आजम के बेटे के 19 गवाहों पर भारी पड़े पांच गवाह, अब्दुल्ला आजम को एक बार फिर सात साल की सजा सुना दी गई।
दो पैन कार्ड मामले में सात साल की सजा काट रहे पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम को शुक्रवार को दो पासपोर्ट मामले में भी सात साल की कैद व पचास हजार रुपये जुर्माना अदा करने की सजा सुनाई गई है। गवाहों की लंबी चौड़ी फौज भी सपा के पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम को दो पासपोर्ट रखने के मामले से सजा से नहीं बचा पाई।
सपा नेता की ओर 19 गवाहों को पेश किया गया लेकिन उनकी गवाही पर अभियोजन की ओर से पेश पांच गवाह भारी पड़ गए। लिहाजा अब्दुल्ला आजम को एक बार फिर सात साल की सजा सुना दी गई।
सपा के पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम के दो पासपोर्ट मामले में शुक्रवार को एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट कोर्ट शोभित बंसल ने फैसला सुनाया। 2019 में सिविल लाइंस थाने में दर्ज इस मुकदमे में लगातार सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अभियोजन की ओर से क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी नसीम अहमद व मुकदमे के वादी आकाश सक्सेना समेत पांच गवाहों को पेश किया गया जबकि इस मामले में सपा नेता की ओर से अपने बचाव में कुल 19 गवाह पेश किए गए।
अभियोजन अधिकारी स्वदेश शर्मा के साथ ही वादी के अधिवक्ता संदीप सक्सेना की ओर से पैरवी की गई। स्वदेश कुमार ने बताया कि अब्दुल्ला आजम ने दो पासपोर्ट बनवाए थे। इसकी पुष्टि हो गई है। दोनों में जन्म की तारीख अलग-अलग है। इस मामले में अभियोजन की ओर से पासपोर्ट अधिकारी नसीम अहमद की गवाही कराई गई थी जबकि बचाव पक्ष की ओर से गवाहों को पेश किया गया।
शहर विधायक एवं मुकदमे के वादी संदीप सक्सेना के अनुसार कि इस केस का फैसला 412 पेज में आया है। इस फैसले में पूरे केस का विवरण दिया गया है। इसमें बताया गया है कि आखिर किस तरह अब्दुल्ला आजम ने अपने पिता आजम खां के रसूख के जरिए दो पासपोर्ट बनवाए थे।
सपा नेता आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम खां को राजनीतिक रंजिश के आधार पर फंसाया गया है। उनके पास दो पासपोर्ट रखने का आरोप पूरी तरह निराधार है। इसलिए उन्हें कम से कम सजा दी जाए।
अभियोजन पक्ष की ओर से यह दलील दी गई कि सपा नेता आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम का आपराधिक इतिहास है। उनके खिलाफ कई केस दर्ज हैं। इसलिए आरोपी को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए।
सियासत में कदम रखने के लिए सपा नेता आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम ने जन्म तिथि में हेरफेर कर दिया। नतीजा एक-दो नहीं, बल्कि तीन-तीन मामलों में एक के बाद एक उन्हें कोर्ट ने दोषी करार देते हुए सजा सुनाई है। वह मुरादाबाद के छजलैट प्रकरण में भी सजा पा चुके हैं जिसके चलते उनकी विधायकी भी जा चुकी है। अभी कई मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं।
सपा नेता आजम खां के छोटे बेटे अब्दुल्ला आजम खां ने वर्ष 2017 में सियासत की दुनिया में कदम रखा। एमटेक की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने स्वार विधानसभा क्षेत्र से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा। वह जीत भी गए लेकिन इसी चुनाव से उनके सियासी कॅरिअर पर संकट के बादल मंडराने लगे।
2017 के विधानसभा चुनाव के नामांकन के दौरान उनके निकटतम प्रत्याशी नवाब काजिम अली खां ने उनकी जन्म तिथि का मामला उठाया और नामांकन पत्र को चुनौती दे दी। मामला कोर्ट में चलता रहा। आखिरकार करीब डेढ़ साल के बाद हाईकोर्ट ने उन्हें जन्म तिथि के हेरफेर का दोषी मानते हुए उनकी विधानसभा की सदस्यता को खत्म कर दिया।
दो जन्म प्रमाण पत्र मामले में कोर्ट उन्हें सात साल की सजा सुना चुकी है। इस मामले में उनके पिता आजम खां व मां डॉ. तंजीन फात्मा को भी सजा सुनाई जा चुकी है। दो पैन कार्ड मामले में भी अब्दुल्ला के साथ ही उनके पिता आजम खां को भी सात साल की सजा सुनाई जा चुकी है। अब दो पासपोर्ट मामले में भी सात साल की कैद व पचास हजार रुपये जुर्माना अदा करने की सजा सुनाई है। इस जन्म तिथि के फेर से जुड़े तीन मामलों के साथ ही छजलैट प्रकरण में भी अब्दुल्ला को सजा सुनाई गई थी जिसके बाद दूसरी बार विधायक बने अब्दुल्ला की विधायकी भी चली गई थी। कुल चार मामलों में सजा सुनाई जा चुकी है। अब्दुल्ला पर कुल 34 मुकदमे कोर्ट में विचाराधीन हैं।
सपा नेता आजम खां के खिलाफ दर्ज यतीमखाना बस्ती के मामले में भी कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। इस दौरान बचाव पक्ष की ओर से एक गवाह को रिकॉल करने के लिए प्रार्थना पत्र दिया गया, जिस पर कोर्ट ने इस प्रार्थना पत्र पर सुनवाई के लिए 23 दिसंबर की तारीख तय कर दी।