चंदौली में नौकरी का सपना दिखाकर 49 लाख की ठगी:ज्वाइनिंग लेटर निकला फर्जी – छह महीने से न्याय की गुहार, थक हार कर पीड़ित बोले:अब आत्महत्या ही एक विकल्प

Update: 2025-05-14 14:30 GMT


विशेष रिपोर्ट: ओ पी श्रीवास्तव, चंदौली

चंदौली। नौकरी दिलाएंगे, भविष्य बनाएंगे—इसी झांसे में चार युवकों ने अपनी जमा पूंजी लुटा दी, लेकिन न नौकरी मिली, न पैसा लौटा। देवरापुर गांव के मनीष यादव समेत चार युवकों से न्यायालय में नौकरी दिलाने के नाम पर 49 लाख रुपए की ठगी की गई। जालसाजों ने फर्जी ज्वाइनिंग लेटर थमाकर उन्हें मुजफ्फरपुर भेज दिया, जहां महीनों तक युवकों ने बिना वेतन काम किया। ठगी का अहसास तब हुआ जब इन युवकों को जिस विभाग में सब्जबाग दिखाकर नौकरी दिलाई गई थी उसके अधिकारियों ने साफ किया कि उनकी कोई नियुक्ति कभी हुई ही नहीं।

पीड़ित मनीष यादव ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि यह ठगी चार वर्ष पहले शुरू हुई, जब गांव के ही उमेश यादव ने पटना निवासी प्रशांत कुमार वर्मा का परिचय कराया। उमेश ने कहा कि प्रशांत अब तक कई युवकों को बिहार की न्यायिक सेवा में नौकरी दिलवा चुका है। इसी भरोसे मनीष ने प्रशांत से संपर्क किया, जिसने व्यवहार न्यायालय, मुजफ्फरपुर में क्लर्क की नौकरी दिलाने के नाम पर 12 लाख रुपये मांगे।

जाल बिछाया, पैसा ठगा – फिर थमाया फर्जी लेटर

प्रशांत कुमार वर्मा की बातों में आकर मनीष ने किश्तों में 29 लाख रुपये दे दिए। तीन अन्य युवकों ने भी कुल मिलाकर 20 लाख रुपये और दिए। सभी को बाकायदा ज्वाइनिंग लेटर दिए गए और मुजफ्फरपुर भेजा गया। वहां इन युवकों ने 3 से 9 महीने तक काम किया, लेकिन एक बार भी वेतन नहीं मिला। जब उच्चाधिकारियों से पूछा तो सच्चाई सामने आई—ज्वाइनिंग लेटर फर्जी था और वे नियुक्त ही नहीं थे।

ठगी का एहसास होते ही पीड़ितों ने सकलडीहा कोतवाली में शिकायत की। पुलिस ने सात आरोपियों के खिलाफ एफआईआर तो दर्ज की, लेकिन छह महीने बीतने के बाद भी कोई गिरफ्तारी नहीं हुई, न ही ठगों से पूछताछ। पीड़ितों ने बताया कि वे एसपी कार्यालय पहुंचकर एसपी आदित्य लांगहे से कई बार मिले और प्रार्थना पत्र के माध्यम से कार्रवाई की बात की लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन मिला, कार्रवाई नहीं।

अब मुख्यमंत्री योगी, डीजीपी और कमिश्नर से लगाई आस

हताश मनीष और अन्य पीड़ितों ने अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, डीजीपी उत्तर प्रदेश, आईजी जोन वाराणसी और कमिश्नर वाराणसी परिक्षेत्र तक प्रार्थना पत्र भेजकर न्याय की गुहार लगाई है। पीड़ितों का कहना है कि यदि इस बार भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो उनके पास आत्महत्या के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा। हालांकि इस पूरे मामले में न केवल ठगों की नीयत सवालों के घेरे में है, बल्कि प्रशासन की निष्क्रियता पर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं। जब पीड़ित स्पष्ट रूप से ठगी की रिपोर्ट दे रहे हैं, सबूत प्रस्तुत कर चुके हैं, तो छह महीने में भी कोई गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई? फिलहाल मामला कोर्ट में है, लेकिन पुलिस विभाग की उदासीनता समझ से परे दिखती है।

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