भिलाई में आज दिव्य दरबार, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय होंगे विशेष अतिथि- 50 से अधिक परिवारों की विधिवत घर वापसी, आदिवासी समाज में सांस्कृतिक जड़ों की ओर लौटने की पहल
रिपोर्ट : विजय तिवारी
दुर्ग / छत्तीसगढ़।
ट्विन सिटी भिलाई के प्रगति मैदान में चल रही दिव्य हनुमंत कथा के क्रम में आज दिव्य दरबार का भव्य आयोजन किया जा रहा है।
इस अवसर पर पंडित धीरेंद्र शास्त्री दिव्य दरबार लगाएंगे, जिसमें प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय भी विशेष रूप से शामिल होंगे।
प्रशासनिक तैयारियों के साथ-साथ श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए सुरक्षा और यातायात के विशेष इंतज़ाम किए गए हैं।
दिव्य दरबार के दौरान 50 से अधिक परिवारों की विधिवत ‘घर वापसी’ कराई जाएगी। ये परिवार पूर्व में हिंदू धर्म छोड़कर अन्य मत-पंथों में चले गए थे, जो अब स्वेच्छा से पुनः सनातन परंपरा से जुड़ रहे हैं। आयोजन समिति के अनुसार, यह प्रक्रिया धार्मिक रीति-रिवाजों और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ संपन्न होगी, ताकि सामाजिक सम्मान और सांस्कृतिक गरिमा बनी रहे।
आधी रात से जुटे श्रद्धालु, आस्था का सैलाब
दिव्य दरबार को लेकर श्रद्धालुओं में खासा उत्साह देखा जा रहा है। कई श्रद्धालु बीती रात से ही कथा स्थल पर डटे हुए हैं। दूर-दराज़ के ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग भिलाई पहुंचे हैं। कथा स्थल पर भक्ति संगीत, हनुमान चालीसा पाठ और धार्मिक प्रवचनों का वातावरण बना हुआ है।
कांकेर घटनाक्रम के बाद तेज हुई घर वापसी
हाल के दिनों में कांकेर जिले में शव दफन को लेकर हुए विवाद के बाद आदिवासी समाज में अपनी धार्मिक पहचान और परंपराओं को लेकर मंथन तेज हुआ है। इसी क्रम में कांकेर क्षेत्र के लगभग 10 परिवारों के 50 से अधिक लोग पहले ही सनातन धर्म में लौट चुके हैं। उल्लेखनीय है कि स्थानीय स्तर पर कुछ चर्च प्रतिनिधियों द्वारा भी मंदिर में पूजा-अर्चना कर सनातन परंपरा को अपनाने की जानकारी सामने आई है।
आदिवासी अंचलों में धर्मांतरण पर सतर्कता
छत्तीसगढ़ के वनांचल और आदिवासी बहुल इलाकों में लंबे समय से धर्मांतरण को लेकर विवाद और चर्चाएं होती रही हैं। कई मामलों में आरोप लगते रहे हैं कि प्रार्थना सभाओं की आड़ में लोगों का मत परिवर्तन कराया जाता है। इस पर सामाजिक संगठनों द्वारा समय-समय पर विरोध दर्ज कराया गया है और प्रशासन से सख्त निगरानी की मांग की जाती रही है।
सामाजिक समरसता का संदेश
आयोजकों का कहना है कि दिव्य दरबार और घर वापसी का उद्देश्य किसी समुदाय के विरुद्ध नहीं, बल्कि लोगों को उनकी सांस्कृतिक जड़ों, परंपराओं और आस्था से पुनः जोड़ना है। मुख्यमंत्री की उपस्थिति को सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक संवाद के संदेश के रूप में देखा जा रहा है।
भिलाई में आयोजित यह दिव्य दरबार धार्मिक आयोजन के साथ-साथ सामाजिक चेतना, सांस्कृतिक पहचान और आदिवासी समाज के आत्मसम्मान से जुड़े विमर्श के कारण भी प्रदेशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है।