‘उदयपुर फाइल्स’ के खिलाफ अदालत पहुंची जमीयत, मदनी बोले- देश में अमन और सांप्रदायिक सौहार्द को आग लगाने वाली फिल्म

Update: 2025-07-06 11:49 GMT

सहारनपुर। उदयपुर के कन्हैया लाल (दर्जी) हत्याकांड पर बनी फिल्म उदयपुर फाइल्स पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर जमीयत उलमा ए हिंद ने अदालत का दरवाजा खटखटाया है।

अमित जानी द्वारा निर्मित इस फिल्म को नफरत फैलाने वाली और एक विशेष समुदाय को बदनाम करने की साजिश करार देते हुए जमीयत ने एक साथ दिल्ली, मुंबई और अहमदाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है और फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने को कहा है। हाल ही में उदयपुर फाइल्स फिल्म का दो मिनट 53 सेकेंड का ट्रेलर जारी हुआ है। यह फिल्म 11 जुलाई को बड़े पर्दे पर रिलीज होगी।

जमीयत उलमा ए हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने बताया कि संविधान की धारा 226 के अंतर्गत अदालत में दाखिल की गई इस याचिका में जमीयत के अधिवक्ता ने कहा कि फिल्म का ट्रेलर स्पष्ट करता है कि यह फिल्म मुस्लिम विरोधी भावनाओं से प्रेरित है और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 में दिए गए नागरिक अधिकारों का उल्लंघन है। फिल्म में पैगंबर मोहम्मद साहब और उनकी पत्नी के संबंध में आपत्तिजनक टिप्पणी की गई है, जो देश के अमन-चैन को बिगाड़ सकती है।

वहीं, फिल्म में देवबंद को कट्टरवाद का अड्डा बताते हुए वहां के उलमा के विरुद्ध जहर उगला गया है। जो कि एक विशेष धार्मिक समुदाय को बदनाम करने की कोशिश है। इससे समाज में नफरत फैल सकती है और सामाजिक सौहार्द को गहरा नुकसान हो सकता है।

फिल्म में ज्ञानवापी मस्जिद जैसे संवेदनशील मामले का भी उल्लेख है, जबकि यह मामला वाराणसी जिला अदालत और सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन हैं। याचिका में कहा गया है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का दुरुपयोग करते हुए फिल्म में ऐसे दृश्य दिखाए गए हैं जिनका इस्लाम, मुसलमानों और देवबंद से कोई लेना देना नहीं है।

वर्ग विशेष, उलमा और शिक्षण संस्थानों को बदनाम करने की है साजिश

मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि यह फिल्म देश में अमन और सांप्रदायिक सौहार्द को आग लगाने के लिए बनाई गई है। फिल्म में 2022 में उदयपुर में हुई एक घटना को आधार बनाकर बनाई गई इस फिल्म के जरिए एक वर्ग विशेष, उसके उलमा और धार्मिक शैक्षणिक संस्थानों की छवि को नुकसान पहुंचाने की साजिश रची गई है।

फिल्म में वही आपत्तिजनक सामग्री है, जो नूपुर शर्मा के विवादास्पद बयान में थी और जिस कारण देशभर में सांप्रदायिक तनाव फैला था तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को भारी नुकसान पहुंचा था। कहा कि सेंसर बोर्ड ने सभी नियम-कायदों को दरकिनार करते हुए इस फिल्म को प्रमाणित कर आपराधिक साजिश में भागीदारी की है।

सेंसर बोर्ड को बनाया पक्षकार

याचिका में केंद्र सरकार और सेंसर बोर्ड के साथ ही फिल्म का निर्माण करने वाली कंपनी को पक्षकार बनाया गया है। कहा गया है कि सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म को पास करके सिनेमैटोग्राफ एक्ट 1952 की धारा 5B और उसके तहत 1991 में जारी सार्वजनिक प्रदर्शन की शर्तों का उल्लंघन किया है।

तीन साल पहले हुई थी कन्हैयालाल की हत्या

राजस्थान के उदयपुर शहर के धानमंडी इलाके में 28 जून 2022 को कन्हैयालाल नामक एक दर्जी की उसी की दुकान में दिनदहाड़े दो मुस्लिम युवकों ने गला रेतकर निर्मम हत्या कर दी थी।

हमलावरों ने इस पूरी घटना का वीडियो भी बनाया था और उसे इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित कर हत्या की जिम्मेदारी ली थी। हत्यारों का दावा था कि कन्हैयालाल ने नुपुर शर्मा के समर्थन में एक पोस्ट साझा की थी, जिससे उनकी भावनाएं आहत हुई है। इस हत्याकांड ने राजस्थान ही नहीं बल्कि पूरे देश में सनसनी फैला दी थी।

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