आगरा किला पर 40 दिन तक घेराबंदी कर महाराजा सूरजमल ने किया था अधिकार, 12 जून को मनेगा विजय दिवस

Update: 2025-06-11 02:06 GMT

आगरा। 12 जून, 1761। यह वो दिन था, जब आगरा किला पर पहली बार मुगल ध्वज की जगह भरतपुर रियासत का झंडा फहराया गया था। भरतपुर नरेश महाराजा सूरजमल ने 40 दिन की घेराबंदी के बाद आगरा किला पर अधिकार कर अपना दरबार लगाया था। करीब 13 वर्ष तक आगरा पर भरतपुर रियासत का शासन रहा। भगवान श्रीकृष्ण के भक्त जाटों ने मोती कटरा, बेलनगंज, किनारी बाजार, सदर भटटी में भगवान श्रीकृष्ण और दाऊजी के कई मंदिर बनवाए।

पुस्तक 'तवारीख-ए-आगरा' के अनुसार महाराजा सूरजमल ने सेनानायक बलराम के नेतृत्व में चार हजार सैनिकों की फौज आगरा किला पर कब्जा करने पहुंची थी, जो तीन मई, 1761 को आगरा पहुंची। आगरा किला के किलेदार ने अपने 400 सैनिकों के साथ उनका प्रबल विरोध किया।

महाराजा सूरजमल चार जून, 1761 को आगरा पहुंचे। किले पर आसानी से कब्जा नहीं होने पर दुर्ग के बाहर शहर में रह रहे दुर्ग रक्षकों के स्वजनों को बंधक बना लिया गया। इससे दुर्ग रक्षकों का मनोबल टूट गया। किलेदार ने एक लाख रुपया नकद व पांच गांव मिलने के आश्वासन पर किला सौंप दिया, लेकिन उसे कुछ नहीं मिला। इस तरह 12 जून, 1761 को आगरा किला पर हिंदू का अधिकार हुआ।

आगरा किला में मिली थी ये संपत्ति

 

आगरा किला में महाराजा सूरजमल को गोला-बारूद, तोप और 50 लाख रुपये की संपत्ति मिली थी, जिसे डीग व भरतपुर के किले में भिजवा दिया गया था। ताजमहल में शाहजहां व मुमताज की कब्र के कक्ष पर लगे चांदी के दरवाजे उतरवा लिए गए थे।

महाराजा सूरजमल ने आगरा किला में दरबार लगाया था। आगरा भरतपुर रियासत के अधीन वर्ष 1774 तक रहा। मुगल फौजदार मिर्जा नजफ खां ने 18 फरवरी, 1774 को आगरा किला पर पुन: अधिकार कर लिया था। महादजी सिंधिया ने वर्ष 1785 में आगरा किला पर अधिकार किया था।

आगरा किला में रतन सिंह की हवेली

 

भरतपुर रियासत के अधीन आगरा किला के रहने का साक्ष्य यहां स्थित रतन सिंह की हवेली है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इसे पर्यटकों के लिए बंद कर रखा है।

स्वजन के नाम पर हैं कई स्थान

इतिहासविद राजकिशोर राजे बताते हैं कि किशोरपुरा, महाराजा सूरजमल की पत्नी किशोरी के नाम पर आबाद है। यहां उनकी हवेली व मंदिर था। सूरजमल के बेटे नाहर सिंह के नाम पर ताजगंज को नाहरगंज कहा जाने लगा था। यमुना पार स्थित नवलगंज, जाट शासक नवल सिंह के नाम पर ही बसा था। राजा की मंडी में महाराजा सूरजमल इंटर कॉलेज है। जाट शासन के दौरान होली गायन की परंपरा ने जोर पकड़ा था।

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