वर्षा बनी आफ़त: कुत्तों और विषैले जीवों से दहशत, स्वास्थ्य सेवाएं लड़खड़ाईं

Update: 2025-08-05 10:58 GMT


218 काटने के मामले, रिसिया, नानपारा, पयागपुर, जरवल जैसे कस्बों में भी संकट गहराया

आनन्द प्रकाश गुप्ता/के0के0 सक्सेना

बहराइच।

लगातार हो रही बारिश ने जिले में जनजीवन को जहां अस्त-व्यस्त कर दिया है, वहीं अब यह जानलेवा रूप भी लेती जा रही है। सड़कों पर जलभराव और गंदगी के कारण विषैले जीव-जंतुओं जैसे सांप, बिच्छू व जहरीले कीड़े और आवारा कुत्तों का आतंक तेजी से बढ़ा है।

ग्रामीण इलाकों के रिसिया, नानपारा, पयागपुर और जरवल कस्बों में भी डसने और काटने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, जिससे ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में दहशत का माहौल है।

218 मामले दर्ज, और भी छूट सकते हैं आंकड़े

जिला मुख्यालय पर स्थापित मेडिकल कॉलेज और शहरी स्वास्थ्य केंद्रों से सूत्रों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार, पिछले तीन सप्ताह में कुल 218 काटने के मामले सामने आए हैं — जिनमें 172 कुत्ते के काटने और 46 साँप या अन्य विषैले जीवों के डसने के केस हैं। परंतु चिकित्सकों का मानना है कि कई लोग डर या दूरी के चलते रिपोर्ट तक नहीं कर पाते, जिससे असली संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है।

ग्रामीण क्षेत्रों के स्वास्थ्य केंद्रों पर संसाधनों का अभाव

सबसे चिंताजनक स्थिति रिसिया, पयागपुर, नानपारा और जरवल के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की है, जहां एंटी रेबीज और एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन जैसे जीवनरक्षक दवाओं का अभाव बना हुआ है। केवल जिला मुख्यालय पर स्तिथ मेडिकल कॉलेज में पर्याप्त मात्रा में इंजेक्शन उपलब्ध हैं, फिर भी ग्रामीण मरीजों को निजी अस्पतालों का महंगा विकल्प चुनना पड़ रहा है।

आर्थिक बोझ और स्वास्थ्य संकट की दोहरी मार

एक इंजेक्शन की कीमत ₹450 से ₹700 तक बताई जा रही है, जो गरीब व मजदूर वर्ग के लिए भारी बोझ बन चुका है। इन इलाकों से आने वाले लोगों का कहना है कि मुफ्त सरकारी इलाज की उम्मीद में आने पर उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ता है।

आवारा कुत्तों से सबसे ज्यादा संकट नानपारा व जरवल में

नानपारा और जरवल कस्बों में आवारा कुत्तों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि देखी गई है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि नगर पंचायत की ओर से कुत्तों को पकड़ने या नसबंदी जैसे स्थायी समाधान पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा।

फॉगिंग और साफ-सफाई न होने से बढ़ा विषैले जीवों का खतरा

पयागपुर और रिसिया जैसे इलाकों में फॉगिंग अभियान या नालियों की सफाई महीनों से नहीं हुई है। नतीजतन, बारिश के पानी में सांप और अन्य जीव बहकर रिहायशी इलाकों में घुस रहे हैं।

प्रशासन से माँगें तेज

जनप्रतिनिधियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं व नागरिक संगठनों ने मांग की है कि प्रत्येक ब्लॉक स्तरीय स्वास्थ्य केंद्र पर दवाओं की तत्काल आपूर्ति की जाए।

नगर निकायों को निर्देशित किया जाए कि फॉगिंग व कुत्ता पकड़ो अभियान युद्धस्तर पर चलाएं।जागरूकता शिविरों के माध्यम से ग्रामीणों को प्राथमिक उपचार व सावधानियों की जानकारी दी जाए।

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