मोदी सरकार की 11 साल में बड़ी उपलब्धि, भारत में गरीब लोगों की संख्या 27.1% से घटकर 5.3% रह गई: वर्ल्ड बैंक
भारत में गरीबी की खिलाफ मोदी सरकार ने बड़ी लड़ाई जीत ली है। देश में गरीबों की संख्या में बड़ी गिरावट आई है। वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की बेहद गरीबी में जी रहे लोगों की संख्या 2011-12 में 27.1 प्रतिशत से एक दशक में तेजी से घटकर 2022-23 में 5.3 प्रतिशत रह गई। हालांकि, विश्व बैंक ने अपनी गरीबी रेखा की सीमा को संशोधित कर तीन डॉलर प्रति दिन कर दिया है। विश्व बैंक ने एक रिपोर्ट में कहा कि 2017 और 2021 के बीच भारत की महंगाई दर को देखते हुए, तीन डॉलर की संशोधित अत्यधिक गरीबी रेखा 2021 की कीमतों में व्यक्त 2.15 डॉलर की सीमा से 15 प्रतिशत अधिक होगी और इसके परिणामस्वरूप 2022-23 में गरीबी दर 5.3 प्रतिशत होगी।
मुफ्त राशन योजना से बदली तस्वीर
मुफ्त और रियायती खाद्यान्न हस्तांतरण से गरीबी में कमी आई और ग्रामीण-शहरी गरीबी का अंतर कम हुआ। रिपोर्ट में कहा गया है कि पांच सबसे अधिक आबादी वाले राज्यों में 54 प्रतिशत अत्यंत गरीब लोग रहते हैं। अर्थव्यवस्था के संदर्भ में, रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले वित्त वर्ष 2024-25 तक भारत की वास्तविक जीडीपी महामारी-पूर्व प्रवृत्ति स्तर से लगभग पांच प्रतिशत कम थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा वैश्विक अनिश्चितताओं को व्यवस्थित तरीके से हल किए जाने की स्थिति में 2027-28 तक वृद्धि धीरे-धीरे संभावित स्तर पर वापस आ जाएगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि, परिदृश्य में महत्वपूर्ण नकारात्मक जोखिम हैं, क्योंकि वैश्विक स्तर पर नीतिगत बदलाव जारी रह सकते हैं। बढ़ते व्यापार तनाव से भारत के निर्यात की मांग कम होगी और निवेश में सुधार में और देरी होगी।
पिछले एक दशक में तेजी से घटी गरीबों की संख्या
विश्व बैंक के अनुसार, “पिछले एक दशक में, भारत ने गरीबी को काफी कम कर दिया है। विश्व बैंक ने अप्रैल में भारत पर अपने ‘गरीबी और समानता संक्षिप्त’ में कहा था कि अत्यधिक गरीबी (प्रतिदिन 2.15 डॉलर से कम पर जीवन यापन) 2011-12 में 16.2 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 2.3 प्रतिशत हो गई, जिससे 17.1 करोड़ लोग इस रेखा से ऊपर आ गए। रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में अत्यधिक गरीबी 18.4 प्रतिशत से घटकर 2.8 प्रतिशत हो गई है, तथा शहरी क्षेत्रों में यह 10.7 प्रतिशत से घटकर 1.1 प्रतिशत हो गई है, जिससे ग्रामीण-शहरी अंतर 7.7 प्रतिशत से घटकर 1.7 प्रतिशत रह गया है, जो कि 16 प्रतिशत की वार्षिक गिरावट है। प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) के रिपोर्ट पर जारी एक तथ्यसूची के अनुसार विश्व बैंक ने वैश्विक गरीबी अनुमानों में एक बड़े संशोधन की घोषणा की है। पीआईबी ने शनिवार को कहा अत्यधिक गरीबों की संख्या में वैश्विक स्तर पर 12.5 करोड़ की वृद्धि हुई, जबकि भारत में यह आंकड़ा घटा है। भारत ने आय की बढ़ी हुई सीमा के बावजूद गरीबी में भारी कमी हासिल की।