चना, मेथी और मूंग उगाया.. अंतरिक्ष से क्या क्या लेकर आए, जानें कैसे बीते शुभांशु शुक्ला के वो 18 दिन

Update: 2025-07-15 13:40 GMT

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से आज भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला धरती पर आ गए हैं। ‘एक्सिओम-4’ मिशन के तहत ISS में 18 दिन बिताने के बाद शुभांशु शुक्ला और उनके तीन अन्य सहयोगी अंतरिक्ष यात्री भी धरती पर वापस आ गए हैं। चारों अंतरिक्ष यात्री सैन डिएगो तट पर पानी में उतरेंगे। बता दें कि यात्रा पर रवाना होने से पहले एक्सिओम मिशन-4 कई बार स्थगित हुआ था और इसके बाद एक्सिओम-4 मिशन की अंतरिक्ष यात्रा 25 जून को शुरू हुई जब ड्रैगन अंतरिक्ष कैप्सूल को ले जाने वाला फाल्कन-9 रॉकेट फ्लोरिडा से अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर रवाना हुआ था। यह मिशन, भारत, पोलैंड और हंगरी के लिए काफी अहमियत रखने वाला है।

नासा ने बताया कि एक्सिओम मिशन-4 पर गए अतरिक्ष यात्रा अपने साथ करीब 580 पाउंड सामान लेकर आए हैं। उनके इस सामान में कई महत्वपूर्ण चीजे हैं जिसमें नासा का हार्डवेयर और इंपोर्टेंट डाटा है। उनके द्वारा लाया गया ये डाटा उन 60 से ज्यादा एक्सपेरिमेंट्स का है जो मिशन के दौरान इन अंतरिक्ष यात्रियों ने अंजाम दिया है।

शुभांशु शुक्ला के कैसे बीते 18 दिन

अंतरिक्ष में 18 दिन बिता चुके शुभांशु शुक्‍ला ने वहां हर दिन 16 सूर्योदय और सूर्यास्त देखे क्योंकि अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पृथ्वी से करीब 400 किलोमीटर ऊपर की कक्षा में 28,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से घूमता है।

अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर शुभांशु शुक्ला ने विशिष्ट सूक्ष्म-गुरुत्वाकर्षण प्रयोग किए, जो अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारत की बढ़ती क्षमताओं का प्रदर्शन था। ये प्रयोग भविष्य के ग्रहों से संबंधित मिशनों और लंबी अवधि के अंतरिक्ष में रहने के लिए महत्वपूर्ण डेटा उपलब्ध कराने के लिए था।

भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर हरे चने, मेथी और मूंग के बीज उगाए हैं। यह एक शोध का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य यह देखना था कि माइक्रोग्रैविटी (अंतरिक्ष का गुरुत्वाकर्षण) में पौधों के बीज कैसे अंकुरित और विकसित होते हैं।

शुभांशु शुक्ला ने आईएसएस पर मूंग और मेथी के बीजों को पेट्री डिश में अंकुरित किया और फिर उन्हें आईएसएस के एक स्टोरेज फ्रीजर में रख दिया।

इस प्रयोग के तहत, यह भी देखा जाएगा कि इन बीजों से उगे पौधों की आनुवंशिकी, सूक्ष्मजीवी पारिस्थितिकी तंत्र और पोषण प्रोफाइल में क्या बदलाव होते हैं।

शुभांशु शुक्ला ने एक अन्य प्रयोग में सूक्ष्म शैवाल का भी उपयोग किया है, जिसका उपयोग भोजन, ऑक्सीजन और जैव ईंधन के उत्पादन के लिए किया जा सकता है। यह शोध भविष्य में अंतरिक्ष में टिकाऊ खेती के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।

शुभांशु शुक्ला और टीम में शामिल अन्य अंतरिक्ष यात्रियों अंतरिक्ष में 14 दिनों तक कई वैज्ञानिक रिसर्च किए जिसमें अंतरिक्ष में मानव शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन करना, जैसे कि जीरो ग्रैविटी में शरीर की प्रतिक्रिया शामिल है।

कुल मिलाकर टीम ने 31 देशों के 60 प्रयोग किए जिसमें विज्ञान और तकनीक को आगे बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रयोग शामिल हैं।

भारत के लिए क्यों अहम है एक्सिओम मिशन-4

भारत के लिए यह मिशन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि देश अपने पहले मानव अंतरिक्ष मिशन 'गगनयान' की तैयारी कर रहा है।

अंतरिक्ष में गए शुभांशु शुक्ला का ये अनुभव और इस मिशन से मिले डेटा गगनयान मिशन के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होंगे।

इतना ही नहीं, ये मिशन भारत के करोड़ों युवाओं को विज्ञान और अंतरिक्ष के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रेरित करेगा।

यह मिशन यह दिखाएगा कि अब अंतरिक्ष की राह भारतीयों के लिए भी खुल रही है।

इस मिशन में भारत के साथ हंगरी और पोलैंड भी शामिल हैं, ऐसे में ये मिशन अंतरिक्ष अनुसंधान में बढ़ते वैश्विक सहयोग का प्रतीक भी है। 

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