कानपुर के सीओ ऋषिकांत शुक्ला सस्पेंड : 100 करोड़ की अवैध संपत्ति का खुलासा, विजिलेंस जांच के आदेश
रिपोर्ट : विजय तिवारी
कानपुर। उत्तर प्रदेश पुलिस सेवा (PPS) के अधिकारी और कानपुर नगर में तैनात डिप्टी एसपी (सीओ) ऋषिकांत शुक्ला को आय से अधिक संपत्ति के गंभीर मामले में निलंबित कर दिया गया है। शासन स्तर पर हुई प्रारंभिक जांच में उनके पास करीब 100 करोड़ रुपए से अधिक की अवैध संपत्ति होने का खुलासा हुआ है। गृह विभाग ने मामले को गंभीर मानते हुए तत्काल प्रभाव से उन्हें सस्पेंड कर विजिलेंस जांच के आदेश जारी किए हैं।
गृह विभाग के विशेष सचिव जगदीश द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि ऋषिकांत शुक्ला ने पुलिस सेवा में रहते हुए अपने पद का दुरुपयोग कर भारी मात्रा में अवैध संपत्ति अर्जित की है। जांच रिपोर्ट के मुताबिक, कानपुर में लगभग 12 भूखंड, 11 दुकानें, और कई करोड़ की अन्य अचल संपत्तियां उनके नाम या परिवारजनों के नाम पर पाई गई हैं।
जानकारी के अनुसार, ऋषिकांत शुक्ला ने वर्ष 1998 में पुलिस उप निरीक्षक के रूप में सेवा की शुरुआत की थी और बाद में पदोन्नति पाकर डिप्टी एसपी बने। बताया जाता है कि उन्होंने अपनी तैनाती के दौरान अखिलेश दुबे नामक व्यक्ति से गठजोड़ कर अवैध कमाई का जाल फैलाया और करोड़ों रुपए की संपत्ति खड़ी कर ली।
विजिलेंस की प्रारंभिक रिपोर्ट में सामने आया है कि शुक्ला ने बाजार दर से कई गुना अधिक मूल्य की संपत्तियां खरीदीं, जिनका स्पष्ट आय स्रोत नहीं मिल सका। जांच में यह भी पाया गया कि उन्होंने अपने परिवार के नाम पर भी करोड़ों की संपत्तियां दर्ज कर रखी थीं, जिनमें से अधिकांश की खरीद उनके कार्यकाल के दौरान हुई।
शासन ने एडीजी स्तर की विजिलेंस टीम को विस्तृत जांच सौंपी है। अब उनके सभी बैंक खातों, संपत्ति दस्तावेजों और लेन-देन की गहन पड़ताल की जाएगी। गृह विभाग ने कहा है कि जांच में दोषी पाए जाने पर उनके खिलाफ कठोर अनुशासनिक और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
सूत्रों के अनुसार, शासन को मिली रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि ऋषिकांत शुक्ला ने कानपुर में तैनाती के दौरान कई ठेकेदारों, व्यापारी समूहों और स्थानीय प्रभावशाली लोगों से सांठगांठ कर संपत्ति अर्जित की, जिसमें नकदी, कीमती आभूषण और लग्जरी गाड़ियाँ भी शामिल हैं।
सरकार ने मामले को गंभीरता से लेते हुए उनके खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। गृह विभाग के आदेश के बाद पुलिस मुख्यालय ने भी कार्रवाई को मंजूरी दे दी है। अब विजिलेंस विभाग जल्द ही उनकी संपत्तियों का भौतिक सत्यापन कर विस्तृत रिपोर्ट शासन को सौंपेगा।
यह मामला उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग के भीतर भ्रष्टाचार पर कड़ी कार्रवाई का संकेत माना जा रहा है, जिसमें सेवा के दौरान अवैध रूप से अर्जित संपत्तियों पर अब सख्त निगरानी रखी जा रही है।