलंबी भारत अभियान के बारे में:
उद्देश्य: स्वावलंबी भारत अभियान (SBA) का लक्ष्य भारत को 2047 तक बेरोज़गारी और गरीबी से मुक्त, समृद्ध राष्ट्र बनाना है। यह उद्यमिता, स्वदेशी उत्पादों, और रोज़गार सृजन को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
प्रमुख गतिविधियाँ: यह अभियान युवाओं को उद्यमिता के लिए प्रेरित करता है, आजीविका केंद्र स्थापित करता है, और स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देता है।
प्रशिक्षण और बैठकें: हाल ही में, स्वावलंबी भारत अभियान के अंतर्गत अखिल भारतीय पूर्णकालिक शिक्षावर्ग की व्यवस्था और परिचय बैठक आयोजित की गई, जिसमें प्रमुख पदाधिकारियों और देशभर के कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। इस बैठक में शिक्षावर्ग की रूपरेखा, कार्यशैली, और भविष्य की योजनाओं पर चर्चा हुई।
प्रो. धर्मेंद्र दुबे का योगदान: प्रो. धर्मेंद्र दुबे, जो अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख हैं, ने इस प्रशिक्षण वर्ग में प्रचार विभाग की समाज में उपयोगिता पर प्रशिक्षण दिया। प्रचार के माध्यम से स्वावलंबन और स्वदेशी के संदेश को जन-जन तक पहुँचाने की रणनीतियों पर केंद्रित रहा ।
प्रचार विभाग की समाज में उपयोगिता:
प्रचार विभाग की भूमिका स्वावलंबी भारत अभियान के संदेश को प्रभावी ढंग से समाज तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण है। यह निम्नलिखित तरीकों से समाज में योगदान देता है:
जागरूकता फैलाना: उद्यमिता, स्वदेशी उत्पादों, और आत्मनिर्भरता के महत्व को जनता तक पहुँचाना।
युवा प्रेरणा: युवाओं को स्वरोज़गार और स्टार्टअप्स के लिए प्रोत्साहित करना।
स्वदेशी का प्रचार: विदेशी उत्पादों के बजाय स्वदेशी उत्पादों को अपनाने के लिए जागरूकता बढ़ाना।
सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण: बेरोज़गारी और गरीबी उन्मूलन के लिए सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देना।
स्वावलंबी भारत अभियान की शुरुआत 2022 में हुई थी, और इसने दो वर्षों में उद्यमिता को पुनर्जनन देने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। यह अभियान विभिन्न शैक्षिक और सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर काम करता है,