ड्रोन-मिसाइल से लेकर एयरक्राफ्ट तक…. 4 लेयर में बटा भारत का एयर डिफेंस सिस्टम, समझें कैसे पाकिस्तान को किया बेअसर

Update: 2025-05-14 05:57 GMT

ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने अपनी अत्याधुनिक मल्टी-लेयर्ड काउंटर ड्रोन और एयर डिफेंस ग्रिड का सफल टेस्ट किया, जिसमें दुश्मन के हवाई खतरे ड्रोन, मिसाइल और एयरक्राफ्ट को न सिर्फ ट्रैक किया गया, बल्कि उन्हें समय रहते नष्ट भी कर दिया गया. चार लेयर वाली डिफेंस सिस्टम ने कमाल कर दिया और दुश्मन को अपनी तैयारियों से चौंकाने का भी काम किया.

भारत के ऑपरेशन सिंदूर में वायु क्षेत्र की रक्षा के लिए मल्टी लेयर एयर डिफेंस ग्रिड का जबरदस्त प्रदर्शन देखने को मिला. यह सिस्टम आधुनिक तकनीक, रणनीतिक परतों और रियल-टाइम कॉर्डिनेशन पर आधारित है, जो देश की सीमाओं को किसी भी हवाई खतरे से सुरक्षित रखने के लिए तैयार है. आइए समझते हैं इसकी हर बारीकी:

चार लेयर वाला सुरक्षा कवच:

भारतीय वायु रक्षा प्रणाली को चार लेयर में बांटा गया है, जो किसी भी तरह के ड्रोन, मिसाइल या दुश्मन के लड़ाकू विमानों से प्रभावी सुरक्षा प्रदान करता है.

पहली लेयर काउंटर ड्रोन और MANPADS: सीमावर्ती इलाकों में 200 किलोमीटर के अंदर एंटी ड्रोन सिस्टम और MANPADS जैसे कि IGLA, LLAD तैनात किए गए. ये छोटे, कम ऊंचाई पर उड़ने वाले लक्ष्यों को फौरन निशाना बनाने में सक्षम हैं.

दूसरी लेयर प्वाइंट एयर डिफेंस और SR-SAM: इस लेयर में SR-SAM (शॉर्ट रेंज सरफेस टू एयर मिसाइलें), जैसे स्पायडर और SAMAR प्रणाली तैनात की गई है, जो कम दूरी पर तेज स्पीड से आने वाले हवाई खतरों को नष्ट कर सकती हैं.

तीसरी लेयर MRSAM (Barak-8): यह लेयर मध्यम दूरी की मिसाइल हमलों और एयरक्राफ्ट को रोकने के लिए तैयार की गई है. इजरायल के सहयोग से विकसित MRSAM प्रणाली का इस्तेमाल इसमें मुख्य रूप से किया गया.

चौथी लेयर LRSAM (S-400): इस लेयर पर रूस से खरीदा गया S-400 ट्रायम्फ सिस्टम तैनात है, जो 400 किमी की दूरी से किसी भी हवाई खतरे को ट्रैक और नष्ट करने की ताकत रखता है. इस एयर डिफेंस सिस्टम की ऑपरेशन सिंदूर के दौरान प्रमुख भूमिका रही. जिसने दुश्मन पाकिस्तान के एक भी ड्रोन या मिसाइल को हमारी सीमा में घुसने नहीं दिया.

आकाशतीर की ताकत

‘आकाशतीर’ और ‘IACCS’ नेटवर्क से जुड़ी निगरानी: पूरे ग्रिड को आकाशतीर कमांड सिस्टम और IACCS (Integrated Air Command and Control System) से जोड़ा गया है, जो रडारों और मिसाइल यूनिटों के बीच तेज डेटा ट्रांसफर और तालमेल सुनिश्चित करता है. यह एक ऐसा सिस्टम है जो पूरे देश में युद्ध के दौरान होने वाली हवाई गतिविधियों की जानकारी एक ही स्थान पर उपलब्ध कराता है, जिसके बाद भारत की तीनों सेनाएं और भारतीय एयर डिफेंस इसके आधार पर आगे की कार्रवाई करता है.

रडार और सर्विलांस सिस्टम: विभिन्न रेंज के रडार – जैसे कि LLR, MPR और HPR – चौबीसों घंटे सीमाओं पर निगरानी रख रहे हैं, जो दुश्मन की किसी भी गतिविधि को समय रहते पहचान लेते हैं.

दुनिया ने देखी भारत की ताकत

ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की वायु रक्षा क्षमता को न सिर्फ देश में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एक शक्तिशाली संदेश दिया है. भारत की सीमा को पार करना अब दुश्मनों के लिए असंभव जैसा है. यह बहुस्तरीय सुरक्षा तंत्र आने वाले समय में भारत की सैन्य रणनीति की रीढ़ साबित होगा.

रडार नेटवर्क और D-I-A-D सिद्धांत

भारत की रडार प्रणाली जिसमें LLR, MPR, HPR शामिल हैं पाकिस्तान के ADGS (Air Defence Ground System) द्वारा संचालित गतिविधियों पर लगातार नजर रख रही थी. भारतीय प्रतिक्रिया इस सिद्धांत पर आधारित रही: D Detect (पता लगाना) I Identify (पहचान करना) A Allocate (जवाबी हथियार सक्रिय करना) D Destroy (नष्ट करना)

ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने दिखा दिया कि उसकी वायु रक्षा प्रणाली केवल कागजों पर नहीं, बल्कि जमीन पर भी अभेद्य है. यह मल्टी लेयर सिस्टम देश की सीमाओं को दुश्मन के किसी भी हवाई हमले से सुरक्षित रखने में सक्षम है.

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